अनर्जक परिसंपत्तिया या गैर निष्पादित परिसंपत्ति {NON PERFORMING ASSETS (NPA)}
अनर्जक परिसंपत्तिया क्या है ?
अनर्जक परिसंपत्तिया (NPA) बैंकों के द्वारा दिया गया एक ऐसा ऋण या अग्रिम हैं जिसके मूलधन या ब्याज का भुगतान 90 दिनों की अवधि तक बकाया हो |
बैंक अनर्जक परिसंपत्तिया को अवमानक , संदिग्ध व घाटे की संपत्ति के रूप में आगे वर्गीकृत करती हैं |
अवमानक परिसंपत्ति(Substandard assets) – कोई भी ऐसी संपत्ति जो 12 महीनो तक अनर्जक परिसंपत्तिया बनी रहे उसे अवमानक संपत्ति कहते हैं |
संदिग्ध परिसंपत्ति (Doubtful assets ) -कोई भी ऐसी संपत्ति जो 12 महीनो तक अवमानक परिसंपत्ति की श्रेणी में बनी रहे तो उसे संदिग्ध परिसंपत्ति कहते हैं |
घाटे की परिसंपत्ति (Loss assets)– जब किसी सम्पति के बारे में RBI या कोई मान्य लेख परीक्षक यह घोषित कर दे कि इस संपत्ति की वसूली सम्भव नही हैं तो उसे घाटे की परिसंपत्ति कहते हैं |
अनर्जक परिसंपत्तिया (NPA ) मेंबढ़ोत्तरी के कारण—
अनर्जक परिसंपत्तिया का प्रभाव —
गैर निष्पादित परिसंपत्ति को दूर करने के उपाए —
(1) RBI के द्वारा —
हाल ही में RBI के द्वारा गैर निष्पादित परिसंपत्ति की समस्या को दूर करने के लिए निम्न उपाए किए गए है —-
विशेष उल्लेखित खाते (special mention account SMA) — कोई भी ऐसा ऋण जो 30 दिन से 90 दिन की अवधि के बीच अपना मूलधन व ब्याज न लौटा रही हो , ऐसे ऋण को RBI ,SMA के अन्तर्गत रखती है |(इसे ही दबाव वाली परिसंपत्तियां कहा जाता है |) RBI बैंकों को निर्देश देती है कि जैसे ही उन्हें किसी कर्ज़दार के क्रियाकलाप में कोई विसंगति या दबाव नज़र आए वैसे ही बैंकों को सुधारात्मक करवाई शुरू कर देनी चाहिए |
दबाव वाली परिसंपत्तियों से निपटारा करने के लिए RBI के द्वारा एक पोर्टल बनाया गया है CRILC |
(CRILC – Central Repository of information on Large Credit )
इसके अन्तर्गत(CRILC) ,हरेक बैंक व गैर वित्तीय संसथान जो जमा लेती है , अपने 5 करोड़ या उससे अधिक के ऋण का ब्योरा यहाँ उपलब्ध कराएगी यह ब्योरा SMA व NPA के रूप में होगा |
SMA1 | ऐसे ऋण जिनका मूलधन व ब्याज का बकाया 31 दिनों से 60 दिनों की अवधि के लिए हो | |
SMA2 | ऐसे ऋण जिनका मूलधन व ब्याज का बकाया 61 दिनों से 90 दिनों की अवधि के लिए हो | |
NPA | ऐसे ऋण जिनका मूलधन व ब्याज का बकाया 90से अधिक दिनों की अवधि के लिए हो | |
यदि किसी कंपनी में बैंकों द्वारा दिए गए ऋण कि कुल मात्रा 100 करोड़ या उससे अधिक हो जाए और वो ऋण SMA 2 के अन्तर्गत वर्गीकृत हो ,तो सम्बंधित बैंक को जॉइंट लेंडर फॉर्म JLF का निर्माण करना होगा | और JLF को एक corrective action plan CAP बनाना होगा ताकि बैंक SMA 2के ऋण को NPA में परिवर्तित होने से रोक सके |
CAP के अन्तर्गत निम्न कार्य किए जाते है ताकि दबाव वाली परिसंपत्ति NPA न बन जाए —-
SDR strategic debt restructuring – इसके अन्तर्गत बैंक NPA से सम्बंधित कंपनियों को दिए गए ऋण को इक्विटी में बदल कर उसके प्रबंधन पर नियंत्रण कर सकती है |और बैंक 18 महीने के अंदर इक्विटी को बेच कर कर अपने पैसे वापस ले सकती है |(कोई भी बैंक अधिकतम 18 तक इक्विटी को अपने पास रख सकती है )
ऋण वसूली अधिकरण (Debt Recovery Tribunal ,DRT) — NPA कि वसूली से सम्बंधित मामले यहाँ चले जाते है |कोई भी कंपनी बैंक के खिलाफ यहाँ अपील कर सकती है |
SARFAESI ACT २००२ – इसके अन्तर्गत बैंक व ऐसी वित्तीय संस्थान जो हाउसिंग फाइनेंस करती है अपने NPA कि वसूली कर सकती है |
क़र्ज़ के NPA होने कि स्थिति में 75% क़र्ज़ देने वाले बैंक या वित्तीय संस्थान मिलकर उधार लेने वाले पर करवाई कर सकती है | यदि कर्ज़दार क़र्ज़ नही चुकाता है तो बैंक / वित्तीय संस्थान क़र्ज़ के लिए जमा किए गए सिक्योरिटी को जब्त कर सकती है | जब्त किए गए सिक्योरिटी को बैंक assets reconstruction company ARC को बेच सकती हैं जिससे उनके बैलेंस सीट में सुधार होता हैं |बैंक / वित्तीय संस्थान क़र्ज़ लेने वाली संस्था के मैनेजमेंट पर कब्ज़ा कर सकती है |
सरफेसी ACT कृषि ऋण पर लागू नहीं होता हैं |
(2 ) सरकार के द्वारा
6 नए ऋण वसूली अधिकरण DRT बनाए गए |(बंगलुरु,चंडीगढ़ ,देहरादून ,एर्नाकुलम ,हैदराबाद ,सिलीगुड़ी )
ARC को और अधिक IT सुविधा दी गई |
NPA कि समस्या से निपटारा के लिए insolvency and bankruptcy code 2015 लाया गया हैं |
***भारत के 5 बड़े उद्योग जिनका NPA में अधिकतम योगदान है (~ 61 %)
टेक्सटाइल , खनन ,स्टील ,अवसंरचना ,विमानन (घटते हुए क्रम में )
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Nirmal Pandey May 29, 2018
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