19 वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में भारत में आधुनिक उद्योग धंधों के विकास के साथ श्रमिकों के रोजगार में भी वृद्धि हुई | लेकिन पुरे विश्व के श्रमिकों की तरह ही भारतीय श्रमिकों को कुछ कठिनाइयों का सामना करना पड़ा |इन कठिनाइयों में – कम मजदूरी , कार्य के लंबे घंटे ,कारखानों में आधारभूत सुविधाओं का अभाव आदि प्रमुख थे | भारतीय श्रमिक वर्ग को उपनिवेशवादी राजनितिक शासन तथा विदेशी एवं भारतीय पूंजीपतियों के शोषण का सामना करना पड़ा | इन परिस्थितियों के कारन भारतीय श्रमिक आंदोलन अनिवार्य रूप से राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन का एक हिस्सा बन गया |
प्रारंभिक प्रयास
प्रारंभिक राष्ट्रवादी विशेषकर उदारवादी —
शुरुआती दौड़ के कुछ महत्वपूर्ण प्रयास निम्न थे
प्रथम विश्व युद्ध के उपरांत ट्रेड यूनियन आंदोलन
प्रथम विश्व युद्ध के दिनों एवं उसकी समाप्ति के पश्चात् वस्तुओं के मूल्य में अत्यधिक वृद्धि हुई जिससे निर्यात को बढ़ावा मिला और व्यपारियों को अत्यधिक मुनाफा हुआ लेकिन श्रमिकों की मज़दूरी न्यूनतम ही रही |
यही वो वक़्त था जब श्रमिकों को व्यापार संघो में संगठित किए जाने की आवश्यकता महसूस किया गया |कुछ अंतरराष्ट्रीय घटनाओं जैसे सोवियत संघ की स्थापना ,कम्युनिस्ट की स्थापना तथा अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन की स्थापना जैसी घटनाओं से भारतीय श्रमिक वर्ग में एक नई चेतना का प्रसार हुआ |
AITUC की स्थापना 1920
1920 में आल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस की स्थापना की गई | लाल लाजपत रॉय एटक के प्रथम अध्यक्ष तथा दीवान चमनलाल इसके प्रथम महासचिव चुने गए | लाजपत रॉय ने पूंजीवाद को साम्राज्यवाद से जोड़ने का प्रयास किया |उनके अनुसार साम्राज्यवाद एवं सैन्यवाद , पूंजीवाद की जुड़वा संताने हैं |
एटक से जुड़े कुछ प्रमुख नेता थे सी आर दास , जवाहरलाल नेहरू , सुभाषचंद्र बोस , सी एफ एंड्रयूज ,जे एम सेनगुप्ता , वी वी गिरी , सत्यमूर्ति , सरोजनी नायडू आदि |
ट्रेड यूनियन अधिनियम 1926
इस अधिनियम में निम्न बातें कहीं गई —
श्रमिक विवाद अधिनियम 1929
इस अधिनियम में निम्न बातें की गई —
मेरठ षड्यंत्र केस
मार्च 1929 में सरकार ने 31 श्रमिक नेताओं को बंदी बना लिया तथा मेरठ लेकर उन पर मुकदमा चलाया गया | इन पर आरोप लगाया गया की ये सम्राट को भारत की प्रभुसत्ता से वंचित करने का प्रयास कर रहे थे | इन नेताओं में प्रमुख थे – मुजफ्फर अहमद ,एस ए डांगे,जोगलेकर , फिलिप स्प्राट ,वेन ब्रेडली,शौकत उस्मानी आदि |
1931 में अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस का विभाजन हो गया |दक्षिण पंथी मध्यममार्गीय नेता एम एन जोशी , वी वी गिरी और मृणाल क्रांति बोस ने एटक से अलग होकर भारतीय ट्रेड यूनियन संघ की स्थापना की |
MOHD MUKAMMIL Dec 22, 2017
Knowledgeable article