मौद्रिक नीति के उद्देश्य –
मुद्रा स्फीति (Inflation)-> वस्तुओं के मूल्यों में इज़ाफा -> अर्थव्यवस्था के लिए नुकसानदायक|
मुद्रा अवस्फीति (Deflation)-> वस्तुओं के मूल्यों में गिरावट -> बेरोजगारी में इज़ाफा -> अर्थात सेवाओं में गिरावट ->अर्थव्यवस्था के लिए नुकसानदायक|
किसी भी वस्तु के उत्पादन की एक निश्चित लागत होती हैं | इसीलिए यदि वस्तुओं के मूल्य में लगातार गिरावट आएगी तो उत्पादनकर्ता अपने खर्च को कम करने के लिए कर्मचारियों की छंटनी शुरू करेगा जिसके परिणामस्वरूप बेरोजगारी बढ़ेगी | वस्तुओं की गुणवत्ता कम हो जाएगी | लाभ नही होने पर व्यवसाय को बढ़ाने के प्रति उदासीनता बढ़ेगी | मूल्यों में लगातार गिरावट आने से सरकार के कर (tax) में कमी आएगी | परिणामस्वरूप सरकार शिक्षा , स्वास्थ्य, सड़क आदि पर कम खर्च करेगी | अंततः गरीबी , बीमारी , अशिक्षा आदि बढ़ेगी |
मौद्रिक नीति क्या हैं ?
मौद्रिक नीति के उपकरण(Tools of Monetary Policy)
आरबीआई मुद्रा के प्रवाह को नियंत्रित करने के लिए दो तरह के उपकरण का इस्तेमाल करती हैं|
मात्रात्मक उपकरण (Quantitative tools)
मात्रात्मक उपकरण निम्न है–
आरक्षित अनुपात (reserve ratio)
आरक्षित अनुपात (reserve ratio) दो प्रकार के होते है —
1.नकद आरक्षित अनुपात (CRR)–:
सांविधिक तरलता अनुपात (SLR) –:
आरक्षित अनुपात मुद्रा स्फीति व मुद्रा अवस्फीति को नियंत्रित करने में कैसे सहायक है ?–
तो अभी बैंक X के पास कुल NDTL हैं ————-100करोड़|
बैंक X को CRR के रूप में NDTL का 4 % रखना पड़ता हैं ——————————–4 करोड़ |
बैंक X को SLR के रूप में NDTL का 21.25% रखना पड़ता हैं —————————-21.25 करोड़
अब व्यपार के लिए बैंक X के पास शेष राशि हैं —–74.75 करोड़ |
अब हम मान लेते हैं कि बाजार में मुद्रा स्फीति कि स्थिति है और RBI ने CRR व SLR को क्रमशः 10% व 30% कर दिया हैं|
अब क्या होगा ?
बैंक X के पास कुल NDTL हैं ————-100 करोड़ |
बैंक X को CRR के रूप में NDTL का 10 % रखना पड़ा ——————————–10 करोड़ |
बैंक X को SLR के रूप में NDTL का 30% रखना पड़ा —— —————————-30 करोड़ |
अब व्यपार के लिए बैंक X के पास शेष राशि हैं —–60 करोड़ |
बैंक X के पास पहले 74.75 करोड़ रुपए थे जिससे वो व्यपार करके अपने खर्च को मेन्टेन करती थी और मुनाफा कमाती थी |
अब बाजार में मुद्रा स्फीति होने के कारन RBI ने CRR व SLR को बढ़ा दिया हैं |
जिससे बैंक X के पास 60 करोड़ रुपए ही बचे हैं और उसे अपना खर्च भी मेन्टेन करना हैं और मुनाफा भी कमाना हैं |
तो बैंक अब क्या करेगी ?
बैंक अपना ब्याज दर पहले के अपेक्षा बढ़ा देगी जिससे उसे कम पैसो में ही पहले इतना लाभ हो सके |
इसका प्रभाव बाजार पर क्या पड़ेगा ?—-
ब्याज दर बढ़ने से व्यवसायी कम पैसा ऋण के रूप में लेंगे |नया बिज़नेस शुरू नही किया जाएगा | शुरू किए गए बिज़नेस को बढ़ाया नही जाएगा |
परिणाम —-
रोजगार में कमी होगी ,जिसके कारण कर्मचारियों की छंटनी होगी |
वेतन में वृद्धि नही होगी जिसके परिणामस्वरूप लोगों के द्वारा अपने खर्च में कटौती की जाएगी | अंततः वस्तु व सेवा के मांग में कमीं आएगी (आय में कमीं के आने कारण)
इन सब के परिणामस्वरूप बाजार में वस्तुओं के मूल्य में कमीं आएगी व मुद्रा स्फीति पर नियंत्रण होगा |
अर्थात जब बाजार में मुद्रा स्फीति रहती हैं तो RBI आरक्षित अनुपात को बढ़ा देती हैं, और मुद्रा के प्रवाह को कम कर देती हैं और मुद्रा स्फीति पर नियंत्रण करती हैं | इसके विपरीत मुद्रा अवस्फीति के समय RBI बाजार में मुद्रा के प्रवाह को घटा देती हैं | कैसे ?—
आरक्षित अनुपात को कम करके RBI बैंको के पास ज्यादा पैसा रहने देती हैं , जिससे बैंक अपना ब्याज दर कम रखती हैं और ऋण लेना सस्ता रहता हैं |
UPSC 2015 के एक प्रश्न को देखते हैं—
(Q) जब RBI एसएलआर को 50 आधार अंक कम कर देती हैं तो निम्नलिखित में से क्या होने की सम्भावना होती हैं ?
(a) भारत के जीडीपी विकास दर प्रबलता से बढ़ेगी |
(b)विदेशी संस्थागत निवेशक हमारे देश में और अधिक पूंजी लाएंगे |
(c) अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक अपने उधार देने की दर को घटा सकते हैं |
(d)इससे बैंकिंग व्यवस्था की नकदी में प्रबलता से कमी आ सकती हैं |
ans – (c) क्यों–
एसएलआर RBI के मौद्रिक नीति के उपकरण है ,इसे भारत के जीडीपी और विदेशी संस्थागत निवेशक से कोई लेना देना नही है ,सो a और b गलत हैं |
c सही हैं -> RBI एसएलआर को घटा रही हैं जिससे बाजार में महंगाई पर नियंत्रण हो रहा है | एसएलआर घटने से बैंको के पास ज्यादा पैसे शेष है सो बैंक अपने उधार देने की दर को घटा सकती है ताकि व्यपार आदि बढ़ सके |
(d) गलत है क्योंकि एसएलआर घटने से नकदी की प्रबलता में वृद्धि होगी |
अभी तक हमने पढ़ा कि—-
मुद्रा स्फीति के समय RBI , CRR व SLR को बढ़ा देती है व मुद्रा अवस्फीति के समय RBI , CRR व SLR को घटा देती है |
अब हम RBI के दूसरे मात्रात्मक उपकरण को समझते है
(2)खुला बाजार परिचलन OPEN MARKET OPERATION (OMO)
अभी तक हमने देखा की मुद्रा स्फीति के समय RBI ऐसी नीति बनाती है कि बाजार में पैसो का परिचलन कम हो जाए |
इसीलिए मुद्रा स्फीति के समय RBI अपने पास से सरकारी प्रतिभूतियों को बैंक X को बेचेगी | इस शर्त पर की मैं आपको एक निश्चित ब्याज के साथ पैसे लौटकर अपनी प्रतिभूतियों को वापस खरीद लूंगा|
बैंक X जब प्रतिभूतियों का खरीद लेगी तो उसके पास ब्याज पर देने के लिए कम पैसे बचेंगे |
परिणामस्वरूप बैंक X अपना ब्याज दर बढ़ा देगी जिसके कारण व्यवसायी कम ऋण लेंगे ,और नया बिज़नेस शुरू नही किया जाएगा | शुरू किए गए बिज़नेस को बढ़ाया नही जाएगा |
परिणाम —-
जब हमें मुद्रा स्फीति नियंत्रण करने का तरीका मालूम हो जाए तो, हम सिर्फ उसका उल्टा कर देंगे वही मुद्रा अवस्फीति नियंत्रण का तरीका होगा |
अभी तक हमने सीखा मुद्रा स्फीति के समय RBI बाजार से मुद्रा के परिचलन को कम कर देती है|जिससे मुद्रा का मूल्य बढ़ जाता है , इस प्रक्रिया को हम महंगी मुद्रा नीति कहते है | जबकि मुद्रा अवस्फीति के समय मुद्रा सस्ती हो जाती है और हम मुद्रा अवस्फीति के समय सस्ती मुद्रा नीति अपनाते है |
UPSC 2013 का एक प्रश्न देखते है ——
(Q)भारतीय बाजार में ‘खुला बाजार परिचलन ‘ किसे निर्दिष्ट करता है ?
(a) अनुचित बैंकों के द्वारा RBI से ऋण लेना |
(b) वाणिज्यिक बैंकों द्वारा उद्योग व व्यपार के लिए ऋण देना |
(c) RBI द्वारा सरकारी प्रतिभूतियों का क्रय और विक्रय |
(d) उपयुक्त में से कोई नहीं |
ans – c
अभी तक हमने दो मात्रात्मक उपकरण देखा —
अब हम एक और मात्रात्मक उपकरण को देखते है —–
(3)नीतिगत दर (Policy Rate)——
RBI बैंक रेट की मदद से RBI महंगाई को कैसे नियंत्रित करती है ??
इससे 2015 में upsc ने एक सवाल पूछ लिया ——
(Q)भारतीय अर्थव्यवस्था के सन्दर्भ में निम्न पर विचार कीजिए —-
उपयुक्त में से कौन सा मौद्रिक नीति के घटक हैं ?
(a) केवल 1 (b) 2,3,4
(c)1 और 2 (d)1,3,4
अभी तक हमने जो सीखा उससे हमें पता हैं कि मौद्रिक नीति के घटक बैंक दर और (OMO) हैं , इसीलिए 1 व 2 सही हैं और 1 व 2 सिर्फ विकल्प c में हैं |इसीलिए सही उत्तर c होगा |
2013 के एक और प्रश्न को देखते हैं —-
(Q) बैंक दर में व्रिद्धि सामान्यतः इस बात का संकेत हैं कि —
ans –(d)
हमने अभी तक सीखा हैं कि बैंक दर का उपयोग RBI मौद्रिक नीति के उपकरण के रूम में करती हैं | बैंक दर बढ़ाने का मतलब हैं महंगाई को नियंत्रित करना ,जिसके लिए RBI महंगी मुद्रा नीति का अनुसरण करती हैं ,और मुद्रा के प्रवाह को कम कर देती हैं |
आइये अब बैंक दर के बारे में कुछ और जानते हैं —
आगे बढ़ते हैं —
तरलता समायोजन सुविधा (LIQUIDITY ADJUSTMENT FACILITIES , LAF)
रेपो रेट —
RBI के ग्राहक ——
(NBFI के बारे में हम अलग से पढ़ेंगे , अभी सिर्फ इतना जानते हैं कि ये सभी RBI के ग्राहक हैं )
सीमांत गतिरोध सुविधा (MARGINAL STANDING FACILITIES , MSF)
IAS 2014 का एक प्रश्न देखते हैं
(Q)’सीमांत स्थायी सुविधा दर ‘(MSF) तथा ‘ निवल मांग और सावधि देयताएं ‘(NDTL) पदबंध कभी – कभी समाचार में आते रहते हैं | इनका प्रयोग किसके सम्बन्ध में किआ जाता है ?
ANS (a)
सीसैट आने के बाद से ECONOMICS के प्रश्न बहुत आसान आ रहे है | बस हमें इसे एक बार समझ लेने कि ज़रुरत हैं |
रिवर्स रेपो रेट —-
रेपो रेट व MSF में बहुत सारी समानताओं के वाबजूद कुछ अंतर भी हैं ——-
रेपो रेट | MSF |
-> RBI के सभी ग्राहक ऋण ले सकते है | केवल वाणिज्यिक बैंक ऋण ले सकते हैं |
-> न्यूनतम -5 करोड़ | न्यूनतम -1 करोड़ |
-> एसएलआर की प्रतिभूतिया गिरवी नही रख सकते है | एसएलआर की प्रतिभूतिया गिरवी रख सकते है |
->ऋण लेने की अधिकतम कोई सीमा नही है | अधिकतम बैंक के NDTL का 0.75% ऋण ले सकते है |
->RBI रेपो रेट का निर्धारण करती है | MSF = रेपो रेट +1 % |
=>> मुद्रा स्फीति को नियंत्रित करने के लिए RBI रेपो रेट को बढ़ देती हैं |
परिणाम -> बैंकों के लिए RBI से लघु अवधि के लिए ऋण लेना महंगा हो जाएगा |और बैंक अपना ब्याज दर बढ़ा देंगे (अपने लाभ को सुनिश्चित करने के लिए ) जिसके कारण व्यवसायी कम ऋण लेंगे और नए व्यवसाय की शुरुआत नही होगी | नौकरी में कमी आएगी , आय में कमीआएगी|अंततः मांग में कमी आएगी|
->मांग में कमी के परिणामस्वरूप , बाजार खुद ही अपनी कीमतों को घटा देंगी |व महंगाई पर नियंत्रण होने लगेगा |
->मुद्रा अवस्फीति कि स्थिति में RBI रेपो रेट को कम कर देगी |
अभी तक हमने जो पढ़ा उसे एक टेबल के सहारे समझते हैं——
मौद्रिक नीति———– | महंगी मुद्रा नीति | सस्ती मुद्रा नीति
|
उपकरण | मुद्रा स्फीति | मुद्रा अवस्फीति |
आरक्षित अनुपात (reserve ratio)
CRR ,SLR |
बढ़ा देंगे | घटा देंगे |
खुला बाजार परिचलन—OPEN MARKET OPERATION (OMO) | RBI प्रतिभूतियों को बेचेगी | RBI प्रतिभूतियों को खरीदेगी |
नीतिगत दर(Policy Rate) | बढ़ा देंगे | घटा देंगे |
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When Central or State Government (India) takes the loan from open market, at that time Government is appointing the Specific Authority ( Technical word do not know), which acts as an Authority of Government of India, to raise the funds ( perhaps it may be Deployer / Fund raiser / Fund arranger). That authority will raise the funds for Government and it will be deployed in to various projects as per instructions (terms of agreement) given by Government of India or Any State Government. Can anybody explain about it. Name of Authority (technically). Qualification or Eligibility of that Authority, Licences necessary for appointing this Authority...Which department under "MOF" is taking the decision in this respect?
Welcome Arvind jee
after all I found a beautiful door to entering in economics world . Thank you sir for simple language for tough subject. again thank you.
Very emportant knowledge
excellent explanation
भाषा सरल एवं सहज है। बहुत ही अच्छे तरीके से समझाया गया है। बहुत बहुत धन्यवाद....
Excellent explanation .impressive..
It is very interesting material. Please upload about gdp
बहुत अच्छी जानकारी उपलब्ध कराई है आपने ।
लेक्चर अटेंड करने के बाद उसको
समझने में यह बहुत कारगर है । धन्यबाद
Hi my name is Joselyn and I just wanted to drop you a quick note here instead of calling you. I came to your मौद्रिक नीति(MONETARY POLICY) : मात्रात्मक व गुणात्मक उपकरण (आरक्षित अनुपात , OMO , नीतिगत दर ) – हिंदी – आईएएस page and noticed you could have a lot more traffic. I have found that the key to running a successful website is making sure the visitors you are getting are interested in your subject matter. There is a company that you can get keyword targeted traffic from and they let you try the service for free for 7 days. I managed to get over 300 targeted visitors to day to my site. http://zntc.ca/ztc/ajzbc - Unsubscribe here: http://www.dreamingson.com/r/ur
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Durga parasad Feb 26, 2020
सर आपका समझाने का तरीका बहुत आश्चर्यजनक है हम उम्मीद करते हैं कि भविष्य में आप इसी प्रकार से सिलेबस को एक्सप्लेन करके क्वेश्चन से जोड़कर बहुत अच्छा समझाने का प्रयास किया सर आपने मैं पहली बार आज आईएस हिंदी साइट पर गया यहां पर मैंने बहुत अच्छा इकोनॉमिक्स से रिलेटेड कई चीजें समझी बहुत-बहुत धन्यवाद सर आपका