समसामयिकी जनवरी : CURRENT AFFAIRS JANUARY :16-31 Part I

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समसामयिकी जनवरी : CURRENT AFFAIRS JANUARY :16-31 Part I

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भारतीय डाक को भुगतान बैंक के कारोबार का लाइसेंस

    भारतीय डाक को भारतीय रिजर्व बैंक से भुगतान बैंक का व्यवसाय शुरू करने का लाइसेंस मिल गया है। ये सेवाएं कार्यक्रम के अनुसार शुरू की जाएंगी। भारती और पेटीएम के बाद भारतीय डाक भुगतान बैंक वह तीसरा कारोबारी संगठन है जिसे भुगतान बैंक सेवा कारोबार शुरू करने का लाइसेंस दिया गया है।

  • रिजर्व बैंक ने भुगतान बैंकों को एक व्यक्ति या कारोबारी इकाई से ज्यादा से ज्यादा एक लाख रूपए तक की जमा राशियां स्वीकार करने की छूट दी है।
  • बैंक सेवाओं के विस्तार के इस मॉडल में मोबाइल फोन सेवा कंपनियों और सुपर-मार्केट श्रृंखला कंपनियों को व्यक्तियों और छोटे व्यावसायिक प्रतिष्ठानों की कारोबार की लेन-देन की जरूरतों को सुगम बनाने के लिए इस तरह के बैंक चालू करने की अनुमति देने का प्रावधान है।
  • ये बैंक छोटी राशि की जमाएं लेने और पैसा हस्तांतरित करने जैसी सेवाएं देंगे। ये इंटरनेट बैंकिंग और कुछ अन्य विनिर्दिष्ट सेवाएं भी दे सकेंगै। 2015 में केंद्रीय बैंक ने 11 कंपनियों या कंपनियों के गठबंधनों को भुगतान बैंक का लाइसेंस देने की सैद्धांतिक सहमति दी थी जिसमें से कुछ ने अपनी योजना छोड़ दी है।
  • भारतीय डाक का भुगतान बैंक गांवों, कस्बों और दूरदराज के इलाकों में बैंकिंग सुविधाओं से वंचित तथा कम बैंकिंग वाले इलाकों में भुगतान बैंक के जरिए लोगों में अपनी पैठ बनाएगा। भारतीय डाक के ये बैंक ‘भारतीय डाक भुगतान बैंक’ के नाम से जाने जाएंगे।
  • भारतीय डाक की पूरे देश में 1 लाख, 54 हज़ार, 939 शाखाएं हैं और इनमें करीब 1.40 लाख शाखाएं ग्रामीण इलाकों में हैं।
    2015 में केंद्रीय बैंक ने 11 भुगतान बैंक शुरू करने की योजना मंजूर की थी। इनमें एयरटेल एम कॉमर्स लिमिटेड और पेटीएम को पहले ही लाइसेंस जारी किए जा चुके हैं।

भुगतान बैंक क्या हैं?:–

  • भुगतान बैंक एक विशेष प्रकार का बैंक है जिसे सीमित दायरे में बैंकिंग कार्य करने की अनुमति दी जाती है। ये बैंक जमाओं पर आधारित हैं जो ग्राहकों का पैसा जमा तो कर सकते हैं परंतु ग्राहकों को ऋण नहीं दे सकते।
  • प्रारंभ में ये बैंक प्रत्येक ग्राहक से अधिकतम 1 लाख रुपए की जमाराशि स्वीकार कर सकते हैं तथा इन जमाराशियों को नकदी या सरकारी प्रतिभूतियों में ही निवेश कर सकते हैं।
  • भुगतान बैंक एटीएम/डैबिट कार्ड तो जारी कर सकता है परंतु क्रैडिट कार्ड जारी नहीं कर सकता। ये अपने ग्राहकों को विभिन्न प्रौद्योगिक प्रणालियों के माध्यम से भुगतान और धन भेजने की सेवाएं प्रदान कर सकते हैं व म्यूचुअल फंड इकाइयों और बीमा उत्पाद जैसे जोखिम रहित सरल वित्तीय उत्पादों का वितरण कर सकते हैं।
  • इन्हें बैंकिंग नियमावली 1987 की धारा 22 के अंतर्गत लाइसैंस जारी किए गए हैं। ये बैंक अपनी बैंकिंग सेवा, गांवों, कसबों और छोटे कामगारों तक बैंकिंग सुविधाओं को पहुंचाने का प्रयास करते हैं जिस से छोटे कारोबारी भी इन के माध्यम से आसानी से अपना पैसा जमा व अन्य लेनदेन कर सकें।
    इन बैंकों द्वारा इंटरनैट बैंकिंग की सुविधा भी प्रदान की जा सकेगी। भुगतान बैंक प्रीपेमैंट कार्ड के अलावा गिफ्ट कार्ड और मैट्रो कार्ड के साथ प्रौद्योगिकी आधारित लगभग सभी सेवाएं दे सकते हैं।

भुगतान बैंक के उद्देश्य–

    ग्राहकों के धन को सुरक्षित रखना और जब भी जरूरत पड़े उन का भुगतान करना तथा ग्रामीण जनता में वित्तीय प्रवेश को बढ़ावा देना जिस के तहत लघु बचत खाते खोलना, प्रवासी श्रमिक वर्ग, निम्न आय अर्जित करने वाले परिवारों, लघु कारोबारों, असंगठित क्षेत्र की अन्य संस्थानों व अन्य उपयोगकर्ताओं को भुगतान एवं विप्रेषण सेवाएं प्रदान करना ही इन बैंकों का मुख्य उद्देश्य है।

भुगतान बैंक की मुख्य विशेषताएं :

  • भुगतान बैंक का पूंजी आधार 100 करोड़ रुपए का होगा। भुगतान बैंक को सिर्फ भुगतान करने का अधिकार होगा। इन्हें ऋण सेवाएं देने और प्रवासी भारतीयों का खाता खोलने की अनुमति नहीं होगी। भुगतान बैंकों में शुरू में प्रति ग्राहक अधिकतम 1 लाख रुपए तक की राशि जमा रखने की अनुमति होगी।
  • भुगतान बैंक एटीएम डैबिट कार्ड तथा अन्य पूर्व जमा वाले भुगतान कार्ड आदि जारी कर सकेंगे लेकिन ये बैंक क्रैडिट कार्ड जारी नहीं कर सकेंगे। ये बैंक बिना जोखिम वाले साधारण वित्तीय उत्पाद जैसे बीमा उत्पादों के वितरण आदि का काम भी कर सकते हैं।
  • इन के जरिए एक जगह से दूसरी जगह पैसे का भुगतान किया जा सकेगा, ये अपने प्रतिनिधियों, एटीएम व शाखाओं से नकदी का भुगतान करने का काम करेंगे।

जीएसएलवी एमके-3 रॉकेट के लिए क्रायोजेनिक इंजन का परीक्षण :

    भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने ज्यादा क्षमता वाले स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन का सफल परीक्षण किया है। रॉकेट ‘जीएसएलवी एमके 3’ की लांचिंग की दिशा में यह बड़ी उपलब्धि है। इस रॉकेट को इसी तिमाही में लांच किया जाना है। ‘जीएसएलवी एमके 3’ को अगली पीढ़ी का लांचर माना जा रहा है।

  • इसकी क्षमता चार टन तक के वजन के साथ सेटेलाइट को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट में पहुंचाने की है। रॉकेट लांचिंग के दौरान क्रायोजेनिक इंजन का इस्तेमाल बाद के चरणों में लांचर को अधिकतम वेग से धकेलने के लिए किया जाता है ताकि भारी वजन वाले सेटेलाइट को अंतरिक्ष की मनमाफिक कक्षा में पहुंचाया जा सके।
  • क्रायोजेनिक अपर स्टेज सी-25 इंजन का यह परीक्षण तमिलनाडु के महेंद्रगिरि स्थित इसरो प्रोपल्शन कॉम्प्लेक्स में किया गया।
  • सी-25 इसरो द्वारा बनाया गया सर्वाधिक क्षमता वाला अपर स्टेज इंजन है। इसमें ईधन के रूप में तरल ऑक्सीजन और तरल हाइड्रोजन का इस्तेमाल होता है।

क्रायोजेनिक इंजन:

  • भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान में प्रयुक्त होने वाली द्रव ईंधन चालित इंजन में ईंधन बहुत कम तापमान पर भरा जाता है, इसलिए ऐसे इंजन निम्नतापी रॉकेट इंजन या तुषारजनिक रॉकेट इंजन (क्रायोजेनिक रॉकेट इंजिन) कहलाते हैं। इस तरह के रॉकेट इंजन में अत्यधिक ठंडी और द्रवीकृत गैसों को ईंधन और ऑक्सीकारक के रूप में प्रयोग किया जाता है। इस इंजन में हाइड्रोजन और ईंधन क्रमश: ईंधन और ऑक्सीकारक का कार्य करते हैं।
  • ठोस ईंधन की अपेक्षा यह कई गुना शक्तिशाली सिद्ध होते हैं और रॉकेट को बूस्ट देते हैं। विशेषकर लंबी दूरी और भारी रॉकेटों के लिए यह तकनीक आवश्यक होती है।
  • क्रायोजेनिक इंजन के थ्रस्ट में तापमान बहुत ऊंचा (2000 डिग्री सेल्सियस से अधिक) होता है। अत: ऐसे में सर्वाधिक प्राथमिक कार्य अत्यंत विपरीत तापमानों पर इंजन व्यवस्था बनाए रखने की क्षमता अर्जित करना होता है। क्रायोजेनिक इंजनों में -253 डिग्री सेल्सियस से लेकर 2000 डिग्री सेल्सियस तक का उतार-चढ़ाव होता है, इसलिए थ्रस्ट चैंबरों, टर्बाइनों और ईंधन के सिलेंडरों के लिए कुछ विशेष प्रकार की मिश्र-धातु की आवश्यकता होती है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बहुत कम तापमान को आसानी से झेल सकने वाली मिश्रधातु विकसित कर ली है।

जियोस्टेशनरी सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (जीएसएलवी):

  • भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान (जियोस्टेशनरी सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल) अंतरिक्ष में उपग्रह के प्रक्षेपण में सहायक यान है। ये यान उपग्रह को पृथ्वी की भूस्थिर कक्षा में स्थापित करने में मदद करता है। जीएसएलवी ऐसा बहुचरण रॉकेट होता है जो दो टन से अधिक भार के उपग्रह को पृथ्वी से 36000 कि॰मी॰ की ऊंचाई पर भू-स्थिर कक्षा में स्थापित कर देता है जो विषुवत वृत्त या भूमध्य रेखा की सीध में होता है।
  • गत कुछ वर्षो से ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) के बाद भारत ने उपग्रह भेजने में काफी सफलता प्राप्त की थी। जीएसएलवी अपने डिजाइन और सुविधाओं में ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान यानि पीएसएलवी से बेहतर होता है।
  • जीएसएलवी में इंजन के तीन स्तर होते हैं—पहले स्तर का इंजन ठोस ईंधन पर चलता है, दूसरे स्तर पर द्रव और ठोस ईंधन होता है और तीसरा सबसे ताकतवर इंजन क्रायोजेनिक होता है, जो उसे ज्यादा ऊंचाई तक ले जाता है। भारत के अब तक के जीएसएलवी कार्यक्रमों में कुछ आंशिक सफल रहे और कुछ असफल रहे, लेकिन पूरी तरह से स्वदेशी जीएसएलवी एक भी बार सफल नहीं हो पाया। अधिकांश जीएसएलवी कार्यक्रमों में रूसी क्रायोजेनिक इंजन इस्तेमाल किए गए।

विश्व कुष्ठ उन्मूलन दिवस :

    विश्व कुष्ठ उन्मूलन दिवस प्रतिवर्ष जनवरी माह के अंतिम रविवार को मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य, कुष्ठ रोग से पीड़ित लोगों की सहायता तथा इस रोग से पीड़ित लोगों की देखभाल करने वाले व्यक्तियों को प्रशिक्षित करने के बारे में जागरूकता पैदा करना हैं। इस दिवस के अवसर पर संसार भर के लोग कुष्ठ रोग से पीड़ित लोगों को सहयोग प्रदान करते हैं तथा कुष्ठ रोग से पीड़ित होने वाले लोगों की सहायता के लिए धन भी इकट्ठा करते हैं।

  • वर्ष 2017 के लिए विश्व कुष्ठ उन्मूलन दिवस की थीम, “जीरो डिसेबिलिटी अमंग चिल्ड्रन अफ्फेक्टेड बाई लेप्रोसी” है।
  • एक रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2015 में विश्व स्तर पर 212000 लोगों को कुष्ठ रोग हुआ था जिसमे से 60% भारतीय थे, अन्य उच्च बोझ वाले देश ब्राजील और इंडोनेशिया थे। नए मामलों में 8.9% बच्चे थे और 6.7% विकृति के साथ दिखाई दे रहे थे।

कुष्ठ रोग:

  • कुष्ठ रोग माइकोबैक्टीरियम लेप्री के कारण होने वाला एक क्रोनिक संक्रामक रोग है, जिसके परिणामस्वरूप त्वचा पर गंभीर कुरूप घाव हो जाते हैं तथा हाथों और पैरों की तंत्रिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। इस रोग को हैन्सेन का रोग (इस रोग के बैक्टीरिया की खोज़ करने वाले चिकित्सक डॉ. आर्मोर हैन्सेन के नाम रखा गया है) के रूप में भी जाना जाता है।
  • कुष्ठ रोग को मल्टी ड्रग थेरेपी (एमडीटी) द्वारा सुसाध्य और उपचारित किया जा सकता हैं।

कुष्ठ रोग की रोकथाम के क्षेत्र में भारत की उपलब्धियां:

  • भारत में कुष्ठ रोग के इलाज के लिए दुनिया का पहला टीका विकसित किया गया है। दुनिया में सबसे ज़्यादा कुष्ठ रोगी भारत में ही हैं। इस लिहाज से टीके को एक बड़ी कामयाबी के रूप में देखा जा रहा है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की निदेशक डॉक्टर सौम्या स्वामीनाथन के अनुसार भारत में विकसित टीका पूरी दुनिया में कुष्ठ रोग के लिए पहला टीका है।
  • नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इम्यूनोलॉजी के जीपी तलवार ने इस टीके को विकसित किया है। ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया और अमेरिका की एफडीए की मंजूरी इस टीके को मिल चुकी है।
  • कुष्ठ के जीवाणुओं के शिकार लोगों के संपर्क में रहने वाले भी इस गंभीर बीमारी से संक्रमित हो जाते हैं। यह टीका उनके लिए भी कारगर साबित होगा।

भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने 111 करोड़ आधार नंबर जारी :

    देश के करीब हर व्यस्क नागरिक के पास आधार कार्ड हो चुका है। 18 साल से ज्यादा उम्र के करीब 99 प्रतिशत भारतीयों के पास अपना आधार कार्ड है। अब तक 111 करोड़ से ज्यादा नागरिकों ने आधार कार्ड के लिए नामांकन करा लिया है। आधार कार्ड नामांकन में आई तेजी से भारत को लेस-कैश सोसाइटी बनाने के सरकार के उस मुहिम को बल मिलेगा, क्योंकि इससे सरकार लोगों से ‘आधारपे’ के इस्तेमाल को प्रोत्साहित कर सकेगी। आधारपे आधार कार्ड पर आधारित पेमेंट सिस्टम है।

आधार के लाभ:

  • अगर आपके पास आधार कार्ड है तो आप घर बैठे प्रॉपर्टी ट्रांजेक्शन्स कर सकते हैं। यानी की आधार कार्ड धारकों के लिए प्रॉपर्टी ट्रांजेक्शन पेपरलैस, कैशलेस और ह्यूमन लेस हो गया है। इसके लिए बस आपको अपना बैंक खाता, आधार और बायोमीट्रिक डिटेल्स देना होगा।
  • अगर आप आधार कार्ड होल्डर हैं तो आप ई-हॉस्पिटल सेवाओं का लाभ उठा सकते हैं। इस के लिए आपको सरकारी अस्पतालों और बड़े प्राइवेट अस्पतालों में आधार कार्ड के जरिए अपॉइंटमेंट बुक करा सकते हैं।
  • दुनिया के सबसे अमीर मंदिर तिरुपति के बालाजी मंदिर में अंगप्रदक्षिणम रस्म को करने के लिए बुकिंग के लिए आधार कार्ड को अनिवार्य कर दिया है। ऐसा इस लिए ताकि एक इंसान केवल एक बार ही इस पूजा को कर सके।
  • कॉलेजों में एडमिशन के लिए आधार कार्ड को अनिवार्य कर दिया गया है। अगर आप सरकार या यूजीसी से किसी तरह की स्कॉलरशिप पाना चाहते हैं तो आपको अपना आधार कार्ड देना होगा।
  • डिजिटल इंडिया के तहत डिजिलॉकर खुलवाने के लिए आप को अपना आधार कार्ड देना होगा। आधार कार्ड के इस्तेमाल से आप अपना ईलॉकर बनाकर उसमें अप ने ई-डॉक्यूमेंट जमा करा सकेंगे।
  • आयकर विभाग ने लोगों को आधार कार्ड के जरिए आयकर रिटर्न को ई-वेरिफाई करने की सुविधा दी है। यानी अब इनकम टैक्स रिटर्न भर ने के लिए आपको ई-फाइलिंग खाते को आधार कार्ड के साथ जोड़ना होगा।
  • देश के सरकारी स्कूलों में बच्चों के लिए चलने वाली सारी योजनाएं जैसे मिड-डे मील, प्राइमरी हेल्थकेयर और आरंभिक शिक्षा के लिए आधार कार्ड अनिवार्य है।

आधार कार्ड:

    यह भारत सरकार द्वारा भारत के नागरिकों को जारी किया जाने वाला पहचान पत्र है। इसमें 12 अंकों की एक विशिष्ट संख्या छपी होती है जिसे भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (भा.वि.प.प्रा.) जारी करता है। यह संख्या, भारत में कहीं भी, व्यक्ति की पहचान और पते का प्रमाण होगा। भारतीय डाक द्वारा प्राप्त और यू.आई.डी.ए.आई. की वेबसाइट से डाउनलोड किया गया ई-आधार दोनों ही समान रूप से मान्य हैं।
    कोई भी व्यक्ति आधार के लिए नामांकन करवा सकता है बशर्ते वह भारत का निवासी हो और यू.आई.डी.ए.आई. द्वारा निर्धारित सत्यापन प्रक्रिया को पूरा करता हो, चाहे उसकी उम्र और लिंग (जेण्डर) कुछ भी हो। प्रत्येक व्यक्ति केवल एक बार नामांकन करवा सकता है। नामांकन निशुल्क है। आधार कार्ड एक पहचान पत्र मात्र है तथा यह नागरिकता का प्रमाणपत्र नहीं है।

इंटरनेशनल होलोकॉस्ट रिमेम्बरेंस डे

  • प्रलय के शिकार लोगों के स्मरण के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस (इंटरनेशनल होलोकॉस्ट रिमेम्बरेंस डे) 27 जनवरी 2017 को मनाया जा रहा है। इंटरनेशनल होलोकॉस्ट रिमेम्बरेंस डे को संयुक्त राष्ट्र महासभा के रेज़ोल्युशम द्वारा 01 नवम्बर 2005 को स्थापित किया गया था। इसके लिए दस्तावेज़ रूस, इजरायल, यूक्रेन, अमेरिका और कम से कम 90 अन्य देशों द्वारा शुरू किये गए थे।
  • वर्ष 2017 में होलोकॉस्ट मेमोरियल समारोह को शामिल करते हुए, होलोकॉस्ट रिमेम्बरेंस और एजुकेशन एक्टिविटीज के लिए इस वर्ष का विषय, “होलोकॉस्ट रिमेम्बरेंस: एडुकेटिंग फॉर अ बेटर फ्यूचर” है। होलोकॉस्ट (प्रलय) इतिहास में एक निर्णायक मोड़ था और उसके सबक चरमपंथ के खतरे और नरसंहार की रोकथाम के बारे में सिखाने के लिए काफी है।

जेनेटिकली मॉडिफाइड मच्छरों की मदद से डेंगू, चिकनगुनिया और ज़ीका को समाप्त करने के परीक्षण शुरू:

    डेंगू, जीका और चिकनगुनिया जैसी मच्छरों के काटने से होने वाली बीमारियों से बचने का उपाय कई सालों से खोजा जा रहा है। इन बीमारियों की रोकथाम के लिए अब वैज्ञानिकों ने आनुवंशिक रूप से संशोधित मच्छरों के आउटडोर बंदी परीक्षणों को महाराष्ट्र के जालना जिले के दवलबाड़ी, बदनापुर में शुरू किया है।

  • अपनी दक्षता प्रदर्शित करने के लिए, यह तकनीक जंगली मादा मच्छरों की आबादी को कम करेगी जोकि डेंगू, चिकनगुनिया और ज़ीका जैसी बीमारियां फैलाती है। यह परीक्षण ऑक्सीटेक द्वारा आयोजित किये गए है और इसमें रिलीज ऑफ़ इंसेक्ट्स कैरीइंग डोमिनेंट लीथल जीन्स (RIDL) तकनीक का उपयोग किया गया है।
  • ऑक्सीटेक की तकनीक जीएम पुरुष एडीज एजिप्टी मच्छरों का उपयोग करती है जोकि एक प्रमुख घातक जीन रखते हैं। ये मच्छर मादा एडीज मच्छरों के साथ यौन क्रिया में संलिप्त होने के तुरंत बाद मर जाएंगे।
  • सहवास के दौरान प्रयोगशाला में विकसित मच्छर मादा एडीज में अपना आनुवंशिक दोष हस्तांतरित कर देंगे जो जल्दी मौत का कारण बनते हैं। इस आनुवंशिक दोष से ग्रसित मादा एडीज जिन बच्चों (मच्छरों) को जन्म देगी, वे जन्म लेते ही मर जाएंगे। इससे डेंगू, जीका, चिकनगुनिया जैसी मच्छरों के काटने से होने वाली बीमारियों का खतरा कम हो जाएगा।
  • आनुवंशिक रूप से संशोधित इन मच्छरों का परीक्षण पनामा, केमैन द्वीप और ब्राजील के बाहिया में पांच बार 2011 से 2014 के बीच किया गया। जिन इलाकों में यह परीक्षण किया गया वहां मादा एडीज मच्छरों की संख्या काफी अधिक थी। परीक्षण में पाया गया कि आनुवंशिक रूप संशोधित इन मच्छरों को छोड़ने के बाद वहां मादा एडीज मच्छरों की संख्या में 90 फीसदी तक की गिरावट आ गई थी।
  • इस मच्छर को ब्रिटेन की कंपनी ‘ऑक्सीटेक’ ने बनाया है। इस फर्म के प्रेसीडेंट हेडन पैरी का दावा है कि कंपनी हर सप्ताह छह करोड़ से अधिक मच्छरों का निर्माण कर सकती है। प्रथम चरण में ब्राजील के पीरासिकाबा शहर में एक करोड़ आनुवंशिक रूप से संशोधित मच्छर छोड़े गए थे। इस शहर की कुल जमसंख्या 3.6 लाख है।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के मुताबिक हर साल दुनियाभर में करीब 40 करोड़ लोग डेंगू से प्रभावित होते हैं। इस बीमारी की चपेट में विश्व के करीब 130 देश हैं। वर्ष 1970 से पहले डेंगू के गंभीर मामले केवल नौ देशों में पाए गए थे। इसका फैलाव अफ्रीका, एशिया और अमेरिका के साथ कुछ यूरोपीय देशों में भी हुआ है।

भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच हुए 14 अहम करार:

    भारत और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने अपने रणनीतिक संबंधों को मजबूती प्रदान करने के लिए 25 जनवरी 2017 को समग्र रणनीतिक साझेदारी के अलावा रक्षा, सुरक्षा, व्यापार एवं ऊर्जा जैसे अहम क्षेत्रों में एक दर्जन से अधिक समझौतों पर हस्ताक्षर किए।

    दोनों देशों के बीच जिन मुख्य समझौतें इस प्रकार है:

  • व्यापक सामरिक भागीदारी समझौता
  • रक्षा उद्योग के क्षेत्र में सहयोग
  • समुद्री परिवहन पर संस्थागत सहयोग
  • भूमि और समुद्री परिवहन प्रशिक्षण
  • भूमि और संयुक्त अरब अमीरात के समुद्री राजमार्ग
  • मानव तस्करी रोकने
  • सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम के क्षेत्र में सहयोग और नवाचार के लिए समझौता
  • कृषि व जलवायु परिवर्तन संबंधित क्षेत्रों के बीच समझौता
  • दोनों देशों के बीच राजनयिक विशेष और सरकारी पासपोर्ट धारकों के लिए प्रवेश वीजा आवश्यकताओं के आपसी छूट संबंधी समझौता
  • प्रसार भारती व अमीरात समाचार एजेंसी के बीच समझौता
  • वाणिज्य मंत्रालय और भारत गणराज्य के उद्योग और व्यापार में आपसी हित के क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए समझौता
  • तेल भंडारण और प्रबंधन पर करार और दोनों देशों के बीच राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद और अल इतिहाद ऊर्जा सेवा कंपनी एलएलसी के बीच समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किए गए।
  • इसके अलावा एक केन्द्रीय विद्युत क्षेत्र के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (पॉवरग्रिड) और अबू धाबी जल एवं विद्युत प्राधिकरण के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं।

क्योटो प्रोटोकॉल सम्बंधित बिल के लिए कैबिनेट ने मंजूरी दे दी:

    केन्द्र सरकार ने क्योटो करार के दूसरे प्रतिबद्धता काल को मंजूर करने पर सहमति जता दी है। क्योटो करार के तहत देशों को ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन पर नियंत्रण करना है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट ने अंतरराष्ट्रीय करार के दूसरे प्रतिबद्धता काल को मंजूरी देने पर सहमति जताई जिसे 2012 में देशों ने अंगीकार किया था और अब तक 65 देश दूसरे प्रतिबद्धता काल को मंजूरी दे चुके हैं।

  • भारत द्वारा क्योटो करार को मंजूरी देने से दूसरे विकासशील देश भी इस पर सहमति जताने को प्रोत्साहित होंगे। इस प्रतिबद्धता काल के दौरान स्वच्छ विकास प्रणाली परियोजनाओं को लागू करना सतत: विकास प्राथमिकताओं के मुताबिक होगा जिससे भारत में कुछ निवेश भी आकर्षित होंगे।
  • जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र संरचना सम्मेलन (यूएनएफसीसी) में वायुमंडल में ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन को स्थिर करने का आग्रह किया गया है ताकि जलवायु प्रणाली में कम से कम हस्तक्षेप हो।

क्योटो प्रोटोकॉल

  • क्योटो प्रोटोकॉल संयुक्त राष्ट्र के पर्यावरण बदलाव पर एक अंतराष्ट्रीय संधि है। इस संधि पर दिसम्बर, 1997 में क्योटो सम्मेलन के दौरान हस्ताक्षर किये गये। यह एक क़ानूनी एवं बाध्यकारी संधि हैं। इसके तहत संधि में शामिल सभी 38 विकसित देशों द्वारा सामूहिक रूप से ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन को 1990 के स्तर पर लाने के लिए 2012 तक 5.2 प्रतिशत कटौती करने का संकल्प व्यक्त किया गया है।
  • इसका लक्ष्य ग्रीन हाउस गैसों, यथा-कार्बन डाईऑक्साइड, मीथेन, नाइट्रस ऑक्साइड, सल्फर क्लोराइड, हाइड्रो क्लोरो कार्बन और क्लोरो-फ्लोरा कार्बन के उत्सर्जन में वर्ष 2008 से 2012 तक प्रभावी कमी करना है। प्रोटोकॉल में स्पष्ट से रूप से उल्लेख किया गया है कि समझौते को लागू करने हेतु सम्मेलन में शामिल सभी 55 देशों, जिनमें 38 विकसित देश भी शामिल है, द्वारा पुष्टि होनी चाहिए एवं इन देशों का उत्सर्जन स्तर कुल ग्रीन हाउस उत्सर्जन का 55 प्रतिशत हो।

एफआरबीएम समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंपी:

    पूर्व राजस्व एवं व्यय सचिव और पूर्व सांसद एन. के. सिंह की अध्यक्षता वाली राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन (एफआरबीएम) समिति ने 23 जनवरी 2017 को अपनी रिपोर्ट केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली को सौंपी। समिति के अन्य सदस्य भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर डॉ. उर्जित आर. पटेल, पूर्व वित्त सचिव सुमित बोस, मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ. अरविंद सुब्रमण्यम और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी (एनआईपीएफपी) के निदेशक डॉ. रथिन राय भी इस अवसर पर उपस्थित थे। सरकार इस रिपोर्ट की जांच करने के बाद उचित कार्रवाई करेगी।
    सरकार ने मई, 2016 में पूर्व राजस्व और व्यय सचिव और सांसद एन. के. सिंह की अध्यक्षता में राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन (एफआरबीएम) अधिनियम की समीक्षा के लिए इस समिति का गठन किया था।

  • इस समिति के व्यापक विचारणीय विषयों (टीओआर) में समकालीन परिवर्तनों के आलोक में मौजूदा एफआरबीएम अधिनियम, पिछले निष्कर्षों, वैश्विक आर्थिक गतिविधियों, श्रेष्ठ अंतर्राष्ट्रीय व्यवहारों की व्यापक समीक्षा करना और भविष्य के वित्तीय ढांचे और देश की योजनाओं की सिफारिश करना शामिल हैं।
  • बाद में, चौदहवें वित्तीय आयोग और व्यय प्रबंधन आयोग की कुछ सिफारिशों के बारे में समिति का मत प्राप्त करने के लिए इसके विचारणीय विषयों बढ़ाया गया। ये विषय मुख्य रूप से वित्तीय मामलों के साथ-साथ बजट में नए पूंजीगत व्यय के साथ जुड़े कुछ वित्तीय मुद्दों पर संस्थागत ढांचे को मजबूत बनाने से संबंधित हैं।
  • समिति ने अनेक हित धारकों के साथ व्यापक विचार-विमर्श किया। इसे प्रख्यात राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संगठनों और विशेषज्ञों से भी जानकारी प्राप्त हुई। समिति ने भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों के साथ-साथ राज्य सरकारों के साथ भी बातचीत का आयोजन किया।

राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन अधिनियम (एफआरबीएम):

  • एफआरबीएम अधिनियम को केंद्र एवं राज्य सरकारों में वित्तीय अनुशासन बनाए रखने के लिए लाया गया। इस विधेयक को संसद में वर्ष 2000 में प्रस्तुत किया गया, वर्ष 2003 में इसे लोकसभा में पारित किया गया और वर्ष 2004 में इसे लागू कर दिया गया।
  • इस विधेयक में राजस्व घाटे (revenue deficit) व राजकोषीय घाटे (fiscal deficit) को चरणबद्ध तरीके से इस प्रकार कम करना था कि वर्ष 2008–09 में राजकोषीय घाटा (fiscal deficit) 3% तथा राजस्व घाटा(revenue deficit) 0% के स्तर पर लाया जाए। किन्तु अनेक कारणों से यह लक्ष्य प्राप्त नहीं हो पाया बल्कि वर्ष 2008-09 में राजकोषीय घाटा बढ़कर जीडीपी का 6.2 प्रतिशत तक जा पहुंचा था।
  • इस अधिनियम में मौद्रिक नीति के प्रभावी संचालन तथा विवेकपूर्ण ऋण प्रबंधन के प्रभावी संचालन के जरिए जो केन्द्र सरकार के उधारों, ऋण तथा घाटे पर सीमाओं के माध्यम से राजकोषीय निरंतरता बनाए रखने, केन्द्र सरकार के राजकोषीय प्रचालनों में बेहतर पारदर्शिता अपनाने तथा मध्यावधि रुपरेखा में राजकोषीय नीति का संचालन करने और उससे संबद्ध मामलों अथवा आनुषंगिक मामलों के अनुरुप है, पर्याप्त राजस्व अधिशेष प्राप्त कर तथा राजकोषीय अड़चनों को दूर करते हुए राजकोषीय प्रबंधन में अंतर-सामूहिक इक्विटी तथा दीर्घकालिक व्यापक आर्थिक स्थायित्व के सुनिश्चयन हेतु केन्द्र सरकार पर दायित्व डाला गया है।

राष्ट्रीय बालिका दिवस:

  • राष्ट्रीय बालिका दिवस 24 जनवरी को मनाया जाता है। 24 जनवरी के दिन इंदिरा गांधी को नारी शक्ति के रूप में याद किया जाता है। इस दिन इंदिरा गांधी पहली बार प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठी थी इसलिए इस दिन को राष्ट्रीय बालिका दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया है। यह निर्णय राष्ट्रीय स्तर पर लिया गया है।
  • वर्ष 2016 भारत के लिए गर्व का वर्ष रहा है। इस वर्ष ओलिंपिक और पैरा ओलिंपिक में लड़कियों का शानदार प्रदर्शन रहा और भारतीय सेना में बेटियां पहली बार लड़ाकू पायलट के रूप में शामिल की गईं। इस अवसर पर महिला और बाल विकास मंत्रालय ने किया नई दिल्ली में वर्ष 2016 में देश की बेटियों की सराहनीय उपलब्धियों को देखते हुए राष्ट्रीय बलिका दिवस का आयोजन कर रहा है।
  • इस अवसर पर बालिकाओं के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना जारी की गयी। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना के अंतर्गत 10 जिलों को सराहनीय प्रदर्शन के लिए सम्मानित किया जाएगा। बालिकाओं के सशक्तिकरण पर दिल्ली में केंद्रीय विद्यालय की छात्राओं के लिए आयोजित क्षेत्रीय स्तर की क्वीज प्रतियोगिता के विजेताओं को कल पुरस्कार दिए जाएंगे।
  • समारोह में भारत सरकार के सूचना और प्रसारण मंत्रालय के गीत और नाटक प्रभाग की टुकडि़यों द्वारा क्षेत्रीय प्रदर्शन किया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लैंगिक भेदभाव को नकारने और समान अवसर सुनिश्चित करने की जरुरत को रेखांकित करते हुए बालिका दिवस पर बधाई दी।

चीन ने दुनिया का सबसे बड़ा सोलर फार्म ‘लोंगयांगसिया डैम सोलर पार्क’ बनाया:

    चीन ने दुनिया का सबसे बड़ा सोलर फार्म ‘लोंगयांगसिया डैम सोलर पार्क’ बनाया है। इस सौर ऊर्जा परियोजना में सौर पैनलों के द्वारा 27 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र घेरा गया है तथा इस पर 6 अरब युआन की कुल लागत आयी है। यह प्लांट 850 मेगावॉट ऊर्जा प्रदान करेगा जोकि 200,000 घरों तक आपूर्ति करने के लिए पर्याप्त होगी। इस प्लांट के दाहिनी तरफ एक बड़ा सा बोर्ड भी लगा होगा जिस पर “प्रमोट ग्रीन डेवलपमेंट! डेवेलप क्लीन एनर्जी” का नारा लिखा हुआ है।

  • इस सोलर पार्क से उत्पादित सोलर (सौर) ऊर्जा अब तक सूर्य से उत्पादित सर्वाधिक ऊर्जा होगी। चीन में कई सारे लोग कोयले पर अपनी निर्भरता को कम करने के लिए जरूरत के रूप में इस परियोजना के बारे में अत्यधिक उत्साहित हैं।
  • चीन दुनिया में सर्वाधिक प्रदूषण फैलाने वाले देशों में से एक है।

सौर ऊर्जा:

  • सौर ऊर्जा वह उर्जा है जो सीधे सूर्य से प्राप्त की जाती है। सौर ऊर्जा ही मौसम एवं जलवायु का परिवर्तन करती है। यहीं धरती पर सभी प्रकार के जीवन (पेड़-पौधे और जीव-जन्तु) का सहारा है।
  • वैसे तो सौर उर्जा के विविध प्रकार से प्रयोग किया जाता है, किन्तु सूर्य की उर्जा को विद्युत उर्जा में बदलने को ही मुख्य रूप से सौर उर्जा के रूप में जाना जाता है। सूर्य की उर्जा को दो प्रकार से विदुत उर्जा में बदला जा सकता है। पहला प्रकाश-विद्युत सेल की सहायता से और दूसरा किसी तरल पदार्थ को सूर्य की उष्मा से गर्म करने के बाद इससे विद्युत जनित्र चलाकर।

विशेषताएँ:

    सूर्य से सीधे प्राप्त होने वाली ऊर्जा में कई खास विशेषताएं हैं। जो इस स्रोत को आकर्षक बनाती हैं। इनमें इसका अत्यधिक विस्तारित होना, अप्रदूषणकारी होना व अक्षुण होना प्रमुख हैं। सम्पूर्ण भारतीय भूभाग पर 5000 लाख करोड़ किलोवाट घंटा प्रति वर्ग मी० के बराबर सौर ऊर्जा आती है जो कि विश्व की संपूर्ण विद्युत खपत से कई गुने अधिक है। साफ धूप वाले (बिना धुंध व बादल के) दिनों में प्रतिदिन का औसत सौर-ऊर्जा का सम्पात 4 से 7 किलोवाट घंटा प्रति वर्ग मीटर तक होता है।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने 5 गैर संचारी रोगों के नियंत्रण के लिए कार्यक्रम शुरू किया:

    स्वास्थ्य मंत्रालय ने ह्दय रोग, आघात, कैंसर, मधुमेह और क्रोनिक श्वसन रोग (क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी रोग और अस्थमा) जैसे गैर संचारी रोगों से बचाव और उनके नियंत्रण के लिए एक विशेष योजना शुरु की है।

  • सरकारी आंकड़ों के अनुसार देश में होने वाली कुल मौतों में से साठ फीसदी इन बीमारियों के कारण ही होती हैं। इनमें से 55 फीसदी मौत कम उम्र में हो जाती है जिसके कारण परिवारों और देश के उपर इन रोगों के इलाज का बड़ा खर्च आता है।
  • विश्व आर्थिक मंच के अनुसार, भारत को गैर संचारी रोगों के कारण वर्ष 2012 और 2030 के बीच 4.58 ट्रिलियन डॉलर (311.94 खरब रुपये) का नुक्सान होगा। चूंकि इन बीमारियों में जटिलताओं के लक्षण उनके बढ़ने तक प्रदर्शित नहीं होते हैं, अतः उनका जल्दी पता लगाया जाना इलाज के लिए आवश्यक है।
  • गैर संचारी रोगों के जल्दी पता लगा लेने से न केवल उपचार की शुरुआत आसान हो जाती है बल्कि उच्च वित्तीय लागत और पीड़ा से भी मुक्ति मिल जाती है। कुछ तरह के कैंसर के लिए, जिनका पता प्रारंभिक अवस्था में चल जाता है उनका इलाज आसानी से उपलब्ध हो पाता है।
  • राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के हिस्से के रूप में, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय 5 गैर संचारी रोगों अर्थात् उच्च रक्तचाप, मधुमेह, ओरल कैविटी, स्तन और गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर की रोकथाम के लिए जनसंख्या के आधार पर रोकथाम, जांच और नियंत्रण कार्यक्रम की शुरूआत कर रही है।
  • विश्व कैंसर दिवस, 4 फरवरी 2017 को केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री के द्वारा इस कार्यक्रम को शुरू करने की उम्मीद है। अग्रपंक्ति के कार्यकर्ताओं (आशा और एएनएम) के प्रशिक्षण कुछ उप-केन्द्रों में शुरू किये जाएंगे और जनसंख्या आधारित स्क्रीनिंग भी शुरू कर देंगे।
  • उपचार के लिए विस्तृत प्रोटोकॉल, इन बीमारियों की स्थिति पर रेफेरल और इनका अनुवर्तन प्रदान किया जाएगा। पहले चरण में, जनसंख्या आधारित स्क्रीनिंग घटक 32 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 100 जिलों में 1000 उप केंद्रों पर इस वर्ष के 31 मार्च तक शुरू की जाएगी।
  • आशाओं को प्रमुख जोखिम वाले कारकों के बारे में जानकारी उपलब्ध होगी, और यह एनसीडी की शुरुआत को रोकने में मदद करेगी। बाद के चरणों में,क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव श्वसन रोगों को भी शामिल किया जाएगा और इस कार्यक्रम के लिए अन्य जिलों को भी कवर करने के लिए आगे बढ़ा जाएगा। सामुदायिक स्वास्थ्य, बीमारियों की रोकथाम के प्रयासों, रेफरल और उपचार को बढ़ावा देने के लिए राज्यों को समर्थन भी प्रदान किया जाएगा।

11वीं शिक्षा पर वार्षिक स्थिति रिपोर्ट (ASER) 2016 जारी:

    तमाम दावों के बावजूद सरकारें अपने स्कूलों को सक्षम नहीं बना सकी हैं। उनमें पढ़ाई का स्तर नहीं सुधर रहा। आलम यह है कि आज भी प्राथमिक स्तर पर पचास प्रतिशत बच्चे अपने से तीन क्लास नीचे की किताबें भी ढंग से नहीं पढ़ पाते। इसका खुलासा गैर सरकारी संगठन ‘प्रथम एजुकेशन फाउंडेशन’ की ‘ऐनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट (असर) 2016’ में हुआ है।

रिपोर्ट से जुड़े प्रमुख तथ्य:

  • निजी स्कूलों में 6 से 14 वर्ष के बच्चों के दाखिले की स्थिति मेेंं कोई परिवर्तन नहीं हुआ और यह 2016 में 30.5 प्रतिशत दर्ज किया गया जो साल 2014 में 30.8 प्रतिशत था।
  • रिपोर्ट के अनुसार, निजी स्कूलों में दाखिले में 7 से 10 वर्ष आयु वर्ग और 11-14 आयु वर्ग में लैंगिक अंतर में गिरावट दर्ज की गई है। निजी स्कूलों में 11 से 14 वर्ष आयु वर्ग में लड़के और लड़कियों के दाखिले का अंतर 2014 में 7.6 प्रतिशत था जो 2016 में घटकर 6.9 प्रतिशत दर्ज किया गया।
  • केरल और गुजरात में सरकारी स्कूलों में छात्रों के दाखिले में काफी वृद्धि हुई है। रिपोर्ट के अनुसार, केरल के सरकारी स्कूलों में 2014 में छात्रों का दाखिला 40.6 प्रतिशत दर्ज किया गया जो 2016 में बढ़कर 49.9 प्रतिशत हो गया।
  • इसी प्रकार से गुजरात के सरकारी स्कूलों में दाखिला 2014 के 79.2 प्रतिशत से बढ़कर 2016 में 86 प्रतिशत दर्ज किया गया। स्कूलों में दाखिले का अनुपात 2009 में 96 प्रतिशत था, वह 2014 में 96.7 प्रतिशत और 2016 में 96.9 प्रतिशत दर्ज किया गया।
  • राष्ट्रीय स्तर पर छात्रों के पुस्तक पढ़ने की क्षमता बेहतर हुई है विशेष तौर पर निजी स्कूल में प्रारंभिक स्तर पर। यह 40.2 प्रतिशत से बढ़कर 42.5 प्रतिशत दर्ज की गई है। अंकगणित में सरकारी स्कूल में प्रारंभिक स्तर के छात्रों का प्रदर्शन बेहतर हुआ है।
  • हालांकि हिमाचल, महाराष्ट्र, हरियाणा और केरल के सरकारी स्कूलों में स्थित कुछ बेहतर हुई है। जहां पांचवीं क्लास के बच्चों में साधारण अंग्रेजी पढ़ने की स्थिति में सुधार हुआ है। लेकिन 8वीं क्लास के बच्चों की स्थिति यहां भी पतली है। साल 2009 में 60.2 फीसदी के मुकाबले साल 2016 में आंकड़ा घटकर 45.2 फीसदी तक आ गया है।
  • रिपोर्ट के मुताबिक सरकारी स्कूलों की स्थिति निजी स्कूलों के मुकाबले सुधरी है। ग्रामीण भारत में सरकारी स्कूलों में दाखिला निजी स्कूलों के मुकाबले बढ़ा है और निजी स्कूलों की स्थिति जस की तस है।

राष्ट्रीय इस्पात नीति 2017 के मसौदे का लोकार्पण:

    चौधरी बीरेंद्र सिंह की अध्यक्षता में इस्पात मंत्रालय ने राष्ट्रीय इस्पात नीति 2017 का मसौदा जारी किया। यह मसौदा दस्तावेज राष्ट्रीय इस्पात नीति, 2005 में कुछ नई धाराएं जोड़कर और पहले से मौजूद धाराओं को बेहतर बनाकर कुछ बदलाव करेगा।
    उद्देश्य:

  • वर्ष 2030-31 तक 300 लाख टन कच्चे इस्पात की क्षमता के साथ एक विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी उद्योग का निर्माण करना।
  • वर्ष 2030-31 तक 160 किग्रा प्रति व्यक्ति इस्पात की खपत बढ़ाना।
  • वर्ष 2030-31 तक उच्च ग्रेड ऑटोमोटिव स्टील, इलेक्ट्रिक स्टील, विशेष स्टील्स और सामरिक अनुप्रयोगों के लिए मिश्रित धातु की मांग को पूरा करना।
  • वर्ष 2030-31 वॉश्ड कोकिंग कोयले की घरेलू उपलब्धता को बढ़ाकर इसके आयात पर निर्भरता को 50% तक कम करना।
  • 2025-26 से स्टील का शुद्ध निर्यातक बनना।
  • सुरक्षित और स्थायी तरीके से वर्ष 2030-31 तक स्टील के उत्पादन में विश्व में अग्रणी स्थान पर पहुंचना।
  • घरेलू इस्पात उत्पादों के लिए गुणवत्ता मानकों को विकसित और लागू करना।

इस्पात क्षेत्र का परिदृश्य:

  • वर्ष 2014 में विश्व में क्रूड स्टील का उत्पादन बढ़कर 1665 मिलियन टन हो गया तथा इसमें 2013 से 1% की वृद्धि हुई है।
  • वर्ष 2014 में चीन विश्व का क्रूड स्टील का सबसे बड़ा उत्पादक देश बन गया है। इसके बाद जापान एवं फिर संयुक्त राज्य अमेरिका का स्थान रहा। भारत इस सूची में चौथे स्थान पर था।
  • डब्ल्यूएसए ने प्रक्षेपित किया है कि भारतीय इस्पात की मांग में वर्ष 2015 में 6.2% और वर्ष 2016 में 7.3% की वृद्धि हुई है जबकि इस्पात के वैश्विक उत्पादन में 0.5% और 1.4% की वृद्धि होगी। इन दोनों वर्षों में चीन के इस्पात उपयोग में 0.5 की गिरावट अनुमानित है।

घरेलू परिदृश्य:

    भारतीय इस्पात उद्योग ऊँची आर्थिक वृद्धि और बढ़ती मांग के चलते 2007-08 से विकास की एक नयी अवस्था में प्रवेश कर चुका है।
    उत्पादन में तीव्र बढ़ोतरी के चलते भारत विश्व में क्रूड इस्पात का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक राष्ट्र बन गया है। भारत स्पंज आइरन का सबसे बड़ा उत्पादक देश बना गया है।

जल्लीकट्ट के बारे में अध्यादेश को केंद्र की मंजूरी:

    केन्द्र ने 20 जनवरी 2017 को जल्लीकट्ट के बारे में अध्यादेश को मंजूरी दे दी। इससे तमिलनाडु सरकार को राज्य में विरोध प्रदर्शन खत्म कराने के प्रयासों के तहत अध्यादेश जारी करने का रास्ता साफ हो गया है। विरोध प्रदर्शनों के कारण पिछले पांच दिनों से राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति चरमरा गई है।

  • तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ओ.पन्नीरसेल्वम को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आश्वासन मिलने के बाद गृह, कानून और पर्यावरण मंत्रालयों ने राज्य के अध्यादेश के मसौदे की जांच की और संशोधनों को मंजूरी दी। यह अध्यादेश राज्य सरकार को भेज दिया गया है।
  • इस अध्यादेश को मंजूरी देने और राज्यपाल विद्यासागर राव से अध्यादेश जारी करने की सिफारिश की जाएगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि तमिल लोगों की सांस्कृतिक आकांक्षाएं पूरी करने के लिए सभी प्रयास किये जा रहे हैं। मोदी ने कहा कि देश को तमिलनाडु की समृद्ध संस्कृति पर गर्व है।
  • उन्होंने यह भी कहा कि केन्द्र सरकार तमिलनाडु की प्रगति के लिए पूरी तरह वचनबद्ध है और राज्य को प्रगति की नई ऊंचाइयों तक ले जाना सुनिश्चित करने के लिए काम करती रहेगी।

जल्लीकट्ट क्या है?

  • जल्लीकट्टू तमिलनाडु के ग्रामीण इलाक़ों का एक परंपरागत खेल है जो पोंगल त्यौहार पर आयोजित कराया जाता है और जिसमे बैलों से इंसानों की लड़ाई कराई जाती है। जल्लीकट्टू को तमिलनाडु के गौरव तथा संस्कृति का प्रतीक कहा जाता है। ये 2000 साल पुराना खेल है जो उनकी संस्कृति से जुड़ा है।
  • जल्लीकट्टू के जरिये तमिलनाडु के किसान अपनी और अपने सांढ़ की ताकत का प्रदर्शन करते हैं। इससे उन्हें यह पता चल जाता है कि उनका सांढ़ कितना मजबूत है और ब्रिडिंग के लिए उनका उपयोग किया जाता है।

विवाद:

    पशु कार्यकर्ताओं और पशु कल्याण संगठनों जैसे कि फेडरेशन ऑफ इंडिया एनिमल प्रोटेक्शन एजेंसी (FIAPO) और पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) आदि द्वारा दस साल की लड़ाई लड़ने के बाद 7 मई 2014 को सुप्रीम कोर्ट ने जानवरों के साथ हिंसक बर्ताव को देखते हुए इस खेल को बैन कर दिया था।

भारत का समावेशी विकास सूचकांक में 60वां स्थान:

      विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) की एक रिपोर्ट के अनुसार समावेशी विकास सूचकांक में भारत को 60वें स्थान पर रखा गया है। इस सूचकांक में भारत को पड़ोसी देश चीन व पाकिस्तान से भी नीचे रखा गया है। यह सूचकांक 12 संकेतकों पर आधारित है। विश्व आर्थिक मंच की ‘समावेशी वृद्धि एवं विकास रिपोर्ट 2017’ 16 जनवरी 2017 को जारी की गई।
  • विश्व आर्थिक मंच की समावेशी विकास रिपोर्ट 2017 में बताया गया है कि ज्यादातर देश आर्थिक तरक्की के महत्वपूर्ण अवसरों का लाभ नहीं उठा रहे हैं और साथ ही विकास मॉडल और मूल्यांकन उपायों की विषमता पर कम ध्यान दे रहे है। रिपोर्ट के अनुसार ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि नीति नियंता कई वर्षों से जिस वृद्धि मॉडल का प्रयोग कर रहे हैं, वो पुराने हो चुके हैं और उनमें बदलाव की जरूरत है।

क्या है समावेशी विकास?

    समावेशी विकास में जीडीपी में वृद्धि के साथ ही जनसंख्या के सभी वर्गो के लिए बुनियादी सुविधाओं यानी आवास, भोजन, पेयजल, शिक्षा, कौशल, विकास, स्वास्थ्य के साथ-साथ एक गरिमामय जीवन जीने के लिए आजीविका के साधनों की सुपुर्दगी भी करना शामिल है। परन्तु ऐसा करते समय पर्यावरण संरक्षण पर भी ध्यान देने की आवश्यकता होती है , क्योंकि पर्यावरण की कीमत पर किया गया विकास न तो टिकाऊ होता है और न ही समावेशी। यानी ऐसा विकास यहां सकल घरेलू उत्पाद की उच्च वृद्धि दर प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद की उच्च वृद्धि दर में परिलक्षित हो तथा आय एवं धन के वितरण की असमानताओं में भी कमी आए।

कैबिनेट ने राष्ट्रीय लघु बचत कोष में निवेश से राज्यों को बाहर रखने को मंजूरी दी:

    केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में अरुणाचल प्रदेश, दिल्ली, केरल और मध्य प्रदेश को छोड़कर अन्य सभी राज्य सरकारों राज्यों/ केंद्र शाषित राज्यों (विधानमंडल के साथ) को 01 अप्रैल 2016 से राष्ट्रीय लघु बचत कोष (NSSF) में निवेश से बाहर करने की मजूरी दी है।

  • सरकार ने राष्ट्रीय लघु बचत कोष एनएसएसएफ से एफसीआई को इसकी खाद्य सब्सिडी की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए 45,000 करोड़ रुपए के ऋण को भी 18 जनवरी 2017 को मंजूरी दी।
  • अरुणाचल प्रदेश, अपने क्षेत्र के भीतर के एनएसएसएफ संग्रह में से 100% ऋण प्राप्त कर सकेगा वहीँ दिल्ली, केरल और मध्य प्रदेश को संग्रह का 50% प्रदान किया जाएगा।
  • वित्त मंत्री के अनुमोदन से एनएसएसएफ भविष्य में उन वस्तुओं पर निवेश कर सकेगा जिनका व्यय अंतत: भारत सरकार द्वारा वहन किया जाता है और जिसके मूलधन और ब्याज की अदायगी संघ के बजट से वहन की जायेगी।
  • मंत्रिमंडल ने अरूणाचल प्रदेश, दिल्ली, केरल व मध्य प्रदेश को छोड़कर सभी राज्यों को एक अप्रैल 2016 से एनएसएसएफ में निवेश से छूट दी है। इससे राज्यों को बाजार से सस्ता धन जुटाने में मदद मिलेगी।
  • एफसीआई, खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग और वित्त मंत्रालय के बीच एनएसएसएफ की ओर से कानूनी रूप से बाध्यकारी समझौते पर हस्ताक्षर किए जाएंगे जोकि ब्याज दर की अदायगी के लिए तौर तरीकों पर और मूलधन और भारतीय खाद्य निगम के कर्ज के पुनर्गठन को 2-5 साल के भीतर संभव करने के प्रयास पर केंद्रित होंगे।
  • सरकार को एनएसएसएफ ऋण की अधिक उपलब्धता सरकारों की बाजार उधारी कम कर सकते हैं। राज्यों को हालांकि, बाजार उधारी में वृद्धि देखने को मिलेगी।

पृष्ठभूमि:

    चौदहवें वित्त आयोग (FFC) ने सिफारिश की है कि राज्य सरकारों को NSSF के निवेश के संचालन से बाहर रखा जा सकता है। NSSF ऋण राज्य सरकार के लिए एक अतिरिक्त कीमत आते हैं क्योंकि बाजार मूल्य अपेक्षाकृत कम हैं। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 22 फरवरी 2015 को आयोजित बैठक में यह स्वीकार किया और कहा कि इस सिफारिश की विभिन्न हितधारकों के साथ परामर्श करने के बाद जांच की जायेगी।

मॉडिफाइड स्पेशल इंसेंटिव पैकेज स्कीम में संशोधन को मंजूरी:

    केंद्रीय कैबिनेट ने इलेक्ट्रॉनिक सेक्टर में मैन्युफैक्चरिंग को प्रमोट करने के लिए मॉडिफाइड स्पेशल इन्सेंटिव पैकेज स्कीम (एम-एसआईपीएस) में संशोधन को मंजूरी दे दी है। इसके तहत सरकार 10 हजार करोड़ रुपए का इन्सेंटिव देगी। यह स्कीम 18 मार्च 2017 तक के लिए होगी। पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में 18 जनवरी 2017 को हुई कैबिनेट मीटिंग में यह फैसला हुआ।

  • इस फैसले से देश के इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम डिजाइन एंड मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में इन्वेस्टमेंट बढ़ाने के साथ-साथ बड़े पैमाने पर जॉब्स पैदा करने और इम्पोर्ट पर निर्भरता कम करने में मदद मिलेगी। सरकार ने 2020 तक इलेक्ट्रॉनिक्स में ‘नेट जीरो इम्पोर्ट’ का लक्ष्य रखा है।
  • कैबिनेट के फैसले के बाद कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बताया कि इलेक्ट्रॉनिक सेक्टर में मैन्युफैक्चरिंग को प्रमोट करने के लिए इन्सेंटिव स्कीम को मार्च 2018 तक के लिए कर दिया गया है। इनमें से 75 अप्लीकेशन को मंजूरी मिल चुकी है और इनमें 17,997 करोड़ रुपए का इन्वेस्टमेंट प्रपोजल है।
  • इस स्कीम के तहत सभी राज्य और जिले कवर किए गए हैं। उन्हें इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग में इन्वेस्टमेंट आकर्षित करने के लिए अवसर उपलब्ध कराया जाएगा।

स्कीम में हुए प्रमुख संशोधन:

  • एम-एसआईपीएस स्कीम के तहत अप्लीकेशन 31 मार्च 2018 या 10 हजार करोड़ रुपए के इन्सेंटिव कमिटमेंट तक (जो भी पहले हो) स्वीकार किए जाएंगे। 10 हजार करोड़ रुपए के इन्सेंटिव कमिटमेंट के मामले में आगे के फाइनेंशियल कमिटमेंट के लिए रिव्यू किगा जाएगा।
  • नए अप्रूवल के लिए स्कीम के तहत इन्सेंटिव प्रोजेक्ट मंजूर होने की तारीख तक उपलब्ध होगा। न कि अप्लीकेशन प्राप्त होने की तारीख तक। प्रोजेक्ट की मंजूरी की तारीख से 5 साल तक किए गए इन्वेस्टमेंट के लिए इन्सेंटिव उपलब्ध होगा। स्कीम के तहत इन्सेंटिव लेने वाली यूनिट को कम से कम तीन साल के लिए कॉमर्शियल प्रोडक्टशन जारी रखने की अंडरटेकिंग देनी होगी।
  • कम्प्लीट अप्लीकेशन जमा करने के 120 दिन के भीतर आम तौर पर पात्र अप्लीकेंट्स को अप्रूवल मिल जाएगा। प्रोजेक्ट के अप्रूवल की सिफारिश करने वाली अप्रैजल कमिटी के अध्यक्ष सेक्रेटरी, मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड आईटी होंगे।
  • 6850 करोड़ रुपए से अधिक के मेगा प्रोजेक्ट के मामले को कैबिनेट सेक्रेटरी की अध्यक्षता में नीति आयोग के सीईओ, सेक्रेटरी- एक्सपेंडिचर और सेक्रेटरी- मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड आईटी वाली एक अलग कमिटी देखेगी।

पृष्टभूमि:

  • कैबिनेट ने जुलाई 2012 में इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम डिजाइन एंड मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में बड़े पैमाने पर मैन्युफैक्चरिंग को प्रमोट करने के लिए एम-एसआईपीएस को मंजूरी दीथी। इस स्कीम में कैपिटल एक्सपेंडिचर पर सब्सिडी उपलब्ध कराई जाती है। इसके तहत सेज में इन्वेस्टमेंट के लिए 20 फीसदी और नॉन सेज में 25 फीसदी सब्सिडी का प्रावधान था।
  • इस स्कीम को अधिक आकर्षक और प्रक्रियाओं को आसान बनाने के लिए इसमें अगस्त 2015 में संशोधन किया गया। इस स्कीम के तहत 1.26 लाख करोड़ रुपए का इन्वेस्टमेंट प्रपोजल आया है। इसमें 17,997 करोड़ रुपए के प्रपोजल अप्रूव हो चुका है। सरकार का कहना है कि एम-एसआईपीएस का इलेक्ट्रॉनिक सेक्टर में इन्वेस्टमेंट का पॉजिटिव इम्पैक्ट होगा।

भारत-सर्बिया के बीच सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में समझौते का अनुमोदन:

  • सरकार ने भारत और सर्बिया के बीच सूचना प्रौद्योगिकी और इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए किए गए समझौते का 18 जनवरी 2017 को अनुमोदन कर दिया ।
  • प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में यह निर्णय लिया गया। इस समझौते से भारत और सर्बिया के बीच सूचना प्रौद्योगिकी और इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा मिलेगा और दोनों देशों की निजी और सार्वजनिक क्षेत्र की कम्पनियां तथा संगठन और क्षमता निर्माण संस्थान सक्रिय सहयोग और आदान- प्रदान कर सकेंगे।

अंतर्राष्ट्रीय वैक्सीन संस्थान (IVI), दक्षिण कोरिया में भारत की सदस्यता को मंजूरी:

  • कैबिनेट ने भारत को दक्षिण कोरिया के सियोल में स्थित अंतर्राष्ट्रीय वैक्सीन संस्थान की गवर्निंग काउंसिल में पूर्ण सदस्यता से संबंधित प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी है। इस कदम से अंतर्राष्ट्रीय वैक्सीन संस्थान के लिए भारत को 5,00,000 अमेरिकी डॉलर का वार्षिक अनुदान संस्थान को देना होगा।
  • अंतर्राष्ट्रीय वैक्सीन संस्थान (IVI), सियोल, दक्षिण कोरिया यूएनडीपी की पहल पर 1997 में स्थापित किया गया।

भारत और रूस के बीच युवा मामलों पर सहयोग हेतु समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर:

  • भारत और रूस के बीच युवा मामलों के क्षेत्र में आदान-प्रदान का कार्यक्रम विचारों, मूल्यों और संस्कृति के आदान-प्रदान को बढ़ावा देने में मदद करेगा।
  • आदान प्रदान कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए चयन एक उद्देश्यपरक और पारदर्शी तरीके से किया जाएगा और समझौता ज्ञापन के अंतर्गत कार्यक्रमों के परिणाम सार्वजनिक जांच के लिए भी खुले रहेंगे।

मंत्रिमंडल ने भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान-झारखंड के गठन के लिये 200 करोड़ रपये की मंजूरी दी:

  • सरकार ने भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) का झारखंड में एक दूरस्थ परिसर स्थापित करने के लिये 200.78 करोड़ रपये के व्यय को मंजूरी दे दी। आईएआरआई देश का प्रमुख राष्ट्रीय कृषि शोध एवं शिक्षण संस्थान है। इसका परिसर राष्ट्रीय राजधानी में स्थित है।
  • इस परिसर के लिये 1,000 एकड़ जमीन झारखंड सरकार ने हजारीबाग जिले के बरही ब्लाक में गौरिया कर्मा गांव में उपलब्ध करायी है।

पेरू के साथ व्यापार वार्ता को मंजूरी:

  • मंत्रिमंडल ने वस्तु, सेवा तथा निवेश में व्यापार के लिए पेरू के साथ व्यापार समझौते को लेकर बातचीत की मंजूरी दे दी है। भारत और पेरू ने व्यापार समझौते की संभावना का पता लगाने के लिए 15 जनवरी, 2015 को संयुक्त अध्ययन समूह का गठन किया था।
  • दोनों पक्षों ने 20 अक्तूबर को अध्ययन को पूरा कर लिया और वस्तु, सेवा और निवेश में व्यापार के लिये बातचीत आगे बढाने पर सहमति जतायी।

सरकार ने सम्रुदी सहयोग से जुड़े भारत-संयुक्त अरब अमीरात समझौते को मंजूरी दी:

  • सरकार ने भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच समुद्री सहयोग से जुड़े एमओयू को मंजूरी दे दी। इससे समुद्री शिक्षा और प्रशिक्षण, क्षमता प्रमाणपत्र, अनुमोदन, प्रशिक्षण दस्तावेजी साक्ष्य तथा चिकित्सा फिटनेस प्रमाणपत्र का द्विपक्षीय रूप से मान्यता का रास्ता साफ होगा।
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय का फैसला किया गया। इस बीच, सरकार ने भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच समुद्री परिवहन, सीमा शुल्क सरलीकरण आदि के लिये एक अन्य एमओयू को मंजूरी दे दी।

कैबिनेट ने क्रेडिट गांरटी ट्रस्ट फंड फॉर माइक्रो एंड स्मॉल एंटरप्राइजेज (सीजीटीएमएसई) के कॉरपोस में तीन गुणा वृद्धि के प्रस्ताव को मंजूरी दी:

  • छोटे कारोबारियों को क्रेडिट गारंटी स्कीम के तहत 2 करोड़ रुपए का लोन देने की घोषणा पर कैबिनेट ने मुहर लगा दी। इसके लिए कैबिनेट ने क्रेडिट गांरटी ट्रस्ट फंड फॉर माइक्रो एंड स्मॉल एंटरप्राइजेज (सीजीटीएमएसई) के कॉरपोस में तीन गुणा वृद्धि के प्रस्ताव को मंजूरी दी। ट्रस्ट का कॉर्पस 2500 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 7500 करोड़ रुपए कर दिया गया है।
  • अब क्रेडिट गारंटी स्कीम के तहत माइक्रो और स्मॉल एंटरप्राइजेज को बैंक के अलावा एनबीएफसी द्वारा भी लोन दिया जा सकेगा।

‘मिशन 41के’

  • रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने भारतीय रेलवे की ऊर्जा संबंधी पहलों पर बाह्य हितधारकों के साथ गोलमेज परिचर्चा के दौरान ‘मिशन 41के’ के बारे में विस्तृत जानकारी दी। प्रभु ने कहा कि रेल मंत्रालय ने अगले दशक में रेलवे की ऊर्जा लागत में 41,000 करोड़ रुपये की बचत करने के लिए ‘मिशन 41के’ तैयार किया है।
  • रेल मंत्री ने कहा कि पिछले दशक में किये गये समस्त विद्युतीकरण कार्यों को दोगुना किया जायेगा और यह भारतीय रेलवे के ऊर्जा मिश्रण को बदल कर रख देगा। भारतीय रेलवे ने 1000 मेगावाट सौर बिजली और 200 मेगावाट पवन ऊर्जा का लक्ष्य रखा है।
  • कुल माल ढुलाई के 45 फीसदी को ढोने का लक्ष्य तभी हासिल किया जा सकता है जब इससे ढुलाई करना किफायती साबित होगा। इसके परिणामस्वरूप रेलवे अब सड़क क्षेत्र के साथ प्रतिस्पर्धा करने लगी है। मौजूदा समय में 70 फीसदी ढुलाई बिजली कर्षण (विद्युत ट्रैक्शन) पर होती है। अगले 6-7 वर्षों में 90 फीसदी ढुलाई विद्युत ट्रैक्शन पर करने का लक्ष्य तय किया गया है। खुली पहुंच के जरिये बिजली की खरीद सुनिश्चित करने से विद्युत खरीद की लागत काफी कम हो गई है, जिसका संचालन व्यय में 25 फीसदी हिस्सा होता है।
  • इसके अतिरिक्त रेल मंत्रालय ने आवागमन की औसत गति में हर वर्ष 5 किलोमीटर प्रति घंटे की वृद्धि करने के लिए ‘मिशन रफ्तार’ शुरू किया है। भारतीय रेलवे का एक अन्य महत्वपूर्ण मिशन मधेपुरा और मरहौरा में उच्च अश्वशक्ति (एचपी) वाले लोकोमोटिव विनिर्माण संयंत्र की स्थापना करना है।
  • रेलवे में अब तक लगभग 50 फीसदी मार्गों को विद्युतीकृत किया जा चुका है, जो ऊर्जा संबंधी बिल को कम रखने और कार्बन के उत्सर्जन को कम करने में बहुमूल्य योगदान दे रहे हैं। रेल मंत्रालय अपने मिशन विद्यतीकरण के जरिये अगले कुछ वर्षों में विद्युतीकरण को 90 फीसदी के स्तर पर ले जाना चाहता है, ताकि आयातित ईंधन पर निर्भरता घट सके। ऊर्जा मिश्रण में बदलाव लाना और रेलवे की ऊर्जा लागत को तर्कसंगत करना भी इसके प्रमुख उद्देश्य हैं।

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने हाई रेजोल्यूशन मौसम भविष्यवाणी मॉडल अपनाया:

  • पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस) ने मौसम के बेहतर पूर्वानुमान के लिए एक बहुत ही हाई रेजोल्यूशन (12 किमी) वाला वैश्विक नियतात्मक मौसम भविष्यवाणी मॉडल अपनाया है। इस मॉडल का परीक्षण सितंबर 2016 से किया जा रहा है।
  • इसकी मदद से दैनिक मौसम के पूर्वानुमान में महत्वपूर्ण सुधार दिखाई पड़ रहा है। इस मॉडल को 16 जनवरी, 2017 से प्रयोग के लिए चालू कर दिया गया है। इस वर्तमान मॉडल को पूर्ववर्ती मॉडल जिसका हॉरिजॉन्टल (क्षैतिज) रेजोल्यूशन 25 किमी था, की जगह पर लाया गया है।
  • यह बहुत भीषण चक्रवाती तूफान वर्दह की तीव्रता की और भारत के उत्तरी हिस्सों में शीत लहर की भविष्यवाणी में अत्यधिक कारगर था। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय का पहले से प्रचलित एन्सेम्बल प्रेडिक्शन सिस्टम (ईपीएस) भी 12 किमी के लिए उन्नत किया जाएगा।
  • इसके लिए पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के पास रखे हाई परफॉरमेंस कंप्यूटिंग (एचपीसी) को वर्तमान के 1.2 पेटाफ्लॉपस से 10 पेटाफ्लॉपस तक उन्नत किया जाएगा। वर्तमान में परिचालित ईपीएस का हॉरिजॉन्टल (क्षैतिज) रेजोल्यूशन 25 किमी है। ईपीएस को पूर्वानुमान में आने वाली अनिश्चितता की समस्या को दूर करने के लिए अपनाया गया है।
  • यह कई बदलती प्रारंभिक स्थितियों का उपयोग कर कई पूर्वानुमानों को उत्पादित करता है। ईपीएस संभाव्य पूर्वानुमान पैदा करने में भी मदद करता है और अनिश्चितताओं को भी सही ढंग से मापता है।
  • पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस) विभिन्न उपयोगकर्ताओं को प्रत्येक दिन मौसम, जलवायु और जल विज्ञान सेवा प्रदान करता है। इस सेवाओं के संचालन और अनुसंधान दोनों पहलुओं के लिए मंत्रालय के अंदर विभिन्न इकाइयां कार्यरत हैं, जैसे भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी), नेशनल सेण्टर फॉर मध्यम रेंज वेदर फोरकास्टिंग (एनसीएमआरडब्ल्यूएफ), इंडियन इस्टिट्यूट ऑफ़ ट्रॉपिकल मेटेरियोलॉजी (आईआईटीएम) और इंडियन नेशनल सेण्टर फॉर ओसियन इनफार्मेशन सिस्टम (आईएनसीओआईएस)।
  • सामान्य तौर पर, पिछले पांच वर्षों के दौरान भारत में मौसम और जलवायु के पूर्वानुमान के कौशल में सुधार हुआ है। मुख्य रूप से यह सुधार, आम जनता के मौसम के पूर्वानुमान, मानसून के पूर्वानुमान, भारी वर्षा की चेतावनी और उष्णकटिबंधीय चक्रवात चेतावनी और अलर्ट में हुआ है।

केंद्र सरकार ने ऑनलाइन चाइल्ड सेक्शुअल अब्यूज़ रोकने के लिए नैशनल अलायंस बनाने का फैसला किया:

  • केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के मुताबिक देश के 40 प्रतिशत बच्चों पर यौन शोषण का खतरा मंडरा रहा है। मंत्रालय ने 16 जनवरी 2017 को यह आंकड़ें जारी किए और साथ ही ऑनलाइन चाइल्ड सेक्शुअल अब्यूज़ रोकने के लिए नैशनल अलायंस बनाने का भी फैसला किया।
  • मंत्रालय ने इस नैशनल अलायंस के रूप निर्धारण के लिए बैठक भी की। मंत्रालय ने बताया कि बीते 8 महीने में चाइल्डलाइन पर ही 4 हजार से ज्यादा यौन शोषण मामलों की शिकायत मिली है। कई स्टडीज का हवाला देते हुए यह भी बताया गया कि देश के 40 प्रतिशत बच्चे यौन शोषण के खतरे का सामना कर रहे हैं और इनमें लड़कियों की संख्या ज्यादा है जो इंटरनेट पर भी शिकार हो रही हैं।
  • बाल यौन शोषण की गंभीरता को देखते हुए ही नैशनल कमिशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स (NCPCR) ने बीते साल POCSO ई-बॉक्स लॉन्च किया था। इसके जरिए बच्चे आसानी से अपना ईमेल आईडी और कॉन्टैक्ट नंबर रजिस्टर कर अपनी शिकायत दर्ज करवा सकते हैं। ई-बॉक्स को अब तक 157 शिकायतें मिली हैं।
  • NCPCR चीफ स्तुति केचर ने बताया, ‘देश के अलग-अलग हिस्सों से शिकायतें मिली हैं और अधिकतर 12 से 16 साल के बच्चों ने शिकायत की।’ बता दें कि 2015 के आंकड़ों के मुताबिक POCSO ऐक्ट के तहत दिल्ली चिल्ड्रन कोर्ट्स में जो मामले दर्ज किये गए उनमें से 85 प्रतिशत लंबित हैं।

बाल अधिकार संरक्षण आयोग:

  • राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) की स्थापना संसद के एक अधिनियम (दिसम्बर 2005) बालक अधिकार संरक्षण आयोग अधिनियम, 2005 के अंतर्गत मार्च 2007 में की गई थी। आयोग का अधिदेश यह सुनिश्चित करना है कि समस्त विधियाँ, नीतियां कार्यक्रम तथा प्रशासनिक तंत्र बाल अधिकारों के संदर्श के अनुरूप हों, जैसाकि भारत के संविधान तथा साथ ही संयुक्त राष्ट्र बाल अधिकार सम्मेलन (कन्वेशन) में प्रतिपाादित किया गया है। बालक को 0 से 18 वर्ष के आयु वर्ग में शामिल व्यक्ति के रूप में पारिभाषित किया गया है।
  • आयोग अधिकारों पर आधारित संदर्श की परिकल्पना करता है, जो राष्ट्रीय नीतियों और कार्यक्रमों में प्रवाहित होता है, जिसके साथ राज्य, जिला और खण्ड स्तरों पर पारिभाषित प्रतिक्रियाएं भी शामिल है, जिसमें प्रत्येक क्षेत्र की विशिष्टताओं और मजबूतियों को भी ध्यान में रखा जाता है प्रत्येक बालक तक पहुंच बनाने के उद्देश्य से, इसमें समुदायों तथा कुटुम्बों तक गहरी पैठ बनाने का आशय रखा गया है तथा अपेक्षा की गई है कि क्षेत्र में हासिल किए गए सामूहिक अनुभव पर उच्चतर स्तर पर सभी प्राधिकारियों द्वारा विचार किया जाएगा।
  • इस प्रकार, आयोग बालकों तथा उनकी कुशलता को सुनिश्चित करने के लिए राज्य के लिए एक अपरिहार्य भूमिका, सुदृढ़ संस्था-निर्माण प्रक्रियाओं, स्थानीय निकायों और समुदाय स्तर पर विकेन्द्रीकरण के लिए सम्मान तथा इस दिशा में वृहद सामाजिक चिंता की परिकल्पना करता है।

COMMENTS (2 Comments)

NIraj Kumar Feb 1, 2017

Again appreciable effort. Can I suggest two things? 1. This issue is more useful in mains point of view rather PT. 2. The sports section specialy Australian open is not in this issue. Thanks.

umesh pratap singh Jan 31, 2017

A very good knowledge platform for me

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