जैन धर्म

  • Home
  • जैन धर्म

जैन धर्म

Click on the Link to Download जैन धर्म PDF

  • जैनधर्म के संस्थापक एवं प्रथम तीर्थकर ऋषभदेव थे.
  • जैनधर्म के 23वें तीर्थकर पार्श्वनाथ थे, जो कशी के इक्ष्वाकु वंशीय राजा अश्वसेन के पुत्र थे.
  • महावीर स्वामी जैन धर्म के 24 वें एवं अंतिम तीर्थकर हुए.
  • महावीर का जन्म 540 ईसा पूर्व में कुण्डग्राम (वैशाली) में हुआ था. इनके पिता सिद्धार्थ ‘ज्ञातृक कुल’ के सरदार थे और माता त्रिशला लिच्छवि राजा चेटक की बहन थी.
  • महावीर की पत्नी का नाम यशोदा एवं पुत्री का नाम अनोज्जा प्रियदर्शनी था.
  • महावीर के बचपन का नाम वर्धमान था. उन्होंने 30 वर्ष की उम्र में माता पिता की मृत्यु के पश्चात् अपने बड़े भाई नंदिवर्धन से अनुमति लेकर सन्यास जीवन को स्वीकारा था.
  • 12 वर्षों की कठिन तपस्या के बाद महावीर को जृम्भिक के समीप त्रिजुपालिका नदी के तट पर साल वृक्ष के नीचे तपस्या करते हुए संपूर्ण ज्ञान का बोध हुआ.
  • इसी समय से महावीर जिन (विजेता), अह्रत (पूज्य) और निग्रंथ (बंधनहीन) कहलाए.
  • महावीर ने अपने उपदेश प्राकृत भाषा में दिया.
  • महावीर के अनुयायियों को मूलतः निग्रंथ कहा जाता था.
  • महावीर के प्रथम अनुयायी उनके दामाद जामिल बने.
  • प्रथम जैन भिक्षुणी नरेश दधिवाहन की पुत्री चंपा थी.
  • आर्य सुधर्मा अकेला ऐसा गन्धर्व था जो महावीर की मृत्यु के बाद भी जीवित रहा और जैनधर्म का प्रथम थेरा या मुख्य उपदेशक हुआ.
  • लगभग 300 ईसा पूर्व में मगध में 12 वर्षों का भीषण अकाल पड़ा , जिसके कारण भद्रबाहु अपने शिष्यों सहित कर्नाटक चले गए. किन्तु कुछ अनुयायी स्थूलभद्र के साथ मगध में ही रुक गए. भद्रबाहु के वापस लौटने पर मगध के साधुओं से उनका गहरा मतभेद हो गया, जिसके परिणामस्वरूप जैन मत श्वेताम्बर एवं दिगंबर नामक दो सम्प्रदायों में बँट गया. स्थूलभद्र के शिष्य श्वेताम्बर (श्वेत वस्त्र धारण करने वाले) एवं भद्रबाहु के शिष्य दिगंबर (नग्न रहने वाले) कहलाए.
  • जैनधर्म के त्रिरत्न हैं – सम्यक दर्शन , सम्यक ज्ञान और सम्यक आचरण.
  • त्रिरत्न के अनुशीलन में निम्न 5 महाव्रतों का पालन अनिवार्य हैं- अहिंसा, सत्य वचन, अस्तेय, अपरिग्रह एवं ब्रह्मचर्य.
  • जैनधर्म में ईश्वर की मान्यता नहीं है.
  • जैनधर्म में आत्मा की मान्यता है.
  • महावीर पुनर्जन्म एवं कर्मवाद में विश्वास करते थे.
  • जैनधर्म के सप्तभंगी ज्ञान के अन्य नाम स्यादवाद और अनेकांतवाद है.
  • जैनधर्म ने अपने आध्यात्मिक विचारों को सांख्य दर्शन से ग्रहण किया है.
  • जैन तीर्थकरों की जीवनी भद्रबाहु द्वारा रचित कल्पसूत्र में है.
  • 72 वर्ष की आयु में महावीर की मृत्यु (निर्वाण) 468 ईसा पूर्व में बिहार राज्य के पावापुरी (राजगीर) में हो गई.
  • मल्लराजा सृस्तिपाल के राजप्रासाद में महावीर स्वामी को निर्वाण प्राप्त हुआ था.
  • प्रथम जैनसंगति 300 ईसा पूर्व ,पाटलिपुत्र में स्थूलभद्र की अध्यक्षता में हुई.
  • द्वितीय जैनसंगति छठी शताब्दी में बल्लभी (गुजरात) में क्षमाश्रवण की अध्यक्षता में हुई.


  • COMMENTS (2 Comments)

    preeti Sep 6, 2020

    Jan dherm in Hindi notes

    Sachin saini Aug 31, 2020

    Sir apke according es pdf me Kuch glti h
    1.जैन दर्शन में भगवान को मानते थे ।पर भगवान को त्रिंथेकर के अधीन बताया गया हैं।
    2.भगवान महावीर का जन्म 540 bc में हुआ था ।और उनका देहांत 460बसी में हुआ था।उनका जीवन काल 80 साल था।🙏🏻🙏🏻🙏🏻

    LEAVE A COMMENT

    Search

    Verified by ExactMetrics