प्रस्तावना
भारत में क्रांतिकारी आतंकवाद का विकास दो चरणों में हुआ | पहला चरण स्वेदेशी आंदोलन के बाद शुरू हुआ और दूसरा चरण लगभग 1920 के आस पास |
क्रांतिकारी आतंकवाद को पढ़ते समय हम upsc में गत वर्षों में पूछे गए प्रश्नों की प्रकृति के आधार पर अपनी पढाई करेंगे | गत वर्षों में इस टॉपिक से प्रारंभिक परीक्षा में तथ्यात्मक प्रश्न अधिक पूछे जाते है — जैसे क्रांतिकारी लीडर का नाम ,उनसे जुड़ी संस्थाएं ,उनके द्वारा किए गए कार्य व घटनाएं | कौन से क्रांतिकारी किस क्षेत्र से थे ,उनके द्वारा लिखी गई पुस्तक, पत्रिका के नाम आदि |हम इस लेख में इसी के इर्द गिर्द चीज़ों को समझने की कोशिश करेंगे |
क्रांतिकारी आतंकवाद के विकास का कारण–
क्रांतिकारी आतंकवाद के विकास के निम्न कारण थे —
क्रांतिकारी गतिविधियां —
बंगाल में —
बंगाल में क्रांतिकारियों का प्रथम गुप्त संगठन अनुशीलन समिति था ,जिसका गठन 1902 में किया गया|मिदनापुर में ज्ञानेंद्र नाथ बसु ने इसकी स्थापना की |जबकि कलकत्ता में इसका गठन पी. मित्र ने किया|अनुशीलन समिति से जुड़े अन्य सदस्य थे – जतींद्र नाथ बनर्जी ,बारीन्द्र कुमार घोष एवं भूपेन्द्रनाथ दत्त |बारीन्द्र कुमार घोष एवं भूपेन्द्रनाथ दत्त ने युगांतर नामक पत्रिका निकाला |
मुजफ्फरपुर षड्यंत्र कांड
1908 में मुजफ्फरपुर जिले के न्यायधीश किंग्सफोर्ड पर खुदीराम बोस व प्रफुल्ल चाकी ने उसके हत्या के उद्देश्य से बम फेंका |लेकिन गलती से बम कैनेडी की गाड़ी पर लग गई जिससे दो महिलाएं मारी गई |इसके बाद प्रफुल्ल चाकी और खुदीराम बोस पकड़े गए | प्रफुल्ल चाकी ने आत्महत्या कर ली और खुदीराम बोस को फांसी की सजा दी गई |
अलीपुर षड्यंत्र कांड
सरकार ने मनीकटोला उद्यान एवं कलकत्ता में अवैध हथियारों की तलाशी के लिए अनेक स्थानों पर छापे मारे तथा 34 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया | इनमे से दो बंधु अरविन्द घोष तथा बरिंद्र घोष भी शामिल थे|इनपर अलीपुर षड्यंत्र कांड का अभियोग चलाया गया |
महाराष्ट्र –
पंजाब –
दिल्ली षड्यंत्र केस –
23 दिसम्बर 1912 को लार्ड हार्डिंग के काफिले पर बम फेंका गया |इस घटना में रास बिहारी बोस तथा सचिन सन्याल की मुख्य भूमिका थी |इस घटना के पश्चात् 13 व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया जिनमे मास्टर अमीरचंद्र ,अवध बिहारी ,दीनानाथ सुल्तान चंद्र ,हनुमंत सहाय ,बसंत कुमार ,बाल मुकुंद , बलराज आदि शामिल थे |इन सब पर दिल्ली षड्यंत्र केस के नाम पर मुकदमा चलाया गया |कुछ को फांसी दी गई व शेष को देश निकाला दिया गया |
क्रांतिकारियों का विदेशों में गतिविधियां —
कुछ प्रमुख स्थान / देश जहाँ क्रन्तिकारी आतंकवाद की जारी रखा गया —
इंग्लैण्ड-
लन्दन में क्रांतिकारी आतंकवाद का नेतृत्व मुख्यतः श्यामा जी कृष्णा वर्मा , विनायक दामोदर सावरकर ,मदनलाल ढींगरा एवं लाला हरदयाल ने किया | श्यामा जी कृष्ण वर्मा ने 1905 में ‘भारत स्वशासन समिति’ की स्थापना की जिसे ‘इंडिया हाउस’ के नाम से भी जाना जाता था |इस संस्था का उद्देश्य अंग्रेज़ सरकार को आतंकित कर स्वराज्य प्राप्त करना था |यहां से एक समाचार पत्र सोशियोलोजिक का प्रकाशन भी प्रारम्भ हुआ |लंदन से सरकारी दमन के कारण श्यामा जी पेरिस तथा बाद में जिनेवा चले गए |श्यामा जी के पश्चात् इंडिया हाउस का कार्य भार विनायक दामोदर सावरकर ने संभाला जहाँ उन्होंने ‘1857 का स्वतंत्रता संग्राम’ नामक प्रसिद्ध पुस्तक लिखी |
1909 में मदनलाल ढींगरा ने विलियम कर्जन वाइली की हत्या कर दी |ढींगरा को गिरफ्तार कर फांसी दे दी गई |13 मार्च 1910 में नासिक षड्यंत्र केस में सावरकर को गिरफ्तार कर काले पानी की सजा सुनाई गई |
फ्रांस
यहां श्री एस आर राणा एवं श्रीमती भीकाजी रुस्तम कामा ने पेरिस से आतंकवादी गतिविधियों को जारी रखा |1906 में श्याम जी कृष्ण वर्मा लन्दन से पेरिस पहुंच गए जिससे इनकी गतिविधियां और तेज़ हो गई|
अमेरिका तथा कनाडा
संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा में क्रांतिकारी आंदोलन का नेतृत्व लाल हरदयाल ने किया|1 नवम्बर 1913 को लाल हरदयाल ने सन फ्रांसिस्को में ‘ग़दर पार्टी’ की स्थापना की | विश्व के अनेक भागों में इनकी साख खोली गई |ग़दर दल ने 1857 के विद्रोह की स्मृति में ग़दर नमक साप्ताहिक पत्रिका का प्रकाशन भी प्रारम्भ किया |
जर्मनी
वीरेंद्रनाथ चटोपाध्याय ने बर्लिन को अपनी गतिविधियों का केंद्र बना लिया |इन्होंने तलवार नामक एक पत्रिका निकाली| बाद में लाल हरदयाल तथा उनके साथी भी अमेरिका से जर्मनी आ गए |
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