अनर्जक परिसंपत्तिया NPA — NPA मेंबढ़ोत्तरी के कारण—NPA का प्रभाव —NPA को दूर करने के उपाए —

  • admin
  • September 18, 2016

अनर्जक परिसंपत्तिया या गैर निष्पादित परिसंपत्ति {NON PERFORMING ASSETS (NPA)}

 

अनर्जक परिसंपत्तिया क्या है ?

अनर्जक परिसंपत्तिया (NPA) बैंकों के  द्वारा दिया गया एक ऐसा ऋण या अग्रिम हैं जिसके मूलधन या ब्याज का भुगतान 90 दिनों की अवधि तक बकाया हो |

बैंक अनर्जक परिसंपत्तिया को अवमानक , संदिग्ध व घाटे की संपत्ति के रूप में आगे वर्गीकृत करती हैं |

अवमानक परिसंपत्ति(Substandard assets) – कोई भी ऐसी संपत्ति जो 12 महीनो तक अनर्जक परिसंपत्तिया बनी रहे उसे अवमानक संपत्ति कहते हैं |

संदिग्ध परिसंपत्ति (Doubtful assets ) -कोई भी ऐसी संपत्ति जो 12 महीनो तक अवमानक परिसंपत्ति की श्रेणी में बनी रहे तो उसे संदिग्ध परिसंपत्ति कहते हैं |

घाटे की परिसंपत्ति (Loss assets)– जब किसी सम्पति के बारे में RBI या कोई मान्य लेख परीक्षक यह घोषित  कर दे कि इस संपत्ति की वसूली सम्भव नही हैं तो उसे घाटे की परिसंपत्ति कहते हैं |

 

अनर्जक परिसंपत्तिया (NPA ) मेंबढ़ोत्तरी के कारण—

  1. नीतिगत पक्षाघात (Policy Paralysis) सरकार के द्वारा कई PPP परियोजनाओं में आर्थिक निर्णय लेने में देरी के वजह से कई छोटी कंपनियां आर्थिक रूप से प्रभावित होती हैं |और बैंकों से उनके द्वारा लिए गए ऋण के अनर्जक परिसंपत्ति  में बदलने की सम्भावना बढ़ जाती  हैं |
  2. क्रोनी कैपिटलिज्म — राजनितिक दबाव में  आकर बैंकों को कुछ विशेष क्षेत्र की कंपनियों को ऋण देना पड़ता हैं ,और इस तरह के ऋण का अनर्जक परिसंपत्ति में बदलने की सम्भावना अधिक होती हैं |और बैंकों के अनर्जक परिसंपत्तिया में वृद्धि  होती हैं |
  3. वैश्विक मांग में कमीं के कारण हरेक क्षेत्र के निर्यात में गिरावट देखने को मिला हैं जिससे कंपनियों के मुनाफे पर असर पड़ा हैं | परिणामस्वरूप कंपनियां बैंको से लिए गए ऋण को समय पर नही लौटा पाती और बैंकों के अनर्जक परिसंपत्तिया में वृद्धि होती हैं |
  4. OVER LEVERAGING की वजह से कंपनियां अनर्जक परिसंपत्तिया के जाल में फंस जाती हैं |
  5. कंपनियों के द्वारा जिस प्रयोजन के लिए ऋण लिए जाता हैं का प्रयोग वहां न करके किसी और प्रयोजन के लिए किया जाना ,बैंकों के अनर्जक परिसंपत्तिया में वृद्धि का एक महत्वपूर्ण कारण हैं |
  6. ऋण के प्रारंभिक वितरण में जांच पड़ताल की कमी के वजह से अक्षम कंपनियों को ऋण दे दिया जाता हैं , और अपनी अक्षमता के कारण कणियां समय पाए ऋण लौटा नही पाते और बैंकों के अनर्जक परिसंपत्ति में वृद्धि होती रहती हैं |

अनर्जक परिसंपत्तिया का प्रभाव —

  1. बैंकों में अनर्जक परिसंपत्तियों के वृद्धि से नए लोगों  को ऋण मिलने में कठिनाई होती हैं क्योंकि बैंकों के बहुत सरे पैसे अनर्जक परिसंपत्ति के रूप में फंसे होते हैं |
  2. विकास  पर प्रभाव -ऋण मिलने में कठिनाई आने से नए व्यवसाय शुरू करने में कठिनाई आती है और इससे अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है |
  3. जमाकर्ताओं का बैंक पर विश्वास कमजोर हो जाता है और वो बैंक में पैसा जमा करने से कतराते है |

 

गैर निष्पादित परिसंपत्ति  को दूर करने के उपाए —

(1) RBI के द्वारा —

हाल ही में RBI के द्वारा गैर निष्पादित परिसंपत्ति की समस्या को दूर करने के लिए निम्न उपाए किए गए है —-

विशेष उल्लेखित खाते (special mention account  SMA) — कोई भी ऐसा ऋण जो 30 दिन से 90 दिन की अवधि के बीच  अपना मूलधन व ब्याज न लौटा रही हो , ऐसे ऋण को RBI ,SMA के अन्तर्गत रखती है |(इसे ही दबाव वाली परिसंपत्तियां कहा जाता है |) RBI बैंकों को निर्देश देती है कि जैसे ही उन्हें किसी कर्ज़दार के क्रियाकलाप में कोई विसंगति या दबाव नज़र आए वैसे ही बैंकों को सुधारात्मक करवाई शुरू कर देनी चाहिए |

दबाव वाली परिसंपत्तियों से निपटारा करने के लिए RBI के द्वारा एक पोर्टल बनाया गया है CRILC |

(CRILC – Central Repository of information on Large Credit )

इसके अन्तर्गत(CRILC) ,हरेक बैंक व गैर वित्तीय संसथान जो जमा लेती है , अपने 5 करोड़ या उससे अधिक  के ऋण का ब्योरा यहाँ उपलब्ध कराएगी यह ब्योरा SMA व NPA के रूप में होगा |

SMA1 ऐसे ऋण जिनका मूलधन व ब्याज का बकाया 31 दिनों से 60 दिनों की अवधि के लिए हो |
SMA2 ऐसे ऋण जिनका मूलधन  व ब्याज का बकाया 61 दिनों से 90 दिनों की अवधि के लिए हो |
NPA ऐसे ऋण जिनका मूलधन  व ब्याज का बकाया 90से अधिक  दिनों की अवधि के लिए हो |

 

यदि किसी कंपनी में बैंकों द्वारा दिए गए ऋण कि कुल मात्रा 100 करोड़ या उससे अधिक हो जाए और वो ऋण SMA 2 के अन्तर्गत वर्गीकृत हो ,तो सम्बंधित बैंक को जॉइंट लेंडर फॉर्म  JLF का निर्माण करना होगा | और JLF को एक corrective action plan CAP बनाना होगा ताकि बैंक SMA 2के ऋण को NPA में परिवर्तित होने से रोक सके |

CAP के अन्तर्गत निम्न कार्य किए जाते है ताकि दबाव वाली परिसंपत्ति NPA न बन जाए —-

  • Rectification परिहार – इसके अन्तर्गत यदि किसी कंपनी का ऋण SMA 2 श्रेणी में है तो बैंक ऐसी कंपनी को और ऋण मुहैया करा सकती है जिससे की कंपनी अपने व्यपार को सुचारू ढंग से चला सके | या बैंक कंपनी के लिए कुछ नए निवेशक ढूंढ सकती है जो कंपनी में निवेश करे और उसके व्यपार में सुधार आए और बैंक का ऋण NPA  न बन सके |
  • Restructuring पुनर्गठन – अगर किसी कंपनी का रेक्टिफिकेशन से SMA की समस्या में सुधार नही हो रहा है और बैंक को यह पता है कि कंपनी विलफुल डिफॉल्टर नही है ,न ही कंपनी ऋण को किसी और प्रयोजन में खर्च कर रही है | ऐसी स्थिति में बैंक कंपनी द्वारा लिए गए ऋण को पुनर्गठित कर सकती है |( पुनर्गठित  कैसे करेगी ? –ब्याज दर घटा कर ,ऋण चुकाने कि अवधि बढाकर आदि तरीको से )

SDR strategic debt restructuring – इसके अन्तर्गत बैंक NPA से सम्बंधित कंपनियों को दिए गए ऋण को इक्विटी में  बदल कर उसके प्रबंधन पर नियंत्रण कर सकती है |और बैंक 18 महीने के अंदर  इक्विटी को बेच कर कर अपने पैसे वापस ले  सकती है |(कोई भी बैंक अधिकतम 18 तक इक्विटी को अपने पास रख सकती है )

  • Recovery वसूली —

ऋण वसूली अधिकरण (Debt Recovery Tribunal ,DRT) — NPA  कि वसूली से सम्बंधित मामले यहाँ चले जाते है |कोई भी  कंपनी बैंक के खिलाफ यहाँ अपील कर सकती है |

SARFAESI ACT २००२ – इसके अन्तर्गत बैंक व ऐसी वित्तीय संस्थान जो हाउसिंग फाइनेंस करती है अपने NPA कि वसूली  कर सकती है |

क़र्ज़ के NPA होने कि स्थिति में 75% क़र्ज़ देने वाले बैंक या वित्तीय संस्थान मिलकर उधार लेने वाले पर करवाई कर सकती है |  यदि कर्ज़दार क़र्ज़ नही चुकाता है तो बैंक / वित्तीय संस्थान क़र्ज़ के लिए जमा किए गए सिक्योरिटी को जब्त कर सकती है | जब्त किए गए सिक्योरिटी को बैंक assets reconstruction company ARC को बेच सकती हैं जिससे उनके बैलेंस सीट में  सुधार होता हैं |बैंक / वित्तीय संस्थान क़र्ज़ लेने वाली संस्था के मैनेजमेंट पर कब्ज़ा कर सकती है |

सरफेसी ACT कृषि ऋण पर लागू नहीं  होता हैं |

(2 ) सरकार के द्वारा

6 नए ऋण वसूली अधिकरण DRT बनाए गए |(बंगलुरु,चंडीगढ़ ,देहरादून ,एर्नाकुलम ,हैदराबाद ,सिलीगुड़ी )

ARC को और  अधिक IT सुविधा दी गई |

NPA कि समस्या से निपटारा के लिए insolvency and bankruptcy code 2015 लाया गया हैं |

 

***भारत के 5 बड़े उद्योग जिनका NPA में अधिकतम योगदान है (~ 61 %)

टेक्सटाइल , खनन ,स्टील ,अवसंरचना ,विमानन (घटते हुए क्रम में )



COMMENTS (8 Comments)

Nirmal Pandey May 29, 2018

Very nice

Deepak Kumar Paswan May 26, 2018

Sir, Very clear concept, thanks

NPA को लेकर RBI के नए नियम - हिंदी - आईएएस Feb 20, 2018

[…] का प्रभाव —NPA को दूर करने के उपाए —Click here वाणिज्यिक बैंक कारोबार करते समय […]

Tapan Raj gautam Dec 26, 2017

Thankyou so much sir
I thought that what is the N. P. A. Within full statement.

vijay Aug 20, 2017

Keep it up sir ... doing great job sir .. thank u guys

pawan gupta Feb 25, 2017

thanku sir

Divya prakash sisodia Feb 12, 2017

Thnkuu

Mithilesh Kumar Sep 25, 2016

for a long time I was waiting for such site on UPSC for Hindi Medium, Thank you Admin for this useful article and site.. keep updatind us. thank you so much.

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