उपर्युक्त में से कोई नहीं पुर्तगीज कंपनी का नाम एस्तादो द इंडिया था. अल्बुकर्क ने गोवा पर 1510 ई. में विजय प्राप्त की थी जबकि नूनो डी कुन्हो ने गोवा को राजधानी बनाया था. पुर्तगीज ने सर्वप्रथम अपना व्यापारिक केंद्र कोचीन में खोला था. प्रथम कर्नाटक युद्ध 1946 – 48 के बीच लड़ा गया जिस में अंग्रेजो की तरफ से कर्नाटक के नवाब अनबरुद्दीन तथा फ्रांसीसी की तरफ से पैराडाइज ने नेतृत्व किया. यह लड़ाई अड्यार नदी के तट पर सैंट टॉमी में लड़ा गया जिसमें अंग्रेजों को पराजय का सामना करना पड़ा.
दस्तक सामान्यतः एक प्रकार का ट्रेडिंग लाइसेंस था जो ईस्ट इंडिया कंपनी को बाह्य व्यापार के लिए दिया गया था. इसे दिखाने पर चुंगी के अधिकारी कंपनी से कर नहीं मांगते थे.
1757 ईसवी के प्लासी के युद्ध से पूर्व ही कंपनी ने (क्लईव व वाटसन ने) मीर जाफर (सिराजुद्दौला का सेनापति), मानिकचंद ( कोलकाता का प्रभारी) तथा जगत सेठ( कोलकाता का सबसे बड़ा साहूकार) को अपने साथ मिला लिया था.
- बक्सर का युद्ध बंगाल के नवाब मीर कासिम, अवध के नवाब सुजाउद्दौला, मुगल बादशाह शाह आलम II तथा ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच हुआ जिसमें कंपनी का नेतृत्व हेक्टर मुनरो ने
किया.इस युद्ध का तात्कालिक कारण दस्तक का दुरूपयोग था.
प्रथम आंग्ल मैसूर युद्ध – मद्रास की संधि
द्वितीय आंग्ल मैसूर युद्ध – मंगलौर की संधि (वारेन हेस्टिंग्स)
तृतीय आंग्ल मैसूर युद्ध – श्रीरंगपट्टनम की संधि ( कार्नवालिस)
- तृतीय आंग्ल मैसूर युद्ध टीपू सुल्तान और अंग्रेजों के बीच लड़ा गया जिसमें टीपू के पराजय के बाद श्रीरंगपट्टनम की संधि की गई जिसकी शर्ते निम्नलिखित है-
- डिंडीगुल, बाड़ामल, मालाबार जैसे क्षेत्र जिसका सामरिक व आर्थिक महत्व था अंग्रेजों को दे दिया गया है.
- टीपू सुल्तान को 3 करोड़ रुपए का भुगतान करना पड़ा.
- तुंगभद्रा नदी से ऊपर का हिस्सा मराठा को तथा कृष्णा व पेन्नार नदी का हिस्सा निजाम को दे दिया गया.
लॉर्ड हेस्टिंग्स के कार्यकाल में अधिनस्थ पृथक्करण की नीति लाई गई जिसके अंतर्गत कहा गया कि सहायक संधि किए हुए सभी राजा अब कंपनी के अधीन रहेंगे.
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