प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना

प्रस्तावना
यह टॉपिक पुराना हो गया है लेकिन UPSC mains को देखते हुए एक बार इसे देख लेते है |
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना एक नई फसल क्षति बीमा योजना है जिसे जनवरी 2016 में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा अनुमोदित किया गया है | यह वर्तमान दो फसल बीमा योजनाओं –राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना और संसोधित NAIS को प्रतिस्थापित करेगा |नई योजना इस वर्ष जून में आरम्भ हो रहे खरीफ सत्र से आरम्भ हुई है |
इस योजना की मुख्य विशेषताएं निम्न है —

  • किसानों द्वारा एक सामान रूप से सभी खरीफ फसलों के लिए केवल 2% और सभी रबी फसलों के लिए केवल 1.5% प्रीमियम का भुगतान करना होगा | वार्षिक वाणिज्यिक फसलों व बागवानी के मामले में किसानों को केवल 5% प्रीमियम का भुगतान करना होगा |इसके अलावा प्राकृतिक आपदाओं के कारन फसल क्षति के विरुद्ध किसानों को पूर्ण बीमित राशि प्रदान करने के लिए शेष प्रीमियम का भुगतान सरकार के द्वारा किया जाएगा |
  • सरकारी सब्सिडी पर कोई ऊपरी सीमा नही है |यहाँ तक की अगर शेष प्रीमियम 90 % है तो भी वह सरकार के द्वारा वहन किया जाएगा |पहले प्रीमियम दर पर ऊपरी सीमा का प्रावधान था ,जिसके परिणामस्वरूप किसानों को उनके दावों पर कम भुगतान किया जा रहा था |इस ऊपरी सीमा का प्रावधान प्रीमियम सब्सिडी पर सरकार के व्यय को सीमित करने के लिए किया गया था |उस पर ऊपरी सीमा को हटा दिया गया है जिससे किसानों को अपने दावें के विरुद्ध बिना किसी कमी के सम्पूर्ण बीमित राशि प्राप्त होगी |
  • प्रौद्योगिकी के उपयोग को काफी हद तक प्रोत्साहित किया जाएगा | किसानों के दावो के भुगतान में देरी को कम करने के लिए फसल कटाई का डाटा कैप्चर और अपलोड किया जाएगा जिसके लिए स्मार्ट फ़ोन का इस्तेमाल किया जाएगा |
  • संपूर्ण राज्य के लिए एक बीमा कंपनी होगी | इस योजना को लागु करने के लिए निजी बीमा कंपनियों को एग्रीकल्चर बीमा कंपनी ऑफ़ इंडिया के साथ जोड़ा जाएगा |
  • यह योजना फसल क्षति के त्वरित आकलन के लिए सुदूर संवेदन (रिमोट सेंसिंग ),स्मार्ट फ़ोन और ड्रोन का उपयोग करेगी |
  • आच्छादित (कवर) किए जाने वाले जोखिम एवम अपवाद —-
    जोखिम —
    इस योजना के अन्तर्गत फसल क्षति निम्न जोखिम आच्छादित(कवर) किए जाते है —

    उत्पादन क्षति (खड़ी फसल अधिसूचित क्षेत्र के आधार पर )–

  • रोके न जा सकने वाले जोखिमों जैसे प्राकृतिक आग और बिजली|
  • तूफान, ओलाव्रिष्टी ,चक्रवात ,आंधी ,तूफान, हरिकेन , आदि |
  • बाढ़,सैलाब,और भूस्खलन
  • सूखे,शुष्क दौर
  • कीट अथवा रोग के कारन हुई उपज क्षति को कवर करने के लिए व्यपक जोखिम बीमा प्रदान किया जाता है |
  • बुवाई न होना (अधिसूचित क्षेत्र के आधार पर )

    ऐसे मामले में जहाँ किसी अधिसूचित क्षेत्र के बहुसंख्यक बीमित किसान बोने / रोपने की इच्छा से तदर्थ व्यय कर चुके है ,किन्तु प्रतिकूल मौसम की स्थिति में बुवाई /रोपाई नही कर पाते है ,वे बीमित राशि के अधिकतम 25 % तक के क्षतिपूर्ति के दावे करने के पात्र होंगे |

    कटाई उपरांत क्षतियां (अलग अलग खेत के आधार पर )–

    कटाई के उपरांत अधिकतम 14 दिन की अवधि तक चक्रवात ,पुरे देश में बेमौसम बारिश जैसे विशिष्ट खतरों के विरुद्ध उन फसलों के लिए कवरेज उपलब्ध है जो सूखने के लिए ‘काटी और फैलाई गई’ अवस्था में रखी गई है |

    स्थानीय आपदाएं (अलग अलग खेत के आधार पर )—

    चिन्हित स्थानीयकृत जोखिम अर्थात ओलाव्रिष्टी, भूस्खलन और सैलाब आने से उत्पन्न क्षति ,जो अधिसूचित क्षेत्र के खेतों को प्रभावित करती है |

    अपवाद —
    निम्नलिखित के कारण उत्पन्न होने वाले जोखिम और हानियों को अपवाद माना जाता है —

  • युद्ध एवम परिजनों संबंधी खतरे |
  • परमाणु जोखिम ,दंगे, दुर्भावपूर्ण क्षति ,चोरी ,शत्रुता के कार्य |
  • घरेलु और जंगली जानवरो द्वारा फसल को चर लिया जाना या नष्ट कर दिया जाना जाना |
  • कटाई उपरांत – फसल हानियों के मामले में कटाई गई फसल को थ्रेशिंग से पूर्व बण्डल बनाकर और एक स्थान पर ढेर लगाने के बाद हुई हानि और अन्य रोके जा सकने वाले जोखिम |


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