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राजगोपालाचारी फार्मूला
इसी तरह का व्यक्तिगत स्तर पर एक प्रयास कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रोजगोपालाचारी ने किया। राजगोपालाचारी ने कांग्रेस एवं मुस्लिम लीग के मध्य सहयोग बढ़ाने हेतु 10 जुलाई 1944 को एक फार्मूला प्रस्तुत किया, जिसे उन्हीं के नाम पर राजगोपालाचारी फार्मूले के नाम से जाना है। यह फार्मूला अप्रत्यक्ष रूप से पृथक पाकिस्तान की अवधारणा का ही प्रस्ताव था। गांधीजी ने इस फार्मूले का समर्थन किया। इस फार्मूले की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार थीं-
जिन्ना की आपत्तिः जिन्ना चाहते थे कि कांग्रेस द्वि-राष्ट्र सिद्धांत को स्वीकार कर ले। उन्होंने यह भी मांग की कि उत्तर-पूर्वी तथा उत्तर-पश्चिमी क्षेत्रों में केवल मुसलमानों को ही मत देने का अधिकार दिया जाये न कि पूरी जनसंख्या की। उन्होंने केंद्र में साझा सरकार के गठन के विचार का भी विरोध किया।
हालाँकि कांग्रेस, भारतीय संघ की स्वतंत्रता के लिए मुस्लिम लीग को पूर्ण सहयोग प्रदान किये जाने पर सहमत थी, लेकिन लीग ने भारतीय संघ की स्वतंत्रता की मांग पर ही केंद्रित था।
हिन्दू नेताओं जैसे वीर सावरकर ने राजगोपालाचारी फार्मूले की तीव्र आलोचना की।
स्रोत – आधुनिक भारत का इतिहास द्वारा राजीव अहीर…
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