बलबन (1265-1287 ई०) बलबन ने 20 वर्ष तक वजीर की हैसियत से तथा 20 वर्ष तक सुल्तान के रूप में शासन किया। बलबन दिल्ली सल्तनत का एक ऐसा व्यक्ति था जो सुल्तान न होते हुए भी सुल्तान के छत्र का उपयोग करता था। वह पहला शासक था। जिसने सुल्तान के पद और अधिकारों के बारे […]
नासिरुद्दीन महमूद (1246-1265 ई०) यह मधुर एवं धार्मिक स्वभाव का व्यक्ति था तथा खाली समय में कुरान की नकल करना उसकी आदत थी। मिनहाजुद्दीन सिराज ने अपनी तबकात-ए-नासिरी उसे ही समर्पित की। उसके शासनकाल में वह मुख्य काजी के पद पर था जो बाद में षड्यन्त्र द्वारा उसी के शासनकाल में हराया गया। नासिरुद्दीन महमूद […]
रजिया (1236-1240 ई० ) ग्वालियर से वापस आने पर इल्तुतमिश ने रजिया को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया और चाँदी के टंके पर उसका नाम अंकित करवाया। इल्तुतमिश की मृत्यु के बाद तीस वर्षों का इतिहास सुल्तानों व अमीरों के बीच सत्ता के अधिकार के लिए संघर्ष का इतिहास था। रजिया के काल से ही […]
इल्तुतमिश (1210-1236 ई० ) कुतुबुद्दीन का दामाद व उत्तराधिकारी इल्तुतमिश, इल्बारी तुर्क था। इल्तुतमिश ही दिल्ली सल्तनत का वास्तविक संस्थापक था। कुतुबुद्दीन ऐबक की मृत्यु के समय वह बदायूँ का सूबेदार (गवर्नर) था। इल्तुतमिश ने सुल्तान के पद को वंशानुगत बनाया। मुहम्मद गोरी ने 1206 ई० में खोखरों के विद्रोह के समय इल्तुतमिश की असाधारण […]
दोस्तों IAS HINDI के इस प्लेटफार्म पर आप सभी का स्वागत है।आज से हम मध्यकालीन भारत से अपने पाठ्यक्रम (UPSC,BPSC,UPPSC आदि ) की शुरुआत करेंगे मध्यकालीन भारत इतिहासकारों के मत से 1206 से 1526 तक भारत पर शासन करने वाले पाँच वंश के सुल्तानों के शासनकाल को दिल्ली सल्तनत कहा जाता है। ये पाँच वंश […]
Click on the Link to Download व्यक्तिगत सत्याग्रह PDF प्रस्तावना अगस्त प्रस्ताव के बाद की परिस्थितियों में जो प्रगति हुयी उसके पश्चात् सरकार ने अड़ियल रवैया अपना लिया तथा घोषित किया कि कांग्रेस जब तक मुस्लिम नेताओं के साथ किसी तरह के समझौते को मूर्तरूप नहीं देती, तब तक भारत में किसी प्रकार का संवैधानिक […]
Click on the Link to Download अगस्त प्रस्ताव PDF प्रस्तावना द्वितीय विश्वयुद्ध में हिटलर की असाधारण सफलता तथा बेल्जियम, हालैंड एवं फ्रांस के पतन के पश्चात् ब्रिटेन की स्थिति अत्यन्त नाजुक हो गयी, फलतः ब्रिटेन ने समझौतावादी दृष्टिकोण की नीति अपनायी। युद्ध में भारतीयों का सहयोग प्राप्त करने के उद्देश्य से 8 अगस्त 1940 को […]
प्रस्तावना 1937 के प्रारंभ में प्रांतीय विधान सभाओं हेतु चुनाव कराने की घोषणा कर दी गयी तथा इसी के साथ ही सत्ता में भागेदारी के प्रश्न पर बहस प्रारंभ हो गयी। इस बात पर सभी राष्ट्रवादियों में आम सहमति थी कि 1935 के अधिनियम का पूरी तरह विरोध किया जाये। किंतु मुख्य प्रश्न यह था […]
प्रथम गोलमेज सम्मेलन सरकार ने 12 नवंबर 1930 को साइमन कमीशन की रिपोर्ट तथा संवैधानिक मुद्दों पर चर्चा करने के निमित्त, लंदन में प्रथम गोलमेज सम्मेलन का आयोजन किया। ब्रिटिश सरकार एवं भारतीयों के मध्य समान स्तर पर आयोजित की गयी यह प्रथम वार्ता थी। जहां कांग्रेस एवं अधिकांश व्यवसायिक संगठनों ने इस सम्मेलन का […]
गांधी जी की ग्यारह सूत्रीय मांगें ये मांगें कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन के परिप्रेक्ष्य में अगले कदम के रूप में थीं। गांधी जी ने ‘यंग इंडिया’ में एक लेख प्रकाशित कर सरकार के समक्ष ग्यारह सूत्रीय मांगे रखीं तथा इन मांगों को स्वीकार या अस्वीकार करने के लिये उसे 31 जनवरी 1930 तक का समय […]
Sangita barde: Thank