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झारखण्ड की राजनैतिक परिचय
झारखण्ड में विधानसभा हेतु कुल सदस्यों की संख्या -82 (निर्वाचित -81, मनोनीत -1,)
विधानसभा हेतु आरक्षित स्थान -(sc – 09 ,st – 28 ,सामान्य – 44)
लोकसभा हेतु सदस्यों की संख्या – 14 (सामान्य – 8 , sc – 1 , st – 5)
राज्य सभा हेतु सदस्यों की संख्या – 6 |
सबसे बड़ा संसदीय क्षेत्र – पश्चिमी सिंहभूम
सबसे छोटा संसदीय क्षेत्र – चतरा
अनुसूचित जनजातियों की संख्या – 32
आदिम जनजातियों की संख्या – 08
झारखण्ड मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री की संख्या – 11
झारखण्ड के प्रमुख पद पर कौन ?
झारखण्ड के राज्यपाल – द्रोपदी मुर्मू
मुख्यमंत्री – रघुवरदास
मुख्य न्यायधीश –वीरेंद्र सिंह
विधानसभा अध्यक्ष – दिनेश उरांव
नेता प्रतिपक्ष – हेमंत सोरेन
राज्य सुचना आयुक्त – आदित्य स्वरुप
महाधिवक्ता – विनोद पोद्दार
निर्वाचन आयुक्त – एल ख्यांग्ते
लोकायुक्त – अमरेश्वर सहाय
लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष – डी के श्रीवास्तव
झारखण्ड में शिक्षा
झारखण्ड में प्राथमिक विद्यालयों की संख्या – 25389
मध्य विद्यालयों की संख्या – 13418
उच्च विद्यालयों की संख्या -2425
महाविद्यालयों की संख्या – 123
विश्वविद्यालयों एवं समकक्ष संस्थानों की संख्या – 9 (6 + 3 )
1.रांची विश्वविद्यालय , रांची (स्थापना – 1960 )
2.बिरसा कृषि विश्वविद्यालय , रांची ( स्थापना – 1980 )
3.विनोबा भावे विश्वविद्यालय , हजारीबाग (स्थापना -1992)
4.सिदो – कान्हु मुर्मू विश्वविद्यालय , दुमका (स्थापना – 1992)
5.नीलाम्बर – पीताम्बर विश्वविद्यालय, मेदिनी नगर /पलामू (स्थापना 2009)
6.कोल्हान विश्वविद्यालय चाईबासा , प सिंहभूम (स्थापना 2009)
विश्वविद्यालय स्तर की संस्थाएं —
1.इंडियन स्कूल ऑफ़ माइंस , धनबाद (स्थापना -1926)
2.बिड़ला इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी ,मेसरा रांची (स्थापना 1955)
3.हिंदी विद्या पीठ देवघर (स्थापना 1929)
चिकित्सा महाविद्यालयों की संख्या – 6
इंजीनियरिंग महाविद्यालयों की संख्या 04
केंद्रीय विश्वविद्यालय की संख्या – 1 (रांची विश्वविद्यालय)
प्रशिक्षण केंद्र
1.पुलिस प्रशिक्षण केंद्र , हज़ारीबाग़ (स्थापना – 1912)
2.श्रीकृष्ण लोक प्रशासन प्रशिक्षण संस्थान , रांची (स्थापना – 1952)
3.तकनिकी प्रशिक्षण केंद्र , रांची (स्थापना – 1963)
4.सीमा सुरक्षा बल प्रशिक्षण केंद्र एवं स्कूल ,मेरु हजारीबाग (स्थापना – 1966)
5.झारखण्ड न्यायिक अकादमी रांची (स्थापना – 2002)
झारखण्ड जनगणना 2011
कुल जनसंख्या – 32988134 (पु – 51 .32 % ,महिला – 8.68 %)
देश की कुल जनसंख्या में झारखण्ड का हिस्सा – 2.72 %
जनसंख्या की दृष्टि से देश में झारखण्ड का स्थान – 14 वां
अनुसूचित जातियों की जनसंख्या – 12.1%
अनुसूचित जनजातियों की जनसंख्या – 26.2 %
ग्रामीण जनसंख्या – 76 %
शहरी जनसंख्या – 24 %
जनसंख्या की दृष्टि से सबसे बड़ा प्रमंडल – उत्तरी छोटानागपुर
जनसंख्या की दृष्टि से सबसे छोटा प्रमंडल – पलामू
जनसंख्या की दृष्टि से सबसे बड़ा जिला – रांची
जनसंख्या की दृष्टि से सबसे छोटा जिला – लोहरदगा
जनसंख्या घनत्व – 414 व्यक्ति / वर्ग किमी
सर्वाधिक जनसंख्या घनत्व वाला जिला – धनबाद
न्यूनतम जनसंख्या घनत्व वाला जिला – सिमडेगा
लिंगानुपात –949 महिला / 1000 पुरुष
सर्वाधिक लिंगानुपात वाला जिला – पश्चिमी सिंहभूम
न्यूनतम लिंगानुपात वाला जिला – धनबाद
2001 -2011 के दशक में जनसंख्या वृद्धि दर – 22.4 %
2001-2011 के दशक में सर्वाधिक जनसंख्या वृद्धि वाला जिला – कोडरमा (43 .42 %)
न्यूनतम दशकीय वृद्धि दर वाला जिला – धनबाद
झारखण्ड में कुल साक्षरता दर – 66.41 %(पु – 76 .84 %, महिला – 53 .56 %)
सर्वाधिक साक्षरता दर वाला जिला – रांची 76 .06%
न्यूनतम साक्षरता दर वाला जिला – पाकुड़ 48 .82%
झारखण्ड के विभूति


कास्तकारी अधिनियम
1.छोटानागपुर कास्तकारी अधिनियम – 1908
अंग्रेजों ने 1908 में सीएनटी छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम बनाया था। आदिवासियों की जमीन को बाहरियों से बचाने के लिए यह कानून अस्तित्व में आया था। तब आदिवासियों की सामाजिक हालत ठीक नहीं थी। उनमें शिक्षा व जागरुकता की कमी थी। इस कारण आदिवासियों को बहला-फुसला कर बाहर से आए लोग जमीन हड़प लेते थे। इसलिए यह कानून बनाया गया था।
इस कानून के मुताबिक आदिवासियों की जमीन कोई आदिवासी ही खरीद सकता है और वह भी उसी थाना क्षेत्र का निवासी हो। एससी व ओबीसी के साथ भी यह ही नियम लागू होता है।
सीएनटी एक्ट में स्पष्ट है कि आदिवासियों, अनुसूचित जातियों व ओबीसी यानि अति पिछड़ों की जमीन सामान्य जाति के लोग खरीद नहीं सकते है|
लेकिन राज्य में बड़े पैमाने पर सामान्य जाति के लोगों ने आदिवासियों व ओबीसी की जमीन को खरीदा है। हाईकोर्ट के आदेश के बाद राज्य सरकार ने नियम सख्त करते हुए रजिस्ट्री पर रोक लगा दी है।
2.संथाल परगना काश्तकारी अधिनियम SPT Act 1949
संथाल परगना काश्तकारी अधिनियम SPT Act 1949 में संथाल परगना के संथालों के भूमि की रक्षा के लिए बनाया गया था | यह नियम संथाल परगना के भू- स्वामियों और रैयतों के हित में इनकी भूमि की सुरक्षा में बनाया गया है |
SPT Act में संथालों की पारंपरिक विधि का भी वर्णन दिया गया है | संथाल समाज अपनी संस्कृति ,अपने रिवाज़ तथा पारंपरिक शासन तथा न्याय विधान से बांध हुआ है |
SPT Act बनने के पीछे का मुख्य कारण संथालो की धन , धरती,धर्म ,धक् व इज़्ज़त ओ बचाना था |
SPT एक्ट संथाल ,बड़री,कोल ,कोर ,महरी , रजवार ,आदि जनजातियों पर विशेष रूप से केंद्रित था |
Anil lohar Nov 18, 2017
Thanks sir