झारखण्ड की प्रमुख योजनाएं एवं उप योजनाएं

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झारखण्ड की प्रमुख योजनाएं एवं उप योजनाएं

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प्रस्तावना

18 दिसम्बर को झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) की प्रारंभिक परीक्षा हैं | इस परीक्षा में पेपर II में झारखण्ड राज्य से सम्बंधित प्रश्न पूछे जाएंगे जो अभ्यर्थी के लिए काफी महत्वपूर्ण हो गया है |इस लेख और आने वाले कुछ लेखों में हम झारखण्ड विशेष से सम्बंधित कुछ विषयों पर चर्चा करेंगे और उम्मीद करेंगे की इससे आपको झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) की प्रारंभिक परीक्षा में कुछ सहायता मिलेगी | इस लेख में हम झारखण्ड राज्य के समाज कल्याण विभाग के द्वारा संचालित किये जा रहे कल्याणकारी कार्यक्रम के बारे में चर्चा करेंगे|

मुख्यमंत्री लक्ष्मी लाडली योजना

बेटियों के बारे में समाज में पाई जानेवाली नकारात्मक सोच, लड़कों के मुकाबले उनकी कम होती संख्या बालिका शिक्षा की कमजोर स्थिति बेटियों की जल्दी ब्याह देने की प्रवृति जैसी समस्याओं का निराकरण आदि को देखते हुए लक्ष्मी लाडली योजना राज्य में 15 नवम्बर से चालू किया गया है।

सरकार के कार्य :-
झारखण्ड राज्य के प्रत्येक परिवार में संस्थागत प्रसव से उतपन्न प्रथम प्रसव की पुत्री अथवा द्वितीय प्रसव की पुत्री अथवा दोनों प्रसवों से उत्पन्न पुत्री के नाम से जन्म के वर्ष से लेकर लगातार 5 वर्षो तक प्रतिवर्ष 6000/- रूपये की दर से यानि कुल 5 वर्षो में 30000/- रूपये डाक जाम योजना के माध्यम से राज्य सरकार द्वारा विनियोग किया जायेगा।
फायदा क्या है ?:-

  • बालिका के कक्षा 6 में प्रवेश करने पर 2000/- रूपये का एकमुश्त भुगतान बालिका को होगा।
  • बालिका के कक्षा 9 में प्रवेश करने पर बालिका को एकमुश्त 4000/- रूपये का भुगतान होगा।
  • बालिका के कक्षा 11वी में प्रवेश पर मो॰ 7500/- रूपये का एकमुश्त भुगतान होगा।
  • 11वीं तथा 12वीं में उपरोक्त के अतिरिक्त किसी भी अन्य योजनाओं से प्राप्त सुविधाओं के अलावे प्रतिमाह 200/- रूपये का स्कालरशिप का भुगतान बालिका को इस मद से किया जायेगा।
  • बलिका की आयु 21 वर्ष होने तथा 12वीं परीक्षा में सम्मिलित हो जाने पर लगभग 1,08,000/- एक लाख आठ हजार) रूपये का एकमुश्त भुगतान बालिका को कर दिया जायेगा किन्तु शर्त यह होगी कि बालिका का विवाह उसके 18 वर्ष की आयु प्राप्त कर लेने पर ही हुई हो।
  • योग्यता

  • गरीबी रेखा के अन्तर्गत हो अथवा वार्षिक आय 72000/–रूपये तक हो।
  • अधिकतम दो बच्चों के बाद परिवार नियोजन दम्पत्ति द्वारा अपना ली गई हो।
  • यदि माता-पिता दोनों की मृत्यु हो गई हो तो परिवार नियोजन की शर्त शिथिल हो जायेगी परन्तु मृत्यु प्रमाण-पत्र आवश्यक होगा।
  • यदि अनाथ/गोद ली गई बालिका है, तो प्रथम बालिका मानी जायेगी।
  • यदि जुड़वा हो तो भी मान्य होगा यदि दोनों बच्चियों होगी तो दोनों को मान्य होगा।
  • दूसरी पुत्री के मामले में यह तभी मान्य होगा जब माता या पिता के नसबंदी का प्रमाण-पत्र आवेदन के साथ संलग्न हो।
  • अनाथ बालिका होने पर जन्म के 5 साल तक किया गया पंजीकरण मान्य होगा।
  • जन्म के एक वर्ष के अन्दर आवेदन देना अनिवार्य होगा, एक वर्ष से अधिक पुराना जन्म का मामला मान्य नहीं हो पायेगा।
  • योजना कार्यान्वयन के प्रथम वर्ष यानी 2011-12 में वैसे मामले भी संज्ञान में लिये जायेगे जिनका जन्म एक साल पहले यानि 15.11.2010 या इसके बाद हुआ हो परन्तु यह शिथिलता सिर्फ प्रथम वर्ष होगी।
  • प्रसव संस्थागत हो तथा जन्म प्रमाण-पत्र सम्बन्धित अस्पताल तथा सक्षम पंचायत/नगर निकाय द्वारा निर्गत हो।
  • बालिका के कक्षा 6वीं में पहुचने पर होनेवाले प्रथम भुगतान के पूर्व संबंधित परियोजना पदाधिकारी प्रत्येक बालिका के लिए आधार पहचान पत्र (यू आई डी) बनाना सुनिश्चित करेंगे। किसी भी भुगतान के समय लाभार्थी एवं उनके परिजनों का आधार पहचान पत्र संख्या होना अनिवार्य होगा।
  • आवेदन प्रक्रिया:-

  • अभ्यर्थी को अपने निकटतम आंगनबाड़ी केन्द्र में विहित प्रपत्र में आवेदन देना होगा।
  • जन्म प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र, बी॰पी॰एल॰ सूची में शामिल होने संबंधित प्रमाण पत्र आवेदन के साथ संलग्न करेगें।
  • अनाथ बालिका के मामले में अनाथालाय/संरक्षणालय के अधीक्षक द्वारा बालिका के अनाथालय में प्रवेश के एक वर्ष के अन्दर एवं बालिका की आयु 6 वर्ष होने के पूर्व तक संबंधित परियोजना के अधिकारी को आवेदन देना होगा।
  • द्वितीय प्रसव से उत्पन्न बालिका के मामले में माता या पिता द्वारा बन्ध्याकरण/नसबंदी करा लेने संबंधित प्रमाण पत्र देना आवश्यक होगा।
  • स्वामी विवेकानन्द निःशक्त स्वावलम्बन प्रोत्साहन योजना

    योग्यता
    1. वह झारखण्ड राज्य का निवासी हो ।
    2. लाभानिवतों की आयु 5 वर्ष से अधिक होनी चाहिए।
    3. वह केन्द्र अथवा राज्य सरकार की योजना के अन्तर्गत पेंशन प्राप्त नहीं कर रहा हो।
    4. निःशक्त व्यक्ति (समान अवसर अधिकारों का संरक्षण एवं पूर्ण (भागीदारी) अधिनियम 1995 की धारा -2 के अन्तर्गत निर्धारित निःशक्त की परिभाषा के अनुसार निःशक्तता श्रेणी के अन्तर्गत आता हो।
    5. लाभान्वित अथवा उसके माता/पिता/अभिभावक की आय आयकर हेतु निर्धारित सीमा से अधिक नहीं हो।
    6. जिला चिकित्सा पर्षद द्वारा उसे निःशक्त प्रमाण पत्र निर्गत किया गया हो।
    7. वह केन्द्र सरकार/राज्य सरकार/केन्द्र एवं राज्य सरकारों के उपक्रमों/केन्द्रों एवं राज्य सरकार से सहायता प्राप्त संस्थाओं का सेवा कर्मी नहीं हो।

    इस योजना के अन्तर्गत अर्हताप्राप्त लाभान्वितों के चयन तथा उनके नाम के अनुमोदन हेतु प्रत्येक अनुमण्डल पदाधिकारी (एस0डी0ओ0) की अध्यक्षता में एक समिति का गठन निम्न रूप से किया गया है
    1. अनुमण्डल पदाधिकारी (एस0डी0ओ0) अध्यक्ष
    2. वरीय कार्यपालक दण्डाधिकारी – संयोजक
    3. बाल विकास परियोजना पदाधिकारी अनुमण्डल मुख्यालय -सदस्य
    4. प्रभारी चिकित्सा अनुमण्डलीय अस्पताल – सदस्य
    इस योजना के अन्तर्गत राशि के भुगतान की व्यवस्था इस तरह विकसित की जायेगी कि निःशक्तों को असुविधा का सामना नहीं करना पड़े। कालांतर में स्थायी व्यवस्था के तहत् इस राशि का भुगतान बैंक/पोस्ट आफिस के माध्यम से किया जायेगा। नाबालिग तथा मानसिक रूप से निःशक्त व्यक्तियों के लिए राशि का भुगतान उन्हें किया जायेगा जिनपर वे आश्रित है। शेष निःशक्तों को राशि का भुगतान सीधा किया जायेगा। जबतक बैंक/पोस्ट आफिस के माध्यम से राशि के भुगतान की व्यवस्था नहीं हो जाती है तबतक प्रखण्ड स्तर पर शिविर लगाकर जिला स्तर से प्रतिनियुक्त किसी वरीय पदाधिकारी की उपस्थिति में भुगतान की व्यवस्था सुनिश्चित की जायेगी।

    इस योजना अन्तर्गत 40 प्रतिशत या उससे ऊपर के सभी विकलांग व्यक्तियों को 200/- दो सौ रूपया) प्रति माह सहायता स्वरूप सम्मान राशि दिया जाता है। इस योजना अन्तर्गत 9455 लाभुको को लाभ दिया जा रहा है।

    विकलांग कार्यशाला योजना

    इस योजना विकलांग व्यक्तियों जीवन यापन शैली से संबंधित प्रशिक्षण आदि दिया जाता है।

    विकलागों के लिए यंत्र एवं उपकरण

    इस योजना अन्तर्गत सभी विकलांग व्यक्तियों को उनके बेहतर एवं सुविधा जनक जीवन यापन हेतु आवश्यक यंत्र एवं उपकरण उपलब्ध कराया जाता है।

    विकलांग छात्रवृति

    इस योजना अन्तर्गत पढ़ने वाले सभी विकलांग छात्रों को निम्न रूप से छात्रवृतियाँ प्रदान की जाती हैं।
    • कक्षा 1 से 8 के विकलांग छात्रों को 50/-(पचास) रूपया प्रति माह
    • कक्षा 9 से बी.ए. के विकलांग छात्रों को 250/-दो सौ पचास) रूपया प्रति माह
    • बी.ए. से उपर के विकलांग छात्रों को 260/-दो सौ साठ) रूपया प्रति माह के दर से छात्रवृति दी जाती है।
    • विकलांग व्यक्तियों के लिए व्यवसायिक ऋण की सुविधा
    • इस योजना अन्तर्गत सभी इच्छुक विकलांग व्यक्तियों को रोजगार मुहैया कराने के दृष्टिकोण से कम ब्याज पर ऋण उपलब्ध कराई जाती है।

    अन्तर्जातीय विवाह योजना

    इस योजना अन्तर्गत अन्तर्जातीय विवाह करने वाले वर एवं वधु को 25000/– (पचीस हजार) रूपये अनुदान स्वरूप राष्ट्रीय बचत प्रमाण पत्र के माध्यम से दी जाती है।

    अति कुपोषित बच्चों के लिए कुपोषण उपचार केन्द्र

    कुपोषण उपचार केन्द्र में गाँव के वैसे बच्चे जो अति कुपोषित है को रख कर उनका उपचार किया जाता है एवं स्वस्थ्य होने पर ही उन्हें वहाँ से उनके घर भेजा जाता है।

    महिलाओं के दक्षता एवं उद्यमिता विकास हेतु प्रशिक्षण

    इस योजना अन्तर्गत ग्रामीण महिलाओं को उनके जीवन स्तर को सुधारने के लिए विभिन्न प्रकार के व्यवसायिक प्रशिक्षण दिया जाता है ताकि वे प्रशिक्षण प्राप्त कर व्यवसाय के माध्यम से धन उपार्जित कर सकें और अपने परिवार के बेहतर जीवन यापन हेतु वित्तीय आधार दे सकें।

    डायन प्रथा/दहेज उन्मुलन योजना

    इस योजना अन्तर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में फैले कुरितियों (डायन प्रथा/दहेज प्रथा) के उन्मुलन हेतु नुक्कड़ नाटक, समाचार पत्र, दुरदर्शन आदि के माध्यम से व्यापक प्रचार प्रसार कर ग्रामिणों को जागरूक बनाया जाता है।

    राज्यकीय नेत्रहीन/मूक-वधिर विद्यालय
    नेत्रहीन/मूक बधिर बच्चों के शिक्षा के लिए आवासीय सुविधा के साथ निःशुल्क शिक्षा एवं किताब वस्त्र आदि सभी सुविधाए दी जाती है। नेत्रहीन विद्यालय में नेत्रहीन/मूक बधिर छात्र शिक्षित किया जा जाता है।

    समप्रेक्षण गृह

    इस गृह में 18 वर्ष से कम उम्र के विधि विवादित बच्चों को रखा जाता है एवं उनके अगले जीवन के सुधार हेतु पढ़ाई-लिखाई के अलावे व्यवसायिक प्रशिक्षण दिया जाता है तथा शारिरिक एवं बौद्धिक क्षमता के विकास हेतु योग आदि का प्रशिक्षण भी दिया जाता है।

    स्वयं सेवी संस्था अनुदान
    सरकार द्वारा स्वयं सेवी संस्थाओं के माध्यम से उनको अनुदान देकर होल्ड एंज होम, महिला हेल्प लाईन, अनाथ बच्चों के लिए अनाथालय, मंद बुद्धि बच्चों के लिए विशेष स्कूल के माध्यम से पढ़ाई एवं प्रशिक्षण आदि की व्यवस्था की जाती है।

    राजीव गांधी (सबला) योजना

    इस योजना अन्तर्गत किशोरी बालिकाओं को (11 वर्ष से 18 वर्ष) सशक्तिकरण हेतु प्रति दिन पोषाहार स्वास्थ शिक्षा उपलब्र्ध कराया जाता हैं एवं विभिन्न प्रकार के दैनिक जीवन उपयोगी प्रशिक्षण दिये जाते हैं।

    मुख्यमंत्री कन्यादान योजना

    1 इस योजना का लाभ गरीबी रेखा से नीचे बसर करने वाले परिवार की कन्या को लाभ-प्रदान किया जाता है।
    2 लाभान्वितों के चयन में इस बात का विशेष रूप से ध्यान रखना है कि कन्या की आयु 18 वर्ष से अधिक हो तथा पूर्व से विवाहित न हो।
    3 वह वहां का स्थाई निवासी हो जिस प्रखण्ड में वह निवास करता हो।
    4 इस योजना के तहत लाभुको को दिनाक 01.11.2011 के प्रभाव से आर्थिक सहायता 15,000/-

    सिद्धू कान्हू आवास योजना

    1. ग्रामीण क्षेत्रों मे गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले सभी वर्ग के परिवारों के लिए पूर्णतः अनुदान पर आधारित ’’सिद्धू कान्हू आवास योजना’’ नाम से एक नई योजना राज्य सरकार द्वारा प्रारंभ की गई है।
    2. इस योजना के तहत प्रति आवास 45,000/- रुपये की मानक दर पर राशि उपलब्ध कराई जाती है तथा लाभार्थियों के द्वारा आवास निर्माण स्वयं कराया जाता है।
    3. जिला स्तर पर इस योजना का क्रियान्वयन जिला ग्रामीण विकास अभिकरण तथा प्रखंड स्तर पर प्रखंड विकास पदाधिकारी द्वारा लाभार्थियों के माध्यम से कराया जाता है।
    4.लाभार्थियों का चयन ग्राम सभा के द्वारा किया जाता है तथा लाभार्थियों के चयन में जन प्रतिनिधियों का सहयोग लिया जाता है।

    इस योजना के लिए गांवों के चयन हेतु निम्नलिखित शर्ते होती हैः-
    क) चयनित गांवों में परिवारों की संख्या 50 से कम न हो तथा इसकी जनसंख्या 200 से कम न हो।
    ख) अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति की संख्या 50 प्रतिशत से कम न हो।
    ग) लाभुकों के चयन में यह सुनिश्चित किया जाना है कि उन्हें पूर्व में इंदिरा आवास योजना/दीनदयाल योजना या किसी भी प्रकार की सरकारी आवास योजना का लाभ नहीं प्रदान किया गया हो।

    5. इस योजना के तहत आवासों का निर्माण इंदिरा आवास योजना की मार्गदर्शिका के अनुरूप ही होता है। इसमें न्यूतम राशि सफाई की व्यवस्था अपरिहार्य है।

    अनु. जाति/जनजाति एवं पिछड़ी जाति के लिए कल्याणकारी योजनायें

    चिकित्सा अनुदान

    गंभीर रोग से पीडि़त व्यक्तियों को अनु॰ जाति/जनजाति एवं पिछड़ी जाति के गरीब सदस्यों को इलाज हेतु चिकित्सा सहायता राशि अधिकतम 3000/- रुपये तक दिया जाता है। अत्यन्त गंभीर मामले में चिकित्सा सहायता प्रदान करने हेतु 10,000/- मात्र तक के अनुदान की स्वीकृति का शक्ति उपायुक्त को प्रत्यायोजित की गई है।

    वैधिक सहायता

    सिविल, क्रिमिनल फौजदारी एवं राजस्व मुकदमों को खर्च वहन करने हेतु गरीब अनु॰ जाति/जनजाति के सदस्यों को प्रति मुकदमा पर सुनवाई के लिए प्रति दैनिक शुल्क अलग-अलग दैनिक न्यायालयों के लिए अलग-अलग दर निर्धारित किया गया है जो 125 रु॰ 1250 रु॰ है। मुकदमा में एक पक्ष सरकार न हो एवं मुकदमा गैर अनु॰ जाति/जनजाति के बीच हो।

    अत्याचार से राहत

    गैर अनु॰ जाति/जनजाति द्वारा अनु॰ जाति/जनजाति के सदस्यों पर अधिनियम के तहत् अत्याचार का मामला होने पर अत्याचार का विभिन्न श्रेणियों में सरकार के मापदण्ड के अनुसार पीडि़त अनुसूचित जाति/जनजाति के सदस्यों को आर्थिक सहायता कल्याण विभाग द्वारा दिया जाता है।

    छात्रावास

    अनु॰ जनजाति/अनु॰ जाति/पिछड़ी जाति एवं अल्पसंख्यकों के लिए स्कूल/कॉलेज तथा विश्विद्यालय तक के छात्र/छात्राओं हेतु संचालित है। इसमें रहने वाले छात्र/छात्राओं को उपस्कर एवं बर्तन तथा खेल – कुद की सामग्री भी उपलब्ध करायी जाती है।

    विद्यालय छात्रवृति

    कल्याण विभाग झारखण्ड सरकार, द्वारा सरकारी विद्यालय, मान्यता प्राप्त एवं स्थापना अनुमति प्राप्त विद्यालयों में पढ़नेवाले अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं पिछड़ी जाति के छात्र/छात्राओं के कल्याण एवं शैक्षणिक विकास की दृष्टि से विद्यालय छात्रवृति की राशि आर्थिक दृष्टि से कमजोर छात्र/छात्राओं को अपनी शिक्षा जारी रखने के लिए प्रदान की जाती है एवं जिला स्तर पर छात्रवृति का वितरण ग्राम शिक्षा समिति/ विकास समिति के माध्यम से प्रगति पर है।

    साइकिल वितरण

    सरकारी विद्यालयों में अष्टम वर्ग में अध्ययनरत अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ी जाति एवं अल्पसंख्यक समुदाय के छात्र/छात्राओं जो गरीबी रेखा से नीचे जीवन बसर करने वाले छात्र/छात्राओं को उच्च विद्यालय में नामांकन के बाद पढ़ाई छोड़ने से रोकने के उद्देश्य से कल्याण विभाग द्वारा निःशुल्क साइकिल दिया जाता है।

    मुख्यमंत्री खाद्य सुरक्षा योजना

    सभी अल्पसंख्यक आदिम जाति परिवारों को प्रति परिवार प्रत्येक माह 35 किलो मुत अनाज उपलब्ध कराया जाता है। झारखण्ड के संबंधित जिलों में योजना के तहत परिवारों को इस योजना से लाभन्वित किया जा रहा है।

    प्रवेशिकोत्तर छात्रवृति

    अनुसूचित जाति/जनजाति/पिछड़ी जाति के छात्र – छात्राएँ जो विधिवत मान्यता प्राप्त महाविद्यालय/संस्थानों में अध्ययनरत है को पोस्ट मैट्रिक योजना अन्तर्गत, छात्रवृति एवं शिक्षण शुल्क विविध शुल्क का भुगतान किया जाता है।

    गैर सरकारी संस्था द्वारा कल्याणकारी कार्यक्रम

    विभाग द्वारा प्राप्त गैर – सरकारी, संस्थाओं के परियोजना प्रस्तावों का जाँच जिला स्तर पर की जाती है तथा जाँच प्रतिवेदन एवं परियोजना प्रस्ताव उपायुक्त की अनुशंसा से कल्याण विभाग को भेजा जाता है।
    निदेशालय स्तर पर उक्त प्रस्ताव की स्क्रिनिंग समिति की बैठक में पारित करने के उपरांत संस्थाओं को सीधे राशि मुहैया करायी जाती है।

    वन अधिकार अधिनियम-2006 के तहत कार्यक्रम

    अनुसूचित जन जाति एवं अन्य परम्परागत वन निवासी (वन अधिकार की मान्यता) अधिनियम, 2006 अन्तर्गत व्यक्तिगत एवं सामुहिक दावे जैसे वन भूमि में परम्परागत चारागाह, कन्द-मूल, चारा, वन्य खाद्य फल और अन्य लधु वन उत्पाद उपयोग तथा जमा करने के क्षेत्र, मछली पकड़ने के स्थान, सिंचाई प्रणालियां, मानव तथा पशुधन के उपयोग के लिए जल स्त्रोत, औषधीय पौधों का संग्रह तथा जड़ी-बुटी औषधी व्यवसायिक क्षेत्रों को सामुदायिक दावे के अन्तर्गत पट्टा दिये जाने का प्रावधान है । इस योजना से अल्प संख्यक आदिम जन जाति के सभी परिवारों को लाभान्वित किये जाने का प्रयास किया जा रहा है ।
    योजना का व्यापक प्रचार-प्रसार हेतु जिला स्तर एवं प्रखण्ड स्तर पर भी कार्यशाला आयोजित कर लोगों को जागरूक किया जा रहा है ।

    सामाजिक सुरक्षा संबंधी योजनायें

    इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय वृद्धापेंशन योजना

    राष्ट्रीय वृद्धापेंशन योजना 15 अगस्त 1995 से केन्द्र सरकार द्वारा प्रारम्भ किया गया। योजनान्तर्गत राज्य के सभी जिलों का लक्ष्य बी0 पी0 एल0 परिवारों की संख्या के आधार पर निर्धारित किया गया एवं तत्काल केन्द्रांश 75/- पचहत्तर रूपये एवं राज्यांश 25/–पचीस रूपये कुल एक सौ रूपये प्रतिमाह के दर से प्रति पेंशनधारी को पेंशन भुगतान किया जाता रहा है।
    वर्ष 1998 में पेंशन राशि 200/– दो सौ रूपये के दर से केन्द्र सरकार द्वारा पेंशन भुगतान राज्य सरकार के माध्यम से किया जाता था।
    वर्तमान 19 नवम्बर 2007 से इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय वृद्धापेंशन योजना लागू किया गया। योजनान्तर्गत वर्ष 2002 के सर्वेक्षित बी0 पी0 एल0 परिवार के 65 वर्ष एवं अधिक आयु के सभी वृद्धों को केन्द्रांश 200/– दो सौ रूपैये एवं राज्यांश 200/–दो सौ रूपये कुल 400/- चार सौ रूपये के दर से मासिक पेंशन भुगतान पेंशनधारियों के बैंक खाता/डाकघर बचत खाता के माध्यम से किया जाता है। राज्य सरकार एवं केन्द्र सरकार द्वारा 50:50 अनुपात में व्यय होता है। योजनान्तर्गत जनजातीय उपयोजना एवं अनुसूचित जाति के विशेष अंगीभूत उप-योजना का अलग-अलग मद में राशि का व्यय किया जाता है।

    इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय विधवा पेंशन योजना

    योजनान्तर्गत वर्ष 2002 में सर्वेक्षित बी0 पी0 एल0 परिवार के ग्रामीण/शहरी क्षेत्र के असहाय विधवा जिनकी आयु 40 वर्ष से 64 वर्ष के अन्तर्गत हों एवं वार्षिक आय 5000/- पाँच हजार रूपये ग्रामीण क्षेत्र में एवं 5500/- पाँच हजार पाँच सौ) शहरी क्षेत्र के अन्तर्गत हो। प्रत्येक विधवा को 400/- चार सौ रू0 मासिक पेंशन राशि भुगतान करने का प्रावधान है। केन्द्र प्रायोजित योजनान्तर्गत योग्य लाभुकों का चयन अंचल कार्यालय द्वारा किया जा रहा है। असहाय एवं निर्धन विधवा जो योजना के आहर्ता को पूर्ण करते है वे अपने अंचल कार्यालय में आवेदन देगें।

    इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय विकलांग पेंशन योजना

    यह केन्द्र सरकार द्वारा प्रायोजित योजना है। योजनान्तर्गत वर्ष 2002 में सर्वेक्षित बी0 पी0 एल0 परिवार (ग्रामीण/शहरी) क्षेत्र के अत्यन्त विकलांग जिनका आयु 18 वर्ष से 64 वर्ष के अन्तर्गत हो एवं वार्षिक आय 5000/- पाँच हजार) के अन्तर्गत हो वैसे लाभूकों को 400/- चार सौ) रूपये मासिक पेंशन बैंक खातों/डाक घर बचत खाता के माध्यम से भुगतान करने का प्रावधान है। योजनान्तर्गत आहर्ता पूर्ण करते हैं वे अपने अंचल कार्यालय में आवेदन जमा कर सकते है।

    राष्ट्रीय पारिवारिक लाभ योजना

    योजनान्तर्गत गरीबी रेखा के अन्तर्गत जीवन यापन करने वाले परिवार के अर्जनकर्ता सदस्य जिनका आयु 18 वर्ष से अधिक एवं 65 वर्ष से कम हो प्राकृतिक कारण या दुर्घटना से मृत्यु होने पर मृतक के आश्रित को एक मुफ्त कुल 10,000/- (दस हजार) रूपये अनुदान भुगतान किया जाता है।
    योजनान्तर्गत जनजातीय उपयोजना एवं अनुसूचित जाति के विशेष अंगीभूत उप योजनान्तर्गत अलग-अलग श्रेणी के लाभूकों को अनुदान भुगतान किया जाता है।

    बन्धुआ मजदूरी प्रथम उन्मूलन एवं पुनर्वास योजना

    बन्धुआ मजदूरी प्रथम उन्मूलन अधिनियम 1976 के अन्तर्गत किसी भी व्यक्ति को बन्धुआ मजदूरी के रूप् से कार्य कराना गैर कानूनी एवं दण्डनीय अपराध है। बन्धुआ मजदूर के रूप् में कार्य कराते हुए पाया जायगा तो ऐसे नियोजक के विरूद्ध जुर्माना एवं दंड की कार्रवाई किया जायगा। बशर्ते मालिक द्वारा किसी मजदूर को कार्य कराने हेतु बाध्य करता हो एवं मजदूर को स्वेच्छा से अन्यत्र कार्य करने नहीं देता एवं न्यूनतम मजदूरी भुगतान नहीं करता हो।

    राज्य सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना

    राज्य सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना वर्ष 1979 में राज्य सरकार द्वारा लागू किया गया एवं जिला के उपायुक्त को स्वीकृति एवं व्ययन पदाधिकारी अधिसूचित किया गया। पुनः सामाजिक सुरक्षा नियमावली 1983 सरकार द्वारा अधिसूचित किया गया। नियमावली के अन्तर्गत पेंशन स्वीकृति हेतु सभी अनुमण्डल पदाधिकारी को प्राधिकृत किया गया। योजना के प्रारम्भ से ही पेंशन राशि 30/- तीस रूपये मासिक के दर से पेंशन भुगतान किया जाता रहा। राष्ट्रीय वृद्धापेंशन योजनान्तर्गत पेंशन राशि में वृद्धि के साथ 15 अगस्त 1995 से 100/- एक सौ रूपये पुनः वर्ष 1998 से दो सौ रूपये योजनान्तर्गत असहाय एवं निर्धन वृद्ध विधवा विकलांग एवं मुक्त बन्धुआ मजदूर जिनका वार्षिक आय 5000/- पाँच हजार) रूपये ग्रामीण क्षेत्र एवं वार्षिक आय 5500/- पाँच हजार पाँच सौ) रूपये शहरी क्षेत्र में हो ऐसे व्यक्तियों को राज्य सरकार द्वारा 400/- चार सौ) रूपये नवम्बर 2007 से मासिक पेंशन भुगतान किया जाता है। बशर्ते वृद्ध (महिला/पुरूष) का आयु 60 वर्ष से अधिक हो। विधवा विकलांग एवं बन्धुआ मजदूरो के आयु सीमा में प्रतिबन्ध नहीं है। पेंशनधारियों के निकटतम बैंक खाता/डाकघर बचत खाता के माध्यम से मासिक पेंसन भुगतान किया जाता है।

    आम आदमी बीमा योजना

    ग्रामीण भूमिहीन मजदूर जिनका आयु 18 वर्ष से अधिक एवं 60 वर्ष से कम हो तथा वास की जमीन रहित 50 डिसमिल से अधिक जमीन नहीं हो परिवार के अर्जनकर्ता मुखिया का सरकार द्वारा मुफ्त बीमा किया जाता है। अंचल कार्यालय या हल्का कर्मचारी के पास उपलब्ध विहित प्रपत्र के सर्वेक्षण पत्र में नाम भरा जाता है। बीमा की राशि 200/- दो सौ) रूपये का केन्द्र सरकार एवं राज्य सरकार द्वारा 50:50 अनुपात में वहन किया जाता है। बीमित व्यक्ति के दुर्घटना से मृत्यु होने या दो अंगों का स्थायी अंग भंग होने पर 75,000/- पचहतर हजार) रूपये एक अंग स्थायी रूप से भंग होने पर 37,500/- सैंतिस हजार पाँच सौ) रूपये एवं स्वाभाविक मृत्यु होने पर 30,000/- तीस हजार) रूपये बीमा राशि भुगतान किया जाता है। बीमित व्यक्ति के दो पुत्र/पुत्री जो वर्ग 9वां से वर्ग 12वां में अध्ययन करते हैं तो उन्हें 100/- एक सौ) रूपये मासिक छात्रवृति भुगतान किया जाता है।

    अन्तर्राज्यीय प्रवासी मजदूर कल्याण कार्यक्रम

    अन्तर्राज्यीय प्रवासी अधिनियम 1979 एवं झारखण्ड राज्य प्रवासी मजदूर अधिनियम 2005 के प्रावधान के आलोक में 5 या अधिक मजदूरों को किसी नियोजक/ठेकेदार द्वारा राज्य के बाहर नियोजन हेतु ले जाने या राज्य के बाहर के 5 या 5 से अधिक मजदूरों को राज्य में नियोजित करने के लिए जिला के उपायुक्त से लाईसेन्स प्राप्त करना अनिवार्य है। नियोजन हेतु लाईसेंस के आवेदन में मजदूर को देय सुविधा का ब्यौरा देना है ताकि नियोजक द्वारा मजदूरों का शोषण नहीं हो एवं उचित मजदूरी भुगतान हो। लाईसेंस (अनुज्ञप्ति) प्राप्ति के बिना नियोजन करने एवं अधिनियम 1979 के प्रावधान का उल्लंघन करना गैर कानूनी एवं दण्डनीय अपराध है अधिनियम के उल्लंघन करने पर कारावास एवं आर्थिक दंड का प्रावधान है।
    स्रोत: राज्य सरकार का समाज कल्याण, महिला एवं बाल विकास विभाग, झारखण्ड सरकार।

    COMMENTS (4 Comments)

    SHARMA JEE Oct 31, 2017

    LADALI LAKSHAMI YOJANA-YE SAHI HAI KI EK MATA PITA KO DO SANTAN HOANA CHAHIYE LEKIN YE SAHI NAHI HAI KI IS YOJANA KE LIYA YAVEDAN 1YEARS KE ANDAR HI KARNA HOGA.

    dilip singh Jun 12, 2017

    Public ko chutiya bananey ki ye saari yojnaye hai aur ch nahi ..vidhwa ko 400/- Rupye Ek mahine me milega wo kya kar sakti hai in 400/- Rupaye ka.

    amit agrawal Dec 25, 2016

    Thanks a lot

    YADVENDRA Singh Dec 7, 2016

    Thank you.

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