केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय शिक्षक प्रशिक्षण अधिनियम, 1993 में संशोधन के लिए राष्ट्रीय शिक्षक प्रशिक्षण (संशोधन) अधिनियम, 2017 शीर्षक से इस विधेयक को संसद में पेश करने के लिए अपनी मंजूरी प्रदान कर दी है।
पृष्ठभूमि:
एनसीटीई अधिनियम 1 जुलाई, 1995 को प्रभाव में आया था और जम्मू व कश्मीर राज्य को छोड़कर यह देशभर में लागू है।
इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य शिक्षक प्रशिक्षण प्रणाली की आयोजना और समन्वित विकास, प्रणाली, विनियमन की प्राप्ति का लक्ष्य व उक्त प्रणाली में मानदण्डों व मानको का समुचित अनुरक्षण सुनिश्चित करना है।
अधिनियम के लक्ष्यों को प्राप्त करने की दृष्टि से, शिक्षक प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों को मान्यता देने के लिए इस अधिनियम में पृथक से प्रावधान किए गए हैं और मान्यता प्राप्त संस्थानों/विश्वविद्यालयों द्वारा अनुपालनार्थ मार्गदर्शी-निर्देश निर्धारित किए गए है।
मुख्य बिंदु
इस संशोधन से इन संस्थाओं/विश्वविद्यालयों में पढ़ रहे अथवा यहां से पहले ही उत्तीर्ण हो चुके छात्र शिक्षक के रूप में रोजगार पाने के पात्र हो सकेंगे।
इस संशोधन में एन सी टी ई मान्यता के बिना शिक्षक प्रशिक्षण पाठ्यक्रम संचालित करने वाले केन्द्र/राज्य/संघ शासित क्षेत्र के वित्तपोषित संस्थानों/विश्वविद्यालयों को अकादमिक सत्र 2017-2018 तक भूतलक्षी प्रभाव से मान्यता प्रदान करने का प्रावधान है।
यह भूतलक्षी प्रभाव के मान्यता एक बारगी उपाय के रूप में दी जा रही है ताकि इन संस्थानों से उत्तीर्ण हुए। पंजीकृत छात्रों के भविष्य को खतरा न हो।
शिक्षक प्रशिक्षण पाठ्यक्रम जैसे बी.एड और डिप्लोमा इन इलेमेंट्री एजुकेशन शिक्षक प्रशिक्षण पाठ्यक्रम चलाने वाले सभी संस्थानों को एनसीटीई अधिनियम की धारा 14 के अन्तर्गत राष्ट्रीय शिक्षक प्रशिक्षण परिषद् से मान्यता लेनी होगी। इसके अलावा, ऐसे मान्यता प्राप्त संस्थानों/ विश्वविद्यालयों को एनसीटीई अधिनियम की धारा 15 के अन्तर्गत पाठ्यक्रमों की अनुमति प्राप्त करनी होगी।
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