समसामयिकी ,पेरिस जलवायु समझौते में भारत शामिल,नोबल पुरस्कार ,मौद्रिक नीति समीक्षा..

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समसामयिकी ,पेरिस जलवायु समझौते में भारत शामिल,नोबल पुरस्कार ,मौद्रिक नीति समीक्षा..

पेरिस जलवायु समझौते में भारत शामिल

भारत ने संयुक्त राष्ट्र को सौंपे दस्तावेज

भारत पेरिस जलवायु समझौते में शामिल हो गया। उसने करार के अनुमोदन संबंधी दस्तावेज संयुक्त राष्ट्र में जमा करा दिए। पर्यावरण को बचाने के लिए यह विश्व की पहली बड़ी संधि है।
वैश्विक संस्था में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरूद्दीन ने इस बारे में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा हस्ताक्षरित अनुमोदन पत्र संयुक्त राष्ट्र संधि विभाग के प्रमुख सैनटियागो विलालपैंडो को सौंपा। संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने भारत के इस कदम की सराहना की है। उनका कहना था, ‘पेरिस समझौते को इस वर्ष के अंत तक प्रभावी करने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है।
भारत दुनिया के लिए मिसाल बना : अमेरिका (30 फीसद) और चीन (दस प्रतिशत) के बाद भारत केवल 4.1 प्रतिशत के साथ ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन करने वाला विश्व का तीसरा बड़ा देश है। अब तक भारत सहित 62 देशों ने जलवायु परिवर्तन समझौते की पुष्टि कर दी है। लेकिन ये सभी देश कुल मिलाकर 52 प्रतिशत ही कार्बन उत्सर्जन करते हैं। जबकि प्रावधान के अनुसार, समझौता प्रभावी होने के लिए ग्रीनहाउस गैसों का 55 प्रतिशत उत्सर्जन करने वाले कम से कम 55 देशों का अनुमोदन जरूरी है। इस लिहाज से अभी तीन फीसद उत्सर्जन करने वाले देशों से पुष्टि होनी बाकी रह गई है। पेरिस समझौते के तहत 2020 से ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कटौती का काम शुरू हो जाएगा। ताकि वैश्विक तापमान में औसत बढ़ोतरी की दर को दो डिग्री सेल्सियस से नीचे रखते हुए 1.5 डिग्री तक लाने का लक्ष्य हासिल किया जा सके।
क्या है समझौता ? : यह समझौता 12 दिसंबर, 2015 को फ्रांस की राजधानी पेरिस में हुआ था। उस समय इसे 195 देशों ने मंजूरी दी थी। इस वर्ष 22 अप्रैल को संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में भारत सहित 191 देशों ने समझौते पर दस्तखत किए। अब पेरिस समझौते को प्रभावी करने के लिए अनुमोदन का काम चल रहा है। 62 देशों ने इसकी पुष्टि कर दी है। ग्रीनहाउस गैसों का 55 प्रतिशत उत्सर्जन करने वाले देशों से अनुमोदन मिलते ही यह प्रभावी हो जाएगा। लेकिन इस पर कार्रवाई 2020 से शुरू होगी।

ब्रिटेन के तीन वैज्ञानिकों को भौतिकी का नोबेल पुरस्कार
इस वर्ष भौतिक विज्ञान का नोबेल पुरस्कार ब्रिटेन के तीन वैज्ञानिकों ने संयुक्त रूप से जीता है। डेविड थाउलेस, डंकन हाल्डेन और माइकल कोस्टरलिट्ज को यह अवार्ड ‘पदार्थ के विचित्र रूपों’ का अध्ययन कर उसका रहस्य सुलझाने के लिए दिया जाएगा। ब्रिटिश वैज्ञानिकों की इस खोज से भविष्य में छोटे सुपरफास्ट कंप्यूटरों के निर्माण का मार्ग प्रशस्त होगा। रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंस ने नोबेल पुरस्कार के लिए इन वैज्ञानिकों के नामों की घोषणा की।

जापानी वैज्ञानिक योशीनोरी को चिकित्सा क्षेत्र का नोबल पुरस्कार

जापान के योशीनोरी ओशूमी को चिकित्सा क्षेत्र में योगदान के लिए 2016 का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया जाएगा। उन्होंने इस बात का पता लगाया है कि किस तरह शरीर के प्रतिरोधी तंत्र में कोशिकाओं का क्षरण होता है और कैसे वे अपने अवयवों को रीसाईकिल (फिर से इस्तेमाल) करती हैं। उनकी इस खोज से कैंसर, पार्किसन और टाइप-2 डायबिटीज जैसी बीमारियों को बेहतर तरीके से समझने में मदद मिलेगी।
डायनामाइट के आविष्कारक और व्यवसायी अल्फ्रेड नोबेल की वसीयत के मुताबिक 1901 में विज्ञान, साहित्य और शांति के क्षेत्र में उपलब्धियां हासिल करने वालों को ये पुरस्कार देने की शुरुआत हुई थी।

मौद्रिक नीति समीक्षा
चालू वित्त वर्ष की चौथी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा पेश करते हुए आरबीआइ के नए गवर्नर उर्जित पटेल ने मंगलवार को रेपो रेट में 0.25 फीसद की कटौती का एलान किया। इससे यह नीतिगत ब्याज दर 6.50 से घटकर 6.25 फीसद पर आ गई। यह रेपो रेट का छह साल का न्यूनतम स्तर है।
इसके परिणामस्वरूप अगले कुछ दिनों के भीतर अधिकांश बड़े बैंकों की तरफ से ब्याज दरों में कुछ नरमी की घोषणा हो सकती है। बैंकों के कर्ज दरों में कमी का एलान करते ही ग्राहकों के कर्ज मासिक किस्त यानी ईएमआइ में कमी आएगी।
यह मौद्रिक नीति में पहली बार सरकार की तरफ से गठित छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने नीतिगत समीक्षा की। समिति के अध्यक्ष आरबीआइ गवर्नर उर्जित पटेल हैं। पहली बार देश में मौद्रिक नीति पेश की गई है, जिसमें आरबीआइ गवर्नर के वीटो पावर का प्रयोग नहीं हुआ है। रेपो रेट घटाने का फैसला समिति ने सर्वसम्मति से किया है। समिति में तीन सदस्य केंद्र ने नियुक्त किए हैं। आरबीआइ गवर्नर और दो डिप्टी गवर्नर इसके तीन अन्य सदस्य हैं।

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