सहकारी कृषि
सहकारी कृषि वह प्रक्रिया है जिसमे एक कंपनी अथवा व्यवसायिक संगठन अपनी भूमि पर खुले बाजार अथवा अपनी आवश्यकतओं के लिए कृषि कार्य को सम्पादित करती है |सहकारी कृषि में सम्बंधित व्यक्ति स्वामित्व में परिवर्तन किए बगैर भूमि और अन्य संसाधन को आपस में मिलाते हुए मिलकर कृषि करते है | सहकारी कृषि में वे लोग भी शामिल हो सकते है जो केवल कृषि मज़दूर है तथा जिनके पास कोई भूमि नही है |
सहकारी कृषि को लागू करने के फायदे
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किसानी कृषि की तुलना में सहकारी कृषि अधिक कुशल होती है |
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सहकारी कृषि से कृषि क्षेत्र में निवेश, उत्पादन,एवम आय में बढ़ोतरी होती है |
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सहकारी कृषि से निर्यातों को बढ़ावा मिलता है |
- भारत में लघु एवम सीमांत कृषक अपनी पारिवारिक अवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कृषि कार्य करते है ,ऐसी अवस्था में निर्यातोन्मुखी वाणिज्यिक फसलों का उत्पादन नही हो पाता है क्योंकि ऐसी कृषि के लिए भारी मात्रा में निवेश की आवश्यकता होती है जो बड़ी कंपनिया ही कर सकती है |
- विदेशी कंपनियों को भूमि खरीदने और उस पर कृषि कार्य के लिए अनुमति देने से बागवानी ,खाद्य प्रसंस्करण आदि में प्रयाप्त मात्रा में पूंजी और तकनीकी को उपलब्ध कराया जा सकता है |
भारत में सहकारी कृषि
सहकारी कृषि की समस्याएं
- कंपनियों को भूमि खरीदने की अनुमति देने से किसान भूस्वामी होने के स्थान पर भूमिहीन हो जाएंगे |
- भूमि के विक्रय से अन्य दावेदार जैसे महिलाएं ,बच्चो के अधिकारों का हनन होगा और भारतीय समाज में लैंगिक असमानता बढ़ जाएगी |
- कंपनियों द्वारा भूमि की बढ़ती हुई कीमतों से लाभ उठाने के उद्देश्य से सहकारी कृषि में प्रवेश की संभावना है |
- कंपनियां निर्यातोन्मुखी गैर खाद्य फसलों के उत्पादन पर ज्यादा ध्यान केंद्रित कर सकती है जिसके कारन खाद्य सुरक्षा एक गंभीर चुनौती बन सकती है |
संविदा कृषि
- संविदा कृषि के अन्तर्गत कृषक एक समझौते के अन्तर्गत किसी कृषि विपणन या आपूर्ति कंपनी के लिए उत्पादन का कार्य करता है |
- संविदा कृषि के अन्तर्गत कृषक पूर्व निर्धारित गुणवत्ता वाले उत्पादों को सम्बंधित कंपनी को एक निश्चित समयअवधि में उपलब्ध करवाता है |
- संविदा कृषि के मामलो में सम्बंधित कंपनियां कृषको को कृषि आगत उपलब्ध कराने,तकनिकी सलाह देने ,परिवहन की सुविधा देने आदि के माध्यम से सहायता देती है |
संविदा कृषि के लाभ
- संविदा कृषि व्यवसायिक फर्मो तथा किसानों दोनों के हितो के अधिक अनुकूल है |
- संविदा कृषि में कृषक भूमिहीन नही होंगे |
- कृषि मज़दूरों को बेरोज़गारी का दर नही रहेगा |
- कृषि आगतों की सुनिश्चित आपूर्ति ,तकनिकी ज्ञान ,अंतरराष्ट्रीय बाज़ारों तक पहुँच सुनिश्चित आय आदि का लाभ किसानों को मिलेगा |
- पर्यावरणीय टिकाऊपन की दृस्टि से भी यह कृषि अधिक उपयोगी है |
- इसके माध्यम से कृषक व्यवसायिक मुनाफो में हिस्सेदारी कर सकता है |
namish Oct 28, 2016
good!