समसामयिकी जून : CURRENT AFFAIRS JUNE 26-30

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समसामयिकी जून : CURRENT AFFAIRS JUNE 26-30

प्रधानमंत्री ने जीएसटी की शुरूआत की

    एक देश-एक कर के लक्ष्य वाला जीएसटी संसद के केन्द्रीय कक्ष में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा मध्यरात्रि में घंटा बजाये जाने के साथ ही लागू हो गया तथा प्रधानमंत्री ने इस महत्वपूर्ण कर सुधार की तुलना आजादी से करते हुए कहा कि यह देश के आर्थिक एकीकरण में महत्वपूर्ण उपलब्धि है।

जीएसटी से जुड़े प्रमुख तथ्य:

  • जीएसटी का अर्थ वस्तु एवं सेवा कर है। यह एक अप्रत्यक्ष कर है जिसे माल और सेवाओं की बिक्री पर लगाया जाता है।
  • इस सिस्टम के लागू होने के बाद चुंगी, सेंट्रल सेल्स टैक्स (सीएसटी), राज्य स्तर के सेल्स टैक्स या वैट, एंट्री टैक्स, लॉटरी टैक्स, स्टैप ड्यूटी, टेलीकॉम लाइसेंस फीस, टर्नओवर टैक्स, बिजली के इस्तेमाल या बिक्री पर लगने वाले टैक्स, सामान के ट्रांसपोटेर्शन पर लगने वाले टैक्स खत्म हो जाएंगे।
  • देश में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को लागू करने के लिए संविधान (122वां संशोधन) विधेयक, 2014, संसद में प्रस्तुत किया गया।
  • जीएसटी के दरें 5%, 12%, 18% और 28% पर आधारित होंगी।
  • पेट्रोलियम और पेट्रोलियम उत्पादों को तब तक जीएसटी नहीं लगाया जाएगा जब तक जीएसटी परिषद की सिफारिशों के बाद इसे लगाने की तारीखों की घोषणा नहीं की जाती।

असमाविष्ट गैर-कृषि उद्यमों (निर्माण को छोड़कर) के मुख्य संकेतकों को जारी किया गया

    राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण कार्यालय (एन.एस.एस.ओ.), सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने छठी आर्थिक गणना के अनुवर्ती सर्वेक्षण के तौर पर जुलाई, 2015 से जून, 2016 के दौरान कराए गए अपने सर्वेक्षण के 73 वें दौर के अंतर्गत संकलित सूचना पर आधारित “भारत में असमाविष्ट गैर-कृषि उद्यमों (निर्माण को छोड़कर) के मुख्य संकेतक” नामक रिपोर्ट जारी की।

देश में असमाविष्ट गैर-कृषि उद्यमों (निर्माण को छोड़कर) के संबंध में विभिन्‍न प्रचालनात्मक तथा आर्थिक विशेषताओं पर कुछ महत्‍वपूर्ण निष्‍कर्ष, जो कि सर्वेक्षण से प्राप्‍त हुए हैं, निम्‍नलिखित हैं:

  • उद्यमों की अनुमानित संख्‍या: वर्ष 2015-16 के दौरान, अखिल भारतीय स्‍तर पर 6.34 करोड़ असमाविष्ट गैर-कृषि उद्यम (निर्माण को छोड़कर) अनुमानित थे। अखिल भारत स्‍तर पर उद्यमों की कुल अनुमानित संख्‍या में से 31% विनिर्माण में, 36.3% व्‍यापार में तथा 32.6% अन्‍य सेवा क्षेत्रों से जुड़े थे।
  • असमाविष्ट गैर-कृषि उद्यमों की कुल संख्‍या में से उत्‍तर प्रदेश की सबसे अधिक भागीदारी (14.20%) रही है, उसके बाद पश्‍चिम बंगाल (13.99%), तमिलनाडु (7.80%), महाराष्‍ट्र (7.54%) तथा कर्नाटक (6.05%) की हिस्‍सेदारी रही है।
  • कामगारों की अनुमानित संख्‍या: इस सर्वेक्षण के परिणामों के अनुरूप देश में वर्ष 2015-16 के दौरान असमाविष्ट गैर-कृषि उद्यमों (निर्माण को छोड़कर) से लगभग 11.13 करोड़ कामगार जुड़े थे। कामगारों की कुल संख्‍या में से, 34.8% व्‍यापार से, 32.8% अन्‍य सेवाओं से तथा 32.4% विनिर्माण से जुड़े थे। कामगारों की अनुमानित संख्‍या के सदर्भ में शीर्ष पांच राज्‍यों उत्‍तर प्रदेश (14.9%), पश्‍चिम बंगाल (12.2%), तमिलनाडु (8.7%), महाराष्‍ट्र (8.2%) तथा कर्नाटक (6.4%) की अखिल भारतीय स्‍तर पर असमाविष्ट गैर-कृषि क्षेत्र (विनिर्माण को छोड़कर) में लगे कामगारों की लगभग 50% हिस्‍सेदारी रही है।

राष्ट्रीय ऊर्जा नीति का मसौदा तैयार

    नीति आयोग ने बड़ी कारों, एसयूवी पर ज्यादा टैक्स लगाने और मेट्रो रेल जैसे पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम को बढ़ावा देने की वकालत की है। आयोग का मानना है कि ऐसा करना वायु की गुणवत्ता में सुधार के लिए जरूरी है। उसने यह सुझाव राष्ट्रीय ऊर्जा नीति के मसौदे में दिया है। इसमें कहा गया है कि बड़ी कारों/एसयूवी पर टैक्सेशन बढ़ाने से ईंधन की कम खपत करने वाली कारों के चलन को बढ़ावा मिल सकेगा। लोगों को इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड कारों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। आयोग ने प्रस्तावित नीति के मसौदे पर 14 जुलाई तक लोगों से राय मांगी है।

मसौदे से जुड़े प्रमुख तथ्य:

  • मसौदे में कहा गया है कि प्राइवेट ट्रांसपोर्ट की कार्यकुशलता की सफलता मेट्रो रेल जैसी पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम की प्रगति पर निर्भर करती है। भारत में हवा की गुणवत्ता, खासकर शहरों में, जहां घनी आबादी वाले इलाकों में ऊर्जा का इस्तेमाल अधिक होता है वहां ऊर्जा नीति के जरिये ठोस कदम उठाने की जरूरत है। इसमें इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड व्हीकल्स को बढ़ावा देना भी शामिल है।
  • पॉलिसी में कहा गया है कि एनर्जी सेक्टर में इनवेस्टमेंट देश के सामने एक बड़ी चुनौती है। विकसित देशों के मुकाबले भारत में इंटरेस्ट रेट अधिक होने के कारण इनवेस्टमेंट कम हो रहा है। इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी के अनुमान के मुताबिक, भारत के एनर्जी सेक्टर में 2015 से 2040 के बीच 3.6 लाख करोड़ डॉलर से अधिक के इनवेस्टमेंट की जरूरत होगी।
  • एजेंसी का कहना है कि भारत को एनर्जी सेक्टर में बड़ी मात्रा में डोमेस्टिक और फाइनेंशियल जरियों से कैपिटल की जरूरत है और यह तभी संभव होगा जब देश में वर्ल्ड-क्लास रेगुलेटर होंगे। पॉलिसी में कोल, ऑयल और गैस के लिए इलेक्ट्रिसिटी की तर्ज पर रेगुलेटर बनाने का प्रपोजल दिया गया है।
  • इसमें कहा गया है कि देश की एनर्जी सप्लाई में 2040 तक तीन गुना की वृद्धि के लिए इनवेस्टर्स को पॉलिसी के नजरिए से आश्वस्त करने की जरूरत होगी।

राष्ट्रीय बायोफार्मा मिशन की शुरूआत

    भारत में बायोफार्मास्यूटिकल्स के विकास को गति देने के लिए अब तक के पहले औद्योगिकी-शैक्षणिक मिशन की औपचारिक रूप से नई दिल्‍ली में 30 जून 2017 को केन्‍द्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, भू-विज्ञान, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉक्‍टर हर्षवर्धन के द्वारा शुरूआत की गयी।

मिशन से जुड़े प्रमुख तथ्य:

  • भारत में नवाचार (आई-3) नाम से शुरू हो रहे इस कार्यक्रम में 25 करोड़ अमेरीकी डॉलर का निवेश होगा, जिसमें 12.5 करोड़ डॉलर का विश्‍व बैंक कर्ज देगा।
  • यह अनुमान लगाया जा रहा है कि भारतीय बायोफार्मास्यूटिकल्स उद्योग में इससे बड़ा बदलाव आएगा। इससे उद्यमिता और स्‍वदेशी विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए आवश्‍यक परितंत्र का भी निर्माण होगा।
  • भारत में नवाचार आई-3 इन कमियों को दूर करेगी और भारत को प्रभावी बायोफार्मास्‍यूटिकल उत्‍पादों के क्षेत्र में डिजाइन और विकास का केन्‍द्र बनायेगा। इस मिशन को जैव प्रौद्योगिकी विभाग के तहत सार्वजनिक क्षेत्र की इकाई, जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायक परिषद (बीआईआरएसी) लागू करेगी

डिजिटल एमएसएमई योजना का शुभारंभ

    केन्‍द्रीय एमएसएमई मंत्री कलराज मिश्र ने ‘डिजिटल एमएसएमई योजना’ का भी शुभारंभ किया। इसके साथ ही उन्‍होंने एसएपी इंडिया, इंटेल और एचएमटी को तीन सहमति पत्र (एमओयू) सौंपे। इन कदमों से डिजिटल इंडिया मिशन को सफल बनाने की दिशा में मंत्रालय द्वारा किये जा रहे प्रयासों को नई गति मिलेगी।

डिजिटल एमएसएमई योजना:

  • यह डिजिटल एमएसएमई योजना क्‍लाउड कम्‍प्‍यूटिंग पर केन्द्रित है, जो एमएसएमई द्वारा अपने यहां स्‍थापित किये गये आईटी बुनियादी ढांचे की तुलना में एक किफायती एवं लाभप्रद विकल्‍प के रूप में उभर कर सामने आई है। क्‍लाउड कम्‍प्‍यूटिंग के तहत एमएसएमई अपनी कारोबारी प्रक्रियाओं के समुचित प्रबंधन के लिए साझा एवं खुद के लिए स्‍थापित किये गये सॉफ्टवेयर सहित आईटी बुनियादी ढांचे तक अपनी पहुंच सुनिश्चित करने हेतु इंटनेट का इस्‍तेमाल करते हैं।
  • क्‍लाउड कम्‍प्‍यूटिंग के तहत हार्डवेयर/सॉफ्टवेयर और बुनियादी ढांचागत सुविधाओं पर कुछ भी निवेश नहीं करना पड़ता है। अत: ‘कैपेक्‍स’ ऐसी स्थिति में ‘ओपेक्‍स’ में परिवर्तित हो जाता है। इस योजना से एमएसएमई अपने यहां सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) को उपयोग में लाने के लिए इस नई अवधारणा अर्थात क्‍लाउड कम्‍प्‍यूटिंग को अपनाने के लिए प्रेरित होंगे।
  • इस अवसर पर केन्‍द्रीय एमएसएमई राज्‍य मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि एमएसएमई मंत्रालय ने माननीय प्रधानमंत्री के विजन के अनुरूप ‘कारोबार करने में आसानी’ और डिजिटल इंडिया मिशन को ध्‍यान में रखते हुए अनेक कदम उठाये हैं।

भारत-अमेरिका संबंध

  • राष्ट्रपति डोनाल्ड जे ट्रम्प ने व्हाइट हाउस में भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की 26 जून 2017 को मेजबानी की। भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच 70 वर्षों के राजनयिक संबंधों को चिह्नित करते हुए, नेताओं ने देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को बढ़ाने और गहरा करने और सामान्य उद्देश्यों को आगे बढ़ाने का संकल्प किया।
  • इन सबसे ऊपर, इन उद्देश्यों में आतंकवादी खतरों का मुकाबला करना, भारत-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता को बढ़ावा देना, स्वतंत्र और निष्पक्ष व्यापार बढ़ाने और ऊर्जा संबंधों को मजबूत करना शामिल है। राष्ट्रपति ट्रम्प और प्रधान मंत्री मोदी ने विश्वास व्यक्त किया कि संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत आने वाले दशकों में अपने नागरिकों के लिए वैश्विक चुनौतियों के समाधान और समृद्धि का निर्माण करने के लिए मजबूत नेतृत्व प्रदान करेंगे।

प्रमुख मोर्चों पर भारत सफलता:

प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा के पहले ही भारत को दो मोर्चों पर बड़ी कूटनीतिक सफलता मिली है। दोनों को लेकर भारत सरकार लंबे समय से राजनयिक स्तर पर अमेरिका पर दबाव बना रही थी। पहला यह कि अमेरिका ने भारत को 22 अमेरिकी ‘गार्जियन ड्रोन’ के सौदे को मंजूरी दे दी है। ये ड्रोन अभी सिर्फ अमेरिकी सेना इस्तेमाल करती है, जिसे कि प्राप्‍त करने के लिए भारत लम्‍बे समय से प्रयासरत था। इसके साथ यह भी जानना जरूरी है कि भारत पहला ऐसा गैर नाटो गठबंधन देश है, जिसे अमेरिका अपनी ड्रोन तकनीक सौंपेगा। इन टोही विमानों को शामिल किए जाने से भारतीय समुद्री सुरक्षा को लेकर नौसेना की खुफिया, निगरानी और टोही क्षमता बढ़ेगी। तत्‍काल इसका लाभ यह है कि ‘गार्जियन ड्रोन’ से भारत को हिंद महासागर में चीन की बढ़ती सैन्य गतिविधियों पर नजर रखने में काफी आसानी हो जाएगी।

भारत को दूसरी राजनयिक सफलता पाकिस्तान के मोर्चे पर मिली है। अमेरिकी कांग्रेस में पाकिस्तान को लेकर एक विधेयक लाया गया है। इसमें उसके ‘अहम गैर-नाटो सहयोगी (एमएनएनए)’ का दर्जा रद्द करने की सिफारिश की गई है।

COMMENTS (1 Comment)

Avshesh shukla Jul 5, 2017

Nice portal for UPSC

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