कृषि सब्सिडियां
प्रस्तावना
भारत में कृषि क्षेत्र में सब्सिडियां विभिन्न कारणों(उच्च राजकोषीय घाटा,तीव्र विकास ,अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगता ,खाद्य सुरक्षा आदि ) से एक महत्वपूर्ण मुद्दा बनी रही है |
भारत में हरित क्रांति अथवा नई कृषि रणनीति के अन्तर्गत तकनिकी कुशलता को प्राप्त करने के लिए लक्ष्मी कान्त झा समिति की सिफारिशों पर कृषि क्षेत्र में सब्सिडी की अवधारणा को लागू किया गया |इसके लागू होने से भारत में कृषिगत उत्पादन विशेष रूप से खाद्य फसलों का उत्पादन तीव्र गति से बढ़ा|लेकिन अब यह कहा जा रहा है की 1990 के बाद सब्सिडी कृषि उत्पादन बढ़ने में ज्यादा योगदान नही दे पा रही है |
भारत में कृषि सब्सिडी की आवश्यकता क्यों है ?
भारत जैसे राष्ट्रों में कृषि को संवृद्धि के इंजन के रूप में संबोधित किया गया है |राष्ट्र का समग्र विकास कृषि विकास पर निर्णायक रूप से निर्भर करता है |
भारत में हरित क्रांति से जुडी तकनीकी कुशलता को प्राप्त करने के लिए कृषि आगतों पर सब्सिडी को ज़रूरी माना गया है ,क्योंकि भारत में अधिकांश कृषक गरीबी के कारण बाजार मूल्यों पर आधुनिक कृषि आगतों को खरीदने में समर्थ नही हैं |
कृषि सब्सिडियां सामाजिक उद्देश्यों से भी सम्बन्ध रखती है,इसका कारण यह है कि यह निर्धन किसानों को एक अप्रत्यक्ष आय के रूप में मदद करती है |
भारत में ग्रामीण विकास और जीविकोपार्जन सुरक्षा के लिए भी कृषि सब्सिडी महत्वपूर्ण है |
भारत में व्यपारिक उदारीकरण को लागू होने और विश्व व्यापार संगठन के प्रति हमारी प्रतिबद्धताओं के सन्दर्भ में कृषि पर सब्सिडी देना आवश्यक है | ऐसा नही करने पर सस्ते विदेशी आयातित माल से प्रतिस्पर्धा करना मुश्किल हो जाएगा |
भारत में खाद्य सुरक्षा एक गंभीर चुनौती बनी हुई है ,और यह स्थिति भौतिक उत्पादन को लेकर है |ऐसे में कृषि सब्सिडी देना अनिवार्य है नही तो इसका विपरीत प्रभाव पड़ सकता है |
भारत में मुद्रास्फीति का एक मुख्य कारण खाद्य वस्तुओं का महंगा होना है ,कृषि सब्सिडी हटाने से यह समस्यां और गंभीर हो सकता है ,और महंगाई पर नियंत्रण करना मुश्किल हो सकता है |
औद्योगिक विकास के लिए श्रम वस्तुएं सस्ती होनी चाहिए अर्थात किसानों के द्वारा उत्पादित वस्तुएं सस्ती होनी चाहिए ,जिसके लिए कृषि सब्सिडी आवश्यक है |
भारत में कृषि सब्सिडियां विवादास्पद क्यों है ?
भारत में उच्च राजकोषीय घाटे का एक मुख्य कारण कृषि सब्सिडी है |राजकोषीय घाटा उच्च होने से सरकार की भुगतान क्षमता कमज़ोर होती है और ब्याज दर बढ़ती है | जिससे निजी निवेश में कमी आती है |
अधिक मात्रा में सब्सिडी से कृषि क्षेत्र में किए जाने वाले कुल सरकारी खर्च में पूंजी निर्माण (capital formation) से जुड़े खर्च कम हो जाते है |वर्तमान में कुल सरकारी खर्च में पूंजी निर्माण से जुड़ा खर्च मात्र 20 % है जबकि सब्सिडी पर 80 % खर्च हो रहे है जिसके कारण सब्सिडी की उत्पादकता गिर रही है |
कृषि आगत सब्सिडियां परंपरागत कृषि आगतों के प्रयोग को हतोत्साहित करती है जबकि परंपरागत कृषि आगत पर्यावरण के प्रति अधिक मित्रवत होते है |
कृषि आगत सब्सिडियां न केवल पर्यावण को हानि पहुँचाती है बल्कि मिट्टी के पोषणीय संतुलन को बिगाड देती है | WHO के एक नवीनतम अध्ययन में विश्व में कैंसर के फैलने का एक कारण खाद्य फसलों में रासायनिक उर्वरको का अधिक उपयोग है |
भारत में कृषि सब्सिडियां भू जल भंडारों पर विपरीत प्रभाव डाल रही है और उसके अतिदोहन को बढ़ावा दे रही है |
भारत में कृषि सब्सिडियों के कारण क्रॉपिंग पैटर्न में भारी बदलाव आया है | मोटे अनाज ,दाल आदि के उत्पादन में कमी आई है | भारत में बड़ी मात्र में दाल का आयात करता है |
यह कहा जाता है कि कृषि सब्सिडियों का अधिकांश लाभ बड़े किसानों को मिलता है ,इससे भारत में सामाजिक न्याय की अवधारणा को ठेस पहुचती है |
भारत में उर्वरक सब्सिडी का एक बड़ा भाग उर्वरक उत्पादकों को दिया जाता है |कृषको के पास उसका 60 % भाग ही जा पाता है |
भारत में असुंतलित उर्वरक सब्सिडियों के कारण N : P : K अनुपात बुरी तरह से असंतुलित हो गया है ,जिसके कारण उर्वरक सब्सिडियों की उत्पादकता कम हो गई है |
सब्सिडी में क्या होना चाहिए ?
भारत में गरीबी निवारण खाद्य सुरक्षा ग्रामीण विकास ,समावेशी विकास ,कृषि उत्पादकता ,अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा ,मुद्रा स्फीति आदि से जुडी आवश्यकताओं के मद्देनज़र कृषि आगत सब्सिडी को समाप्त करना उचित नही होगा |अतः सब्सिडियों को आरोपित करते समय निम्न बातों पर ध्यान देना चाहिए —
सब्सिडियों को अनंत समय तक देने बजाए उन्हें पूर्व निर्धारित समय सीमा से जोड़ा जाना चाहिए |
इनकी उपयुक्त टार्गेटिंग होनी चाहिए अर्थात इसका रिसाव नही होना चाहिए |
सब्सिडी की राशनिंग की जानी चाहिए अर्थात प्रति कृषक सब्सिडी की अधिकतम मात्रा को निर्धारित किया जाना चाहिए |
सब्सिडी का ढांचा इस तरह से हो की फसल के लिए सभी आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी नही रहे |इस सन्दर्भ में सरकार के द्वारा nutrient based subsidy योजना को शुरू किया गया है |
सब्सिडी के पड़ने वाले प्रभाव का नियमित मूल्यांकन होना चाहिए और उन्हें मापा जाना चाहिए |
सब्सिडियां राजनीति से प्रेरित नही होनी चाहिए |
सब्सिडियों के साथ पूंजी निर्माण पर ध्यान दिया जाना चाहिए |
लोगो को कृषि आगतों के उपयोग और प्रभावों के बारे में शिक्षित किया जाना चाहिए |
Devesh Kumar Pandey Dec 28, 2017
Sir mains Ke question and answer send kr Diya kro