उत्तरी भारत का मैदान

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उत्तरी भारत का मैदान

  • admin
  • September 27, 2017




उत्तरी भारत का मैदान

प्रस्तावना

  • उत्तरी भारत का मैदान हिमालय के दक्षिण कोई 2400 किलोमीटर में पूर्व से पश्चिम तक फैला हुआ है.
  • इसकी चौड़ाई 240 से 500 किलोमीटर है. इसका क्षेत्रफल 7 लाख वर्ग किलोमीटर है.
  • सबसे कम चौड़ाई पूर्वी भाग में मिलती है. यह मैदान समतल है, और यहाँ कोई पर्वत नहीं है.
  • सिंधु, गंगा, और ब्रह्मपुत्र तथा इसकी सहायक नदियों के जल ओर निक्षेपों से बना यह विशाल मैदान 250 मीटर से भी कम ऊँचा और अत्यंत उपजाऊ है.
  • इसका निर्माण हिमालय तथा दक्षिणी पठार की नदियों के जल और निक्षेपों से हुआ है. इस मैदान में जलोढ़ निक्षेपों की मोटाई 2000 मीटर से भी अधिक है. यह विशाल मैदान एक इकाई होते हुए भी चार उपविभागों में बटा है–1. पंजाब का मैदान 2.राजस्थान का मैदान 3.गंगा का मैदान और 4.ब्रह्मपुत्र का मैदान.

पंजाब का मैदान

  • उत्तरी विशाल मैदान का यह सबसे पश्चिमी भाग है. पांच प्रमुख नदियों झेलम, चिनाव, रावी, सतलुज और व्यास का जल प्राप्त करने के कारण यह पंजाब कहलाता है.
  • रावी और व्यास के दोआब को ऊपरी बारी दोआब तथा व्यास और सतलुज के दोआब को विस्ट दोआब कहा जाता है.
  • इसके उत्तर में हिमालय और दक्षिण में राजस्थान का मरुस्थल है. इसकी ढाल दक्षिण पश्चिम की ओर है.
  • सतलुज इस मैदान की प्रमुख नदी है. सतलुज के नाम पर इसे सतलुज का मैदान भी कहा जाता है. दिल्ली पहाड़ी या सरहिंद जल विभाजक द्वारा यह गंगा के मैदान से अलग होता है, जो अब पाकिस्तान में पड़ गया है. यहां नहरों का जाल बिछा हुआ है.

राजस्थान का मैदान

    यह अरावली के पश्चिम में विस्तृत है किंतु, जलवायु परिवर्तन के कारण यह मैदान रेतीला बन गया है. यहां बालू के टीले की प्रधानता है. लूनी इस मैदान की एकमात्र नदी है .खारे जल की झीले अनेक है जैसे सांभर, डीडवाना,डेगना और कुचापन.

गंगा का मैदान

  • यह मुख्यतः पश्चिम में यमुना और पूर्व में ब्रह्मपुत्र के बीच का समतल भाग है, जिसकी ढाल दक्षिण पूर्व की ओर है. ढाल इतना मंद है कि साधारणतया पता नहीं चलता. इस मैदान की लंबाई 1400 किलोमीटर है.
  • हिमालय से निकली नदियां मैदानी भाग में प्रवेश करते ही जलोढ़ पंख का निर्माण करती है, जो त्रिभुजाकार होते हैं. अन्य निक्षेपों में बाढ़ के मैदान, तटबंध और अवरोधी ढूह मिला करते हैं. सबसे निचले भाग में भूमि की ढाल कम होने के कारण नदी कई धाराओं में बँट जाती है जिन्हें वितरिकाएं करते हैं.
  • उच्चावच के आधार पर उत्तर से दक्षिण दिशा में इन मैदानों को तीन भागों में बांट सकते हैं – भाभर, तराई और जलोढ़ मैदान. जलोढ़ मैदान को आगे दो भागों में बांटा जाता है- खादर और बांगर.
  • भाभर 8 से 10 किलोमीटर चौड़ाई की पतली पट्टी है, जो शिवालिक गिरिपद के समानांतर फैली हुई है. उसके परिणाम स्वरुप हिमालय पर्वत श्रेणियों से बाहर निकलती नदियां यहां पर भारी जल भार जैसे बड़े शैल और गोलास्म जमा कर देती है और कभी-कभी स्वयं इसी में लुप्त हो जाती है.
  • भाभर के दक्षिण में तराई क्षेत्र है जिस की चौड़ाई 10 से 20 किलोमीटर है. भाभर क्षेत्र में लुप्त नदियां इस प्रदेश में धरातल पर निकल कर प्रकट होती है क्योंकि इनकी निश्चित वाहिकाएं नहीं होती. यह क्षेत्र अनूप बन जाता है, जिसे तराई कहते हैं.
  • यह क्षेत्र प्राकृतिक वनस्पति से ढका रहता है और विभिन्न प्रकार के वन्य प्राणियों का घर है.
  • तराई से दक्षिण में मैदान है जो पुराने और नए जलोढ़ से बना होने के कारण बांगर और खादर कहलाता है.
  • इस मैदान में नदी की प्रौढ़ावस्था में बनने वाली अपरदनी और निक्षेपण स्थलाकृतियां जैसे बालू, रोधिका, विसर्प, गोखुर झीलें और गुंफित नदियां पाई जाती है.
  • उत्तर भारत के मैदान में बहने वाली विशाल नदियां अपने मुहाने पर विश्व के बड़े बड़े डेल्टा का निर्माण करती है. जैसे सुंदरवन डेल्टा सामान्य तौर पर यह एक सपाट मैदान है, जिसकी समुद्र तल से औसत ऊंचाई 50 से 100 मीटर है.
  • हरियाणा और दिल्ली राज्य सिंधु और गंगा नदी तंत्रों के बीच जल विभाजक है. ब्रम्हपुत्र नदी अपनी घाटी में उत्तर पूर्व से दक्षिण पश्चिम दिशा में बहती है परंतु बांग्लादेश में प्रवेश करने से पहले धूबरी के समीप यह नदी दक्षिण की ओर 90 डिग्री मुड़ जाती है. ये मैदान उपजाऊ जलोढ़ मिट्टी से बने हैं.
  • यहां कई प्रकार की फसलें जैसे गेहूं-चावल गन्ना और झूठ उगाई जाती है अतः यह जनसंख्या का घनत्व ज्यादा है.

ब्रह्मपुत्र का मैदान

  • उत्तरी विशाल मैदान का सबसे पूर्वी भाग ब्रह्मपुत्र का मैदान है जिसकी ढाल पूर्व से पश्चिम की ओर है.
  • यह मैदान लगभग 600 किलोमीटर लंबा और 100 किलोमीटर चौड़ा हैं. इसकी सामान्य ऊंचाई 150 मीटर है.
  • यह रैंप घाटी है, जो ब्रह्मपुत्र और उसकी सहायक नदियों द्वारा जमा की गई मिट्टी बालू और कंकड़ों के निक्षेप से वर्तमान रूप में आई है.
  • इस मैदान में भीषण बाढ़ आती है, और इससे भारी क्षति पहुंचती है.
  • इस मैदान को पार कर ब्रह्मपुत्र नदी पश्चिम की ओर मुड़ती है और गंगा से मिलकर डेल्टा बनाती है. गंगा ब्रह्मपुत्र की संयुक्त धारा मेघना कहलाती है.
  • तिस्ता,सुवनसिरी और लोहित ब्रह्मपुत्र की सहायक नदिया है.
  • ब्रह्मपुत्र के मैदान की दो विशेषताएं ध्यान देने योग्य है –तेजपुर से धुबरी के बीच नदी के दोनों और एकाकी घर्षित पहाड़िया बहुत अधिक है. दूसरा भूमि की मंद ढाल के कारण नदी गुंफित हो गई है जिससे इसकी पेटी में असंख्य नदी द्वीप बन गए हैं.
  • यहाँ एक ऐसा द्वीप माजुली है. जो विश्व का सबसे बड़ा नदी द्वीप है.
  • यह भू-आकृतिक प्रदेश विश्व के सबसे बड़े मैदानों में है और अत्यंत समतल तथा उपजाऊ है. यहां का जलवायु भी अच्छा है . इन कारणों से यह देश का कृषि उद्योग एवं वाणिज्य केंद्र बना हुआ है.

COMMENTS (5 Comments)

Manisha meena Jun 21, 2021

Nice knowledge

amit maurya Mar 14, 2021

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thank you sir

Kishan kumar Nov 26, 2018

Thanks sir ji

Best knowledge

Sanket nagpure Sep 8, 2018

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pooja kumari Sep 27, 2017

thanks sir & jai mata di

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