भारत :संरचना एवं भू आकृति प्रदेश

  • admin
  • September 25, 2017




भारत :संरचना एवं भू आकृति प्रदेश
प्रस्तावना

  • भारतीय उपमहाद्वीप की वर्तमान भूवैज्ञानिक संरचना व इसके क्रियाशील भू-आकृतिक प्रक्रम मुख्यतः अंतर्जनित व बहिर्जनिक बलों व प्लेट के क्षैतिज संचरण की अंतः क्रिया के परिणाम स्वरुप अस्तित्व में आए हैं.
  • भूवैज्ञानिक संरचना व शैल समूह की भिन्नता के आधार पर भारत को तीन भूवैज्ञानिक खंडों में विभाजित किया जाता है जो भौतिक लक्षणों पर आधारित है-
    • प्रायद्वीपीय खंड
      हिमालय और अन्य अतिरिक्त प्रायद्वीपीय पर्वत मालाएं
      सिंधु गंगा ब्रह्मपुत्र मैदान

प्रायद्वीपीय खंड

  • प्रायद्वीप खंड की उत्तरी सीमा कटी-फटी है, जो कच्छ से आरंभ होकर अरावली पहाड़ियों के पश्चिम से गुजरती हुई दिल्ली तक और फिर यमुना व गंगा नदी के समानांतर राजमहल की पहाड़ियों व गंगा डेल्टा तक जाती है.
  • इसके अतिरिक्त उत्तर पूर्व में कर्वी एन्ग्लोंग व मेघालय का पठार तथा पश्चिम में राजस्थान भी इसी खंड के विस्तार हैं.
  • पश्चिम बंगाल में मालदा भ्रंश उत्तरी पूर्व भाग में स्थित मेघालय व कर्वी एन्ग्लोंग पठार को छोटा नागपुर पठार से अलग करता है. राजस्थान में यह प्रायद्वीपीय खंड मरुस्थल सादृश्य स्थलाकृतियां से ढका हुआ है.
  • प्रायद्वीप मुख्यत: प्राचीन नाइस व ग्रेनाइट से बना है. कैंब्रियन कल्प से यह भूखंड एक कठोर खंड के रूप में खड़ा है.सिर्फ पश्चिमी तट समुद्र में डूबा होने और कुछ हिस्से विवर्तनिक क्रियाओं से परिवर्तित होने के कारण इस भूखंड के वास्तविक आधार तल पर प्रभाव नहीं पड़ता है.
  • इंडो ऑस्ट्रेलियन प्लेट का हिस्सा होने के कारण यह उर्ध्वाधर हलचलों व खंड भ्रंश से प्रभावित है.
  • नर्मदा तापी और महानदी की रिफ्ट घाटीयां और सतपुड़ा ब्लॉक पर्वत इसके उदाहरण है.
  • प्रायद्वीप में मुख्यता अवशिष्ट पहाड़ियां शामिल है जैसे अरावली, नल्लामला, जावादी ,वेलीकोंडा पालकोंडा श्रेणी और महेंद्र गिरी पहाड़ियां आदि. यहां की नदी घाटियां उथली और उनकी प्रवणता कम होती है.
  • पूर्व की ओर बहने वाली अधिकांश नदियां बंगाल की खाड़ी में गिरने से पहले डेल्टा निर्माण करती है. महानदी, गोदावरी और कृष्णा द्वारा निर्मित डेल्टा इसके उदाहरण है.

हिमालय और अन्य अतिरिक्त प्रायद्वीपीय पर्वत मालाएं

  • हिमालय और अतिरिक्त प्रायद्वीपीय पर्वत मालाओं की भूवैज्ञानिक संरचना तरुण दुर्बल और लचीली हैं.
  • यह पर्वत वर्तमान समय में भी बहिर्जनिक तथा अंतर्जनित बलों की अंत क्रियाओं से प्रभावित हैं. इसके परिणाम स्वरुप इनमें वलन, भ्रंश और क्षेप बनते हैं.
  • इन पर्वतों की उतपत्ति विवर्तनिक हलचलों से जुड़ी है. तेज बहाव वाली नदियों से अपरदित यह पर्वत अभी भी युवा अवस्था में है. गॉर्ज, V आकार घाटियाँ, क्षिप्रिकाएं व जलप्रपात इत्यादि इसके प्रमाण है.

सिंधु – गंगा – ब्रह्मपुत्र मैदान

    भारत का तृतीय भूवैज्ञानिक खंड सिंधु, गंगा और ब्रम्हपुत्र नदियों का मैदान है. मूलतः यह एक भू अभिनति गर्त है. जिसका निर्माण मुख्य रूप से हिमालय पर्वतमाला निर्माण प्रक्रिया के तीसरे चरण में लगभग 6.4 करोड़ वर्ष पहले हुआ था.

भू-आकृति

किसी स्थान की भू-आकृति, उसकी संरचना प्रक्रिया और विकास की अवस्था का परिणाम है. भारत में धरातलीय विभिन्नताएं बहुत महत्वपूर्ण है इसके उत्तर में एक बड़े क्षेत्र में उबर – खाबर स्थलाकृति है. इसमें हिमालय पर्वत श्रृंखलाएं हैं जिसमें अनेकों चोटिया सुंदर घाटियां वह महाखड्ड है. दक्षिण भारत एक स्थिर परंतु कटा फटा पठार है जहां अपरदित चट्टान खंड और कगारों की भरमार है इन दोनों के बीच उत्तर भारत का विशाल मैदान है.

    मोटे तौर पर भारत को निम्नलिखित भू आकृतिक खंडों में बांटा जा सकता है

  • उत्तर तथा उत्तर पूर्वी पर्वतमाला
  • उत्तरी भारत का मैदान
  • प्रायद्वीपीय पठार
  • भारतीय मरुस्थल
  • तटीय मैदान
  • द्वीपसमूह

उत्तर तथा उत्तर पूर्वी पर्वतमाला

  • उत्तर तथा उत्तर पूर्वी पर्वतमाला में हिमालय पर्वत और उत्तर पूर्वी पहाड़ियां शामिल हैं.
  • हिमालय में कई समानांतर पर्वत श्रृंखलाएं हैं. इसमें वृहत हिमालय, पार हिमालय श्रृंखलाएं, मध्य हिमालय और शिवालिक प्रमुख श्रेणियां हैं.
  • भारत के उत्तरी पश्चिमी भाग में हिमालय की श्रेणियां उत्तर पश्चिम दिशा से दक्षिण पूर्व दिशा की ओर फैली है. दार्जिलिंग और सिक्किम क्षेत्रों में यह श्रेणियां पूर्व पश्चिम दिशा में फैली हैं, जबकि अरुणाचल प्रदेश में यह दक्षिण पश्चिम से उत्तर पश्चिम की ओर घूम जाती हैं. मिजोरम, नागालैंड और मणिपुर में यह पहाड़ियां उत्तर दक्षिण दिशा में फैली हैं.
  • वृहत हिमालय श्रृंखला जिसे केंद्रीय अक्षीय श्रेणी भी कहा जाता है की पूर्व पश्चिम लंबाई लगभग 2500 किलोमीटर तथा उत्तर से दक्षिण इसकी चौड़ाई 160 से 400 किलोमीटर है.
  • हिमालय एक प्राकृतिक रोधक ही नहीं, अपितु जलवायु अपवाह और सांस्कृतिक विभाजक भी है.
  • हिमालय पर्वतमाला में भी अनेक क्षेत्रीय विभिन्नताएं हैं. उच्चावच, पर्वत श्रेणियां और दूसरी भू आकृतियों के आधार पर हिमालय को निम्नलिखित उप खंडों में विभाजित किया जा सकता है —-

      कश्मीर या उत्तरी पश्चिमी हिमालय
      हिमाचल और उत्तरांचल हिमालय
      दार्जिलिंग और सिक्किम हिमालय
      अरुणाचल हिमालय
      पूर्वी पहाड़ियां और पर्वत

कश्मीर या उत्तरी पश्चिमी हिमालय

  • कश्मीर हिमालय में अनेक पर्वत श्रेणियां हैं, जैसे काराकोरम, लद्दाख, जास्कर और पीर पंजाल. कश्मीर हिमालय का उत्तरी पूर्वी भाग जो वृहत हिमालय और काराकोरम श्रेणियों के बीच स्थित है, एक ठंडा मरुस्थल है.
  • वृहत हिमालय और पीर पंजाल के बीच विश्व प्रसिद्ध कश्मीर घाटी और डल झील है.
  • दक्षिण एशिया की महत्वपूर्ण हिमानी नदियां बल्टोरो और सियाचिन इसी प्रदेश में है. कश्मीर हिमालय करेवा के लिए भी प्रसिद्ध है, जहां जाफरान की खेती की जाती है.
  • वृहत हिमाचल में जोजिला, पीर पंजाल में बनीहाल, जास्कर श्रेणी में फोटूला और लद्दाख श्रेणी में खरदुंगला जैसे महत्वपूर्ण दर्रे स्थित है.
  • महत्वपूर्ण अलवणजल की झीलें जैसे डल और वूलर तथा लवण जल झीलें जैसे पन्गोंग और सोमुरिरी भी इसी क्षेत्र में पाई जाती हैं.
  • प्रदेश के दक्षिणी भाग में अनुदधर्य घाटियां पाई जाती हैं जिन्हें दून कहा जाता है इनमें जम्मू दून और पठानकोट दून प्रमुख है.

हिमाचल और उत्तराखंड हिमालय

  • हिमालय का यह हिस्सा पश्चिम में रावी नदी और पूर्व में काली घाघरा की सहायक नदी के बीच स्थित है.
  • यह भारत की दो मुख्य नदी तंत्रों सिंधु और गंगा द्वारा प्रवाहित है. इस प्रदेश के अंदर बहने वाली नदियां रावी, व्यास और सतलुज, सिंधु की सहायक नदियां और यमुना और घागरा गंगा की सहायक नदियां हैं.
  • हिमाचल हिमालय का सुदूर उत्तरी भाग लद्दाख के ठंडे मरुस्थल का विस्तार है और लाहौल एवं स्पति जिले के स्पति उपमंडल में है. हिमालय की तीनों मुख्य पर्वत श्रृंखलाएं वृहत हिमालय ,लघु हिमालय जिन्हें हिमाचल में धौलाधार और उत्तराखंड में नागतिभा कहा जाता है, और उत्तर दक्षिण दिशा में फैली शिवालिक श्रेणी इस हिमालय खंड में स्थित हैं.
  • लघु हिमालय में 1000 से 2000 मीटर ऊंचाई वाले पर्वत ब्रिटिश प्रशासन के लिए मुख्य आकर्षण केंद्र रहे हैं कुछ महत्वपूर्ण पर्वत नगर जैसे धर्मशाला, मसूरी, कसौली, अल्मोड़ा, लैंसडाउन और रानीखेत इस क्षेत्र में स्थित हैं.
  • इन क्षेत्र की दो महत्वपूर्ण स्थलाकृतियां शिवालिक और दून है. यहां स्थित कुछ महत्वपूर्ण दून चंडीगढ कालका का दून, नालागढ़ दून, देहरादून, हरिके दून तथा कोटा दून शामिल है.
  • इनमें देहरादून सबसे बड़ी घाटी है जिसकी लंबाई 35 से 45 किलो मीटर और चौड़ाई 22 से 25 किलोमीटर है.
  • वृहत हिमालय की घाटी हमें भोटिया प्रजाति के लोग रहते हैं.यह खानाबदोश लोग हैं जो गृष्म ऋतु में बुग्याल (ऊंचाई पर स्थित घास के मैदान) में चले जाते हैं और शरद ऋतु में घाटियों में लौट आते हैं.
  • प्रसिद्ध फूलों की घाटी भी इसी पर्वतीय क्षेत्र में स्थित हैं.

दार्जिलिंग और सिक्किम हिमालय

  • इसके पश्चिम में नेपाल हिमालय और पूर्व में भूटान हिमालय है. यह एक छोटा परंतु हिमालय का बहुत महत्वपूर्ण भाग है.
  • यहां तेज बहाव वाली तीस्ता नदी बहती है और कनचनजंगा जैसी ऊंची चोटियां और गहरी घाटियां पाई जाती है.
  • इन पर्वतों के ऊंचे शिखरों पर लेपचा जनजाति और दक्षिणी भाग विशेषकर दार्जिलिंग हिमालय में मिश्रित जनसंख्या जिसमें नेपाली बंगाली और मध्य भारत की जनजातियां शामिल है, पाई जाती हैं.
  • सिक्किम और दार्जिलिंग हिमालय अपने रमणीय सौंदर्य वनस्पति जात और प्राणी जात और आर्किड के लिए जाना जाता है.

अरुणाचल हिमालय

  • यह पर्वत क्षेत्र भूटान हिमालय से लेकर पूर्व में डिफू दर्रे तक फैला है.
  • इस पर्वत श्रेणी की सामान्य दिशा दक्षिण पूर्व से उत्तर पूर्व है. इस क्षेत्र की मुख्य चोटियों में काँगतु और नमचा बरवा शामिल है.
  • यह पर्वत श्रेणियां उत्तर से दक्षिण दिशा में तेज बहती हुई और गहरे गॉर्ज बनाने वाली नदियों द्वारा विच्छेदित होती है.
  • नामचा बरवा को पार करने के बाद ब्रम्हपुत्र नदी एक गहरी गॉर्ज बनाती है.
  • कामेंग, सुबनसरी, दिहांग, दिबांग, और लोहित यहां की प्रमुख नदियां हैं. यह बारहमासी नदियां हैं और बहुत से जल प्रपात बनाती है. इसलिए यहां जल विद्युत उत्पादन की क्षमता काफी है.
  • अरुणाचल हिमालय की एक मुख्य विशेषता यह है कि यहां बहुत से जनजातियां निवास करती है. इस क्षेत्र में पश्चिम से पूर्व में बसी कुछ जनजातियां इस प्रकार हैं- मोनपा, अबोर, मिशमी, निशि और नागा. इनमें से ज्यादातर जनजातियां झूम खेती करती है जिसे स्थानांतरी कृषि या स्लैश और वर्ण कृषि भी कहा जाता है.

पूर्वी पहाड़ियां और पर्वत

  • हिमालय पर्वत के इस भाग में पहाड़ियों की दिशा उत्तर से दक्षिण है.
  • यह पहाड़ियां विभिन्न स्थानीय नामों से जानी जाती है उत्तर में यह पटकाई बूम, नागा पहाड़ियां, मणिपुर पहाड़ियां और दक्षिण में मिजो या लूसाईं पहाड़ियों के नाम से जानी जाती है. यह एक नीची पहाड़ियों का क्षेत्र है जहां अनेक जनजातियां झूम या स्थानांतरी खेती करती हैं.
  • यहां ज्यादातर पहाड़ियां छोटे बड़े नदी नालों द्वारा अलग होती है. बराक, मणिपुर और मिजोरम की एक मुख्य नदी है. मणिपुर घाटी के मध्य एक झील स्थित है जिसे लोकताक झील कहा जाता है और यह चारों ओर से पहाड़ियों से घिरी है.
  • मिजोरम जिसे मोलेसिस बेसिन भी कहा जाता है मृदुल और असंगठित चट्टानों से बना है.
  • नागालैंड में बहने वाली ज्यादातर नदियां ब्रम्हपुत्र नदी की सहायक नदियां है. मिजोरम और मणिपुर की दो नदियां बराक नदी की सहायक नदिया है, जो मेघना नदी की एक सहायक नदी है. मणिपुर के पूर्वी भाग में बहने वाली नदियां चिन्दविन नदी की सहायक नदियां है जो कि म्यांमार में बहने वाली इरावदी नदी की एक सहायक नदी है.
  • उत्तरी भारत का मैदान
  • प्रायद्वीपीय पठार
  • भारतीय मरुस्थल
  • तटीय मैदान
  • द्वीपसमूह
  • के बारे में हम अगले लेख में पढ़ेंगे ….

    COMMENTS (2 Comments)

    Imran Ali Dec 4, 2023

    उत्तरी भारत का मैदान
    प्रायद्वीपीय पठार
    भारतीय मरूस्थल....... कबतक पढ़ने को मिलेगा सर इसे अपलोड किजिए सर जी महरबानी होगी.
    जय हिंद...

    pooja kumari Sep 26, 2017

    thanks sir ,sir aplog. vidio kyu nhi upload kr rhe u tube pe .polity ka vidio or topics se bna ke plz sir upload kr diya kijiye.
    jai mata di

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