भारत में जनगणना और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को अपडेट करने की प्रक्रिया शुरू होने जा रही है, जिसमें प्रत्येक व्यक्ति का विवरण होगा। जनगणना और एनपीआर में बहुत ज्यादा अंतर नहीं है। आइए समझते हैं दोनों की विशेषताएं, मकसद और अंतर क्या है और किस कानून के तहत ये प्रक्रियाएं पूरी की जाती हैं। एनपीआर देश के सभी सामान्य निवासियों का रजिस्टर है। इसे नागरिकता अधिनियम 1955 और नागरिकता (नागरिकों का पंजीकरण और राष्ट्रीय पहचान पत्र जारी करना) नियमों, 2003 के प्रावधानों के तहत स्थानीय (गांव/मोहल्ला/वार्ड/कस्बा), तहसील (उप-जिला), जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर तैयार किया जाता है।
सामान्य निवासी कौन है?
एनपीआर की प्रक्रिया कब शुरू होगी?
एनपीआर का क्या है मकसद ?
एनपीआर में क्या होगा विवरण?
जनगणना क्या है?
जनगणना में क्या जानकारी होती है?
जनगणना में देश की जनसंख्या, आर्थिक गतिविधि, साक्षरता और शिक्षा, आवास और आवासीय सुविधाओं, शहरीकरण, जन्म और मृत्यु दर, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति, भाषा, धर्म, पलायन, दिव्यांगता इत्यादि के बारे में विस्तृत और सटीक जुटाई जाती है। इसके आधार पर ही सरकारी योजनाएं लागू की जाती हैं। इसी के आधार पर पिछले दस साल में देश की प्रगति का पता चलता है और आगामी सरकारी योजनाओं का खाका तैयार किया जाता है। जनगणना-2021 दो चरणों में पूरी की जाएगी।
पहले चरण में एक अप्रैल से 30 सितंबर, 2020 के बीच केंद्र और राज्य सरकार के कर्मचारी घर-घर जाकर आंकड़े जुटाएंगे। वहीं दूसरे चरण में जनसंख्या की गणना की काम नौ फरवरी से 28 फरवरी 2021 के बीच पूरा होगा। संशोधन की प्रक्रिया एक मार्च से पांच मार्च, 2021 के बीच होगी। जनगणना का संदर्भ दिन एक मार्च, 2021 की मध्य रात्रि होगी। जिन राज्यों में बर्फबारी होती है, जैसे जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, लद्दाख और उत्तराखंड में जनगणना का संदर्भ दिन एक अक्टूबर, 2020 होगा।
SOURCE दैनिक जागरण
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