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वित्तीय समाधान और जमाराशि बीमा विधेयक, 2017
- वित्तीय समाधान और जमाराशि बीमा विधेयक, 2017 को सांसद भूपेंदर यादव की अध्यक्षता में गठित दोनों सदनों की संयुक्त संसदीय समिति के द्वारा परीक्षण करके संसद में रिपोर्ट पेश करने के लिए भेजा गया है।
- नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में जून 2017 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने वित्तीय समाधान और जमा राशि बीमा विधेयक 2017 के पेश किए जाने के प्रस्ताव का अपनी मंजूरी दे दी थी। इस विधेयक में बैंकों, बीमा कंपनियों और वित्तीय संस्थाओं में दिवालियापन की स्थिति से निपटने के लिए एक व्यापक समाधान से जुड़े प्रावधान उपलब्ध हैं।
विधेयक के लाभ:
- वित्तीय समाधान और जमाराशि बीमा विधेयक, 2017 के लागू होने पर एक समाधान निगम की स्थापना हेतु मार्ग प्रशस्त होगा। इससे इस विधेयक की अनुसूचियों में सूचीबद्ध क्षेत्रवार अधिनियम के समाधान संबंधी प्रावधानों को समाप्त करने अथवा संशोधित करने में मदद मिलेगी।
- इसके परिणामस्वरुप जमा राशि बीमा और ऋण गारंटी निगम अधिनियम, 1961 को समाप्त करने से लेकर जमा राशि बीमा अधिकारों के स्थानांतरण और समाधान निगम के प्रति उत्तरदायित्व कायम करना भी संभव होगा।
- समाधान निगम वित्तीय प्रणाली के स्थायित्व और दृढ़ता का संरक्षण करेगा और एक तर्कसंगत सीमा तक बाध्यताओं के दायरे में उपभोक्ताओं का संरक्षण करेगा तथा एक संभव सीमा तक लोगों के धन का भी संरक्षण करेगा।
विधेयक का लक्ष्य:
- वित्तीय समाधान और जमाराशि बीमा विधेयक, 2017 का लक्ष्य वित्तीय तौर पर खस्ताहाल वित्तीय सेवा प्रदाताओं के उपभोक्ताओं को राहत देना है। खस्ताहाल कारोबारों को बचाने के लिए सार्वजनिक धन के इस्तेमाल को सीमित करके वित्तीय संकट के समय में वित्तीय सेवा प्रदाताओं के बीच अनुशासन स्थापित करना भी इसका लक्ष्य है।
- संकट के समय आवश्यक औजार उपलब्ध कराकर, पर्याप्त रोकथाम के उपायों को सुनिश्चित करके अर्थव्यवस्था में वित्तीय स्थायित्व कायम रखने में मदद मिलेगी।
- इस विधेयक का लक्ष्य बड़ी संख्या में खुदरा जमाकर्ताओं के लाभ के लिए जमाराशि बीमा के मौजूदा ढांचे को सशक्त और सुसंगत बनाना है।
- इसके अलावा, इस विधेयक के माध्यम से खस्ताहाल वित्तीय संस्थाओं की समस्याओं के निदान के लिए लगने वाले समय और धन में कमी लाना भी इसका लक्ष्य है।
अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस: 08 सितम्बर
अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस प्रतिवर्ष 8 सितंबर को पूरे विश्व में मनाया जाता है। भारत में 51वें अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस का आयोजन 8 सितंबर, 2017 को विज्ञान भवन, नई दिल्ली में किया जाएगा। कार्यक्रम में गणमान्य व्यक्तियों को सम्मानित किया जाएगा और साक्षरता के क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले राज्यों, जिलों, ग्राम पंचायतों तथा गैर-सरकारी संगठनों को साक्षर भारत पुरस्कार प्रदान किए जाएंगे।
विषय (थीम):
वर्ष 2017 के अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस के लिए यूनेस्को द्वारा घोषित विषय ‘डिजिटल दुनिया में साक्षरता’ है।
इतिहास:
- वर्ष 1965 में इसी दिन तेहरान में विश्व कांग्रेस के शिक्षा मंत्रियों ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा कार्यक्रम पर चर्चा करने के लिए पहली बार बैठक की थी। यूनेस्को ने नवंबर 1966 में अपने 14वें सत्र में 8 सितंबर को अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस घोषित किया। तब से अधिकतर सदस्य देशों द्वारा प्रतिवर्ष 8 सितंबर को अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस मनाया जाता है।
- अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस मनाने का महत्वपूर्ण पहलू साक्षरता के खिलाफ संघर्ष के पक्ष में जनमत तैयार करना है। यह दिवस साक्षरता और जन जागरूकता बढ़ाने तथा व्यक्ति और राष्ट्रीय विकास के लिए साक्षरता के महत्व के बारे में जानकारी प्रदान करने का मंच है।
- राष्ट्रीय साक्षरता मिशन प्राधिकरण 1988 से प्रतिवर्ष अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस मनाता है। स्वतंत्रता के बाद से निरक्षरता समाप्त करना भारत सरकार की प्रमुख राष्ट्रीय चिंता का विषय है। अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस के अवसर पर निरक्षरता समाप्त करने के लिए जन जागरूकता को बढ़ावा दिया और प्रौढ़ शिक्षा कार्यक्रमों के पक्ष में वातावरण तैयार किया जाता है।
- 1996 से इस कार्यक्रम को अधिक प्रभावी बनाने के लिए कुछ नए अवयव जोड़े गए हैं। 1996 में एक ‘मशाल मार्च’ का आयोजन किया गया था जिसमें स्कूली छात्र और साक्षरता कार्यकर्ता शामिल हुए थे। इसके बाद के वर्षों में अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस मनाने के लिए राज्य साक्षरता मिशन प्राधिकरण (एसएलएमए) द्वारा साक्षरता कार्यकर्ताओं के लिए राज्य स्तर पर प्रतियोगिताएं (रंगोली, ड्राइंग आदि), जेएसएस उत्पादों (केआरआईटीआई) की प्रदर्शनी, अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन, संगोष्ठी और सांस्कृतिक कार्यक्रमों जैसी कई गतिविधियां शामिल की गई हैं।
भारत जापान रक्षा मंत्री स्तरीय वार्षिक वार्ता संपन्न हुई
भारत जापान रक्षा मंत्री स्तरीय वार्षिक वार्ता 5 और 6 सितम्बर, 2017 को जापान की राजधानी टोक्यो में आयोजित हुई। भारत की ओर से रक्षामंत्री अरुण जेटली ने कार्यक्रम में भाग लिया जबकि जापान की ओर से रक्षामंत्री इत्सुनोरी ओनोडेरा शामिल हुए।
दोनों देशों के मंत्रियों ने ‘’भारत-जापान विशेष रणनीति और वैश्विक साझेदारी’’ की रूपरेखा के अंतर्गत रक्षा तथा सुरक्षा सहयोग और बढ़ाने पर चर्चा की। मंत्रियों ने भारत प्रशांत क्षेत्र की वर्तमान सुरक्षा स्थिति पर भी चर्चा की। उन्होंने उत्तर कोरिया द्वारा किये गये परमाणु परीक्षण की भी कड़ी निंदा की जो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के संकल्प सहित अंतरराष्ट्रीय दायित्वों और प्रतिबद्धताओं का उल्लंघन है।
आपसी सहयोग के प्रमुख क्षेत्र:
दोनों देशों के मंत्रियों ने आदान – प्रदान बढ़ाने के अवसर तलाशने के लिए निम्नलिखित क्षेत्रों में सहयोग बढाने का निर्णय लिया:-
संस्थागत वार्ता और दौरे:
- जापान के रक्षामंत्री 2018 में रक्षामंत्री स्तरीय वार्षिक बैठक में भाग लेने के लिए भारत का दौरा करेंगे।
- दोनों पक्ष 2018 के पहले 6 महीने में जापान संयुक्त स्व रक्षा बल के सेना प्रमुख की पहली यात्रा आयोजित करने पर सहमत हुए।
- 2018 में छठी रक्षा मंत्री / सचिव स्तरीय रक्षा नीति वार्ता और 5वीं मंत्री/ सचिव स्तरीय ‘’2+2’’ वार्ता भारत में होगी।
जापान थल स्व रक्षा बल और भारतीय सेना के बीच आदान-प्रदान:
- दोनों मंत्रियों ने नवम्बर 2016 में सेना वार्ता पर हुई प्रगति का स्वागत किया और वे दोनों देशों के आपसी हित के महत्वपूर्ण क्षेत्रों के रूप में पीकेओ, आतंकवाद का मुकाबला और मानवीय सहायता तथा आपदा राहत (एचएडीआर) के क्षेत्र में सक्रिय आदान-प्रदान विकसित करने पर सहमत हुए।
- जापान थल स्व रक्षा बल (जेजीएसडीएफ) भारतीय सेना को उसके द्वारा आयोजित एचएडीआर अभ्यास का अवलोकन करने के लिए आमंत्रित करेगी।
- दोनों थल सेनाओं के बीच बढ़ते सहयोग को देखते हुये दोनों मंत्रियों ने 2018 में भारतीय सेना और जेडीएसडीएफ के बीच आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए संयुक्त अभ्यास करवाने की संभावना तलाशने का निर्णय लिया है।
जापान समुद्री स्व रक्षा बल और भारतीय नौसेना के बीच आदान प्रदान:
- जापान के रक्षामंत्री ओनोडेरा ने मालाबार 2018 अभ्यास में जापान के पी-1 सहित अत्याधुनिक सैन्य उपकरणों को शामिल करने की मंशा व्यक्त की। जेटली ने इस प्रस्ताव का स्वागत किया।
- दोनों पक्ष सहयोग बढ़ाने के लिए पन्डुब्बी-रोधी रक्षा युद्धक (एएसडब्ल्यू) को प्रशिक्षण में शामिल करने पर विचार करेंगे। इसके अलावा दोनों मंत्रियों ने पी-3सी जैसी एएसडब्ल्यू उड्डयन इकाईयों द्वारा आपसी प्रशिक्षण देने पर भी सहमती व्यक्त की।
- जापान ने जेएमएसडीएफ द्वारा युद्धपोतों के प्रशिक्षण के लिए भारतीय नौसेना के कर्मचारियों को आमंत्रित करने का प्रस्ताव भी रखा।
रक्षा उपकरण और प्रौद्योगिकी में सहयोग:
- दोनों मंत्रियों ने रक्षा और दौहरे उपयोग वाली प्रौद्योगिकियों सहित उपकरण सहयोग को बढ़ावा देने के लिए दोनों देशों और रक्षा उद्योगों के बीच बातचीत बढ़ाने के महत्व का समर्थन किया। उन्होंने यूएस-2 जल – थल – चर विमान पर सहयोग के संदर्भ में दोनों देशों द्वारा किये गये प्रयासों का भी उल्लेख किया।
- उन्होंने अधिग्रहण, प्रौद्योगिकी और उपस्कर एजेंसी (एटीएलए) तथा रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के बीच सकारात्मक संबंध का स्वागत किया और वे मानव रहित वाहनों तथा रॉबोटिक्स के क्षेत्र में अनुसंधान सहयोग के लिये तकनीकी चर्चा पर सहमत हुए।
- दोनों मंत्रियों ने टोक्यो में एटीएलए और रक्षा उत्पादन विभाग (डीडीपी) द्वारा रक्षा उद्योग सहयोग पर पहली बैठक करने की भी सराहना की जिसमें बड़ी संख्या में दोनों देशों की सरकारी संस्थाएं और कंपनियां शामिल हुई थी।
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